पटना: पिछले साल बजट सत्र के दौरान (Bihar Assembly Budget Session) पुलिस बिल को लेकर विधानसभा में हंगामा मामले (Bihar Assembly Uproar Issue) की जांच रिपोर्ट आचार समिति ने सौंप दी है. पूर्व मंत्री और बीजेपी के विधायक रामनारायण मंडल के सभापतित्व में आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में करीब एक दर्जन विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की है. 23 मार्च 2021 को विधानसभा में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम (Bihar Special Armed Police Act) को लेकर विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया था.
बिल को पास नहीं होने देने के लिए सदन की कार्यवाही बाधित कर दी थी. यही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर के पास भी धरने पर बैठ गए थे. सदन पूरी तरह से अराजक स्थिति में पहुंच गया था. बाद में पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था. कई विधायकों को पुलिस ने बाहर निकाला था. उस दौरान मारपीट भी हुई थी. पूरे मामले में विजय सिन्हा ने आचार समिति को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. वीडियो फुटेज और सभी उपलब्ध साक्ष्यों को देखने के बाद आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को दे दी है.
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रामनारायण मंडल आचार समिति में सभापति हैं, अरुण कुमार सिन्हा, राम विशुन सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और अचमित ऋषि देव इसके सदस्य हैं. सभी ने हंगामे का वीडियो कई बार देखा. सभी तथ्यों को देखने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी है. इसमें एक दर्जन विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. कुछ विधायकों पर कठोर कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है. आचार समिति को जांच में लंबा समय लगा है क्योंकि विधानसभा में इससे पहले इस तरह की घटना कभी नहीं हुई थी. पहली बार पुलिस को इस तरह से हस्तक्षेप करना पड़ा था.
ऐसे विपक्षी सदस्यों की तरफ से भी पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों पर मारपीट का आरोप लगाया गया था. उस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई लेकिन उससे विपक्षी संतुष्ट नहीं हुए थे. अब आचार समिति की विधायकों के खिलाफ दी गई रिपोर्ट पर देखना है विधानसभा अध्यक्ष क्या फैसला लेते हैं. पिछले साल बजट सत्र के दौरान पुलिस बिल को लेकर यह हंगामा हुआ था. विपक्षी सदस्यों ने साफ कहा था कि किसी कीमत पर पुलिस बिल पास नहीं होने देंगे. हालांकि हंगामे के बाद भी सरकार ने पुलिस बिल को पास सदन से करा लिया था.
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि आचार समिति की अनुशंसा के बाद कार्रवाई को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ही अब निर्णय ले सकते हैं. विधानसभा अध्यक्ष चाहेंगे तो विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है. विधायकों को कुछ दिन के लिए निलंबित भी किया जा सकता है या किसी सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है. उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास पारित कराया जा सकता है. माफी मांगने पर विधायक करवाई से मुक्त भी हो सकते हैं लेकिन यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष को ही लेना है.
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