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उपचुनाव के नतीजों का बिहार की सियासत पर कितना पड़ेगा फर्क! आप भी जानिए...

बिहार की दो सीटों पर उपचुनाव को लेकर वोटिंग खत्म हो गई है. आखिरी दो सीटों के नतीजों का बिहार की सियासत पर क्या फर्क पड़ेगा, जिसकी वजह से राजद और जदयू जीत के लिए इतनी बेताब हैं. पढ़ें रिपोर्ट...

पटना
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Published : Oct 30, 2021, 8:19 PM IST

पटना: विधानसभा की 2 सीटों पर उपचुनाव (By Election) के लिए मतदान हो चुका है. बिहार में किसी उपचुनाव में जीत के लिए सियासी दलों द्वारा इतनी मशक्कत इससे पहले शायद ही देखने को मिली हो. उपचुनाव महज 2 सीटों पर हो रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड ने पूरा जोर लगा दिया. इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह 2 सीटें कितनी महत्वपूर्ण हैं.

ये भी पढ़ें- लालू बोले- तेजस्वी के बदले नीतीश को सीएम बनाया, उन्होंने हमारे साथ धोखा किया

दरअसल, तारापुर और कुशेश्वरस्थान जदयू की सीटिंग सीटें हैं. जिन पर विधायकों के निधन की वजह से उपचुनाव करना पड़ा. 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए के बीच संख्या बल का अंतर बहुत कम रहा है. यही वजह है कि इन दोनों सीटों को लेकर एक तरफ नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के लिए भी यह दोनों सीटें जीतना बड़ा चैलेंज है, क्योंकि उन्होंने अपने सहयोगी दल से ही कुशेश्वरस्थान सीट को लेकर पंगा ले लिया है.

देखें रिपोर्ट

इसके साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल कुछ और सीटें जीतकर भविष्य में बिहार की सियासत में अपने दम पर सरकार बनाने की कोशिश में भी है. अगर विधानसभा में संख्या बल पर नजर डालें तो राजद, कांग्रेस और वामदलों के पास कुल 110 विधायक हैं. जबकि एनडीए के 126 विधायक हैं.

ये भी पढ़ें- तेजस्वी ने जो मछली पकड़ी है, सियासत में कौन सा रंग दिखाएगी वह?

बिहार विधानसभा की दलीय स्थिति: बहुमत का आंकड़ा 122

महागठबंधन

  • राष्ट्रीय जनता दल 75
  • कांग्रेस 19
  • वामदल 16
  • कुल 110

एनडीए

  • भाजपा 74
  • जदयू 43
  • हम 4
  • वीआईपी 4
  • कुल 125

एआईएमआईएम 5

निर्दलीय 1 (एनडीए को समर्थन)

''जदयू ने पिछले एक साल में अपने पिछले चुनाव के वादे पर कितना काम किया, यह जनता अच्छी तरह जानती है. इसलिए उन्हें तो वोट की उम्मीद करनी ही नहीं चाहिए. राजद ने कांग्रेस को धोखा दिया है, इसलिए जनता भी राजद को धोखा देगी.''- राजेश कुमार राठौड़, कांग्रेस प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- जेपी की राह पर चलकर तेज प्रताप चाहते हैं लालू जैसी कामयाबी.. लेकिन अब ये आसान नहीं !

''हम मजबूती के साथ चुनाव लड़े हैं. कुशेश्वरस्थान से लगातार हमारे सहयोगी लड़ते आए हैं. इस बार लगा कि नहीं काम नहीं चलेगा, हमें बीजेपी और जेडीयू कैंडिडेट को चुनाव हराना है. लोगों की डिमांड थी कि वहां से लालटेन चाहिए. हम दोनों जगहों पर भारी अंतर से जीत दर्ज करेंगे और स्ट्रैटजी हम किसी से शेयर नहीं करने वाले हैं. हम मुकेश सहनी की बात का नोटिस नहीं लेते हैं.'' - तेजस्वी प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष

''तेजस्वी लंबे समय से दावा कर रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा, हमारी सरकार बनेगी. कोरे दावे करने के लिए ही ये लोग जाने जाते हैं. यही कारण है कि इनकी बेइज्जती भी होती है, लेकिन फिर भी आदत से बाज नहीं आते हैं. रिजल्ट यही होना है कि जदयू दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.''- अभिषेक कुमार झा, जदयू प्रदेश प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- 2 सीटें जीतकर कैसे बनायेंगे सरकार? तेजस्वी का जवाब- अपनी स्ट्रेटजी किसी को बताई नहीं जाती

''राजद किसी भुलावे में ना रहे. 2 सीटों से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला और वैसे भी हमारी सरकार 5 साल के लिए बनी है और हम पूरी मजबूती के साथ 5 साल तक सरकार चलाएंगे.''- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा नेता

उपचुनाव की दोनों सीटों को लेकर एनडीए नेता चाहे जो दावे करें, लेकिन इतना तय है कि अगर यह दोनों सीटें राजद के हिस्से में चली जाती हैं तो विधानसभा में विपक्ष और मजबूत होगा और भविष्य में अगर थोड़ी सी भी उलटफेर हुई तो इसका खामियाजा नीतीश सरकार को भुगतना पड़ेगा.

