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PMCH के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष ने PM-CM को लिखा पत्र, कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए दिए ये सुझाव

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Published : May 24, 2021, 7:00 AM IST

Updated : May 24, 2021, 11:47 AM IST

प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर के बाद अब तीसरे लहर की आशंका जतायी जा रही है. ऐसे में पटना चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने तीसरे लहर को नियंत्रित करने के लिए रैपिड किट पर विशेष जोर देने का सुझाव पीएमओ को दिया है.

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डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह

पटनाः प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर का पिक खत्म हो चुका है मगर संक्रमण अभी भी जारी है. इसी बीच तीसरे लहर के आने की संभावना भी प्रबल हो गई है. ऐसे में देश में तीसरे लहर को नियंत्रित करने के लिए पटना चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने एक सुझाव पीएमओ को भेजा है.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में अब 3% के आसपास कोरोना संक्रमण, पटनावासियों को मिली राहत

रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराने की अपील
उन्होंने पीएमओ को भेजे अपने सुझाव में अपील की है कि पूरे विश्व में रैपिड एंटीबॉडी किट की मान्यता है. ऐसे में कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट नहीं होना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा है कि अगर संक्रमण के तीसरे लहर को रोकना है तो सरकार को रैपिड एंटीजन किट के साथ-साथ रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट भी एक साथ कराना होगा ताकि जिनका एंटीजन किट में संक्रमण का पता ना चले उनका एंटीबॉडी किट के माध्यम से पता चल जाएगा.

कोरोना के 6 स्टेजों का भी पता चल सकेगा
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि अगर देश में रैपिड एंटीजन और रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट एक साथ हो तो तीसरे लहर को आने से पहले रोका जा सकता है. इस मॉडल से कोरोना के 6 स्टेजों का भी पता चल सकेगा. एंटीबॉडी किट में M और G एंटीबॉडी की लाइन दिखाई पड़ती है. जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है.

कैसे काम करता है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट
अगर हल्के रंग की M लाइन दिखती है तो कोरोना संक्रमण 7 दिनों के आसपास का है. अगर गाढ़े रंग की M लाइन दिखती है तो संक्रमण 1 से 2 सप्ताह के बीच का है. उन्होंने बताया कि अगर गाढ़े रंग की M लाइन और हल्के रंग की G लाइन दिखे तो कोरोना संक्रमण दो से 3 सप्ताह का है. M लाइन और G लाइन अगर दोनों गाढ़ी हो तो संक्रमण 3 से 4 सप्ताह का है.

M लाइन हल्की हो और G लाइन गाढ़ी आए तो कोरोना संक्रमण 4 से 6 सप्ताह का है. उन्होंने बताया कि अगर केवल G लाइन गाढ़ी आए तो करोना 6 सप्ताह के बाद का है जो एंटीबॉडी के रूप में है. ऑडियो एंटीबॉडी 6 से 9 महीने तक रह सकती है.

corona
सुझाव-2

पीएम और सीएम को लिखा पत्र
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह सुझाव दिया था. जिसके बाद उन्होंने उनसे कहा था कि वह लिखित रूप से सुझाव भेजें. इसके बाद उन्होंने अपने सुझावों को लिखकर पीएम, सीएम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य राज्यमंत्री और आईसीएमआर को पत्र के माध्यम से भेजा है.

एक दूसरे के पूरक हैं दोनों टेस्ट
डॉक्टर सत्येंद्र की मानें तो ये दोनों टेस्ट एक दूसरे के पूरक हैं. अगर एंटीजन किट में कोरोना का पता नहीं चलता है तो एंटीबॉडी में पता चल जाएगा. एंटीबॉडी किट से ही दुनिया की सभी संक्रामक बीमारियों जैसे कि एड्स, एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस बी, टाइफाइड आदि सभी का एंटीबॉडी टेस्ट के माध्यम से पता लगाया जा रहा है. इसमें सिर्फ एक बूंद खून की जरूरत पड़ती है और 5 से 10 मिनट में रिपोर्ट पता चल जाता है.

पूरे विश्व में है मान्यता
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि एंटीबॉडी किट की जहां पूरे विश्व में मान्यता है और हमारे दुश्मन देश चाइना जहां से कोरोना निकला, वहां एंटीबॉडी और एंटीजन किट से जांच से ही संक्रमण को काबू में कर लिया गया. ऐसे में उन्होंने आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव और नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल को भी पत्र लिखा है.

बड़ी जनसंख्