''राजद और कांग्रेस के बीच की सियासत किसी से छिपी नहीं है. लालू यादव यह स्पष्ट कर चुके हैं. असल बात तो यह है कि अगर यह दोनों सीटें राजद जीत जाती है तो विधानसभा में उनकी स्थिति मजबूत होगी. जिस तरह से मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी भाजपा को वक्त बेवक्त कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, उससे उनकी भूमिका को लेकर एनडीए नेता भी पूरी तरह सहज नहीं हैं.''- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

रवि उपाध्याय ने कहा कि मांझी और मुकेश साहनी के भरोसे एनडीए की सरकार चल रही है. ये दोनों अगर पाला बदल लें तो बिहार में परिस्थितियां बदल सकती हैं. वहीं, एआईएमआईएम की भूमिका भी अभी सामने आना बाकी है. यही वजह है कि इस बार 2 सीटों के उपचुनाव में राजद, कांग्रेस और जदयू ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. किसी ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है.

पटना: विधानसभा की 2 सीटों पर उपचुनाव (By Election) के लिए मतदान हो चुका है. बिहार में किसी उपचुनाव में जीत के लिए सियासी दलों द्वारा इतनी मशक्कत इससे पहले शायद ही देखने को मिली हो. उपचुनाव महज 2 सीटों पर हो रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड ने पूरा जोर लगा दिया. इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह 2 सीटें कितनी महत्वपूर्ण हैं.

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दरअसल, तारापुर और कुशेश्वरस्थान जदयू की सीटिंग सीटें हैं. जिन पर विधायकों के निधन की वजह से उपचुनाव करना पड़ा. 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए के बीच संख्या बल का अंतर बहुत कम रहा है. यही वजह है कि इन दोनों सीटों को लेकर एक तरफ नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के लिए भी यह दोनों सीटें जीतना बड़ा चैलेंज है, क्योंकि उन्होंने अपने सहयोगी दल से ही कुशेश्वरस्थान सीट को लेकर पंगा ले लिया है.

देखें रिपोर्ट

इसके साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल कुछ और सीटें जीतकर भविष्य में बिहार की सियासत में अपने दम पर सरकार बनाने की कोशिश में भी है. अगर विधानसभा में संख्या बल पर नजर डालें तो राजद, कांग्रेस और वामदलों के पास कुल 110 विधायक हैं. जबकि एनडीए के 126 विधायक हैं.

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बिहार विधानसभा की दलीय स्थिति: बहुमत का आंकड़ा 122

महागठबंधन

  • राष्ट्रीय जनता दल 75
  • कांग्रेस 19
  • वामदल 16
  • कुल 110

एनडीए

  • भाजपा 74
  • जदयू 43
  • हम 4
  • वीआईपी 4
  • कुल 125

एआईएमआईएम 5

निर्दलीय 1 (एनडीए को समर्थन)

''जदयू ने पिछले एक साल में अपने पिछले चुनाव के वादे पर कितना काम किया, यह जनता अच्छी तरह जानती है. इसलिए उन्हें तो वोट की उम्मीद करनी ही नहीं चाहिए. राजद ने कांग्रेस को धोखा दिया है, इसलिए जनता भी राजद को धोखा देगी.''- राजेश कुमार राठौड़, कांग्रेस प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- जेपी की राह पर चलकर तेज प्रताप चाहते हैं लालू जैसी कामयाबी.. लेकिन अब ये आसान नहीं !

''हम मजबूती के साथ चुनाव लड़े हैं. कुशेश्वरस्थान से लगातार हमारे सहयोगी लड़ते आए हैं. इस बार लगा कि नहीं काम नहीं चलेगा, हमें बीजेपी और जेडीयू कैंडिडेट को चुनाव हराना है. लोगों की डिमांड थी कि वहां से लालटेन चाहिए. हम दोनों जगहों पर भारी अंतर से जीत दर्ज करेंगे और स्ट्रैटजी हम किसी से शेयर नहीं करने वाले हैं. हम मुकेश सहनी की बात का नोटिस नहीं लेते हैं.'' - तेजस्वी प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष

''तेजस्वी लंबे समय से दावा कर रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा, हमारी सरकार बनेगी. कोरे दावे करने के लिए ही ये लोग जाने जाते हैं. यही कारण है कि इनकी बेइज्जती भी होती है, लेकिन फिर भी आदत से बाज नहीं आते हैं. रिजल्ट यही होना है कि जदयू दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.''- अभिषेक कुमार झा, जदयू प्रदेश प्रवक्ता

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''राजद किसी भुलावे में ना रहे. 2 सीटों से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला और वैसे भी हमारी सरकार 5 साल के लिए बनी है और हम पूरी मजबूती के साथ 5 साल तक सरकार चलाएंगे.''- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा नेता

उपचुनाव की दोनों सीटों को लेकर एनडीए नेता चाहे जो दावे करें, लेकिन इतना तय है कि अगर यह दोनों सीटें राजद के हिस्से में चली जाती हैं तो विधानसभा में विपक्ष और मजबूत होगा और भविष्य में अगर थोड़ी सी भी उलटफेर हुई तो इसका खामियाजा नीतीश सरकार को भुगतना पड़ेगा.

''राजद और कांग्रेस के बीच की सियासत किसी से छिपी नहीं है. लालू यादव यह स्पष्ट कर चुके हैं. असल बात तो यह है कि अगर यह दोनों सीटें राजद जीत जाती है तो विधानसभा में उनकी स्थिति मजबूत होगी. जिस तरह से मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी भाजपा को वक्त बेवक्त कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, उससे उनकी भूमिका को लेकर एनडीए नेता भी पूरी तरह सहज नहीं हैं.''- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

रवि उपाध्याय ने कहा कि मांझी और मुकेश साहनी के भरोसे एनडीए की सरकार चल रही है. ये दोनों अगर पाला बदल लें तो बिहार में परिस्थितियां बदल सकती हैं. वहीं, एआईएमआईएम की भूमिका भी अभी सामने आना बाकी है. यही वजह है कि इस बार 2 सीटों के उपचुनाव में राजद, कांग्रेस और जदयू ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. किसी ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है.

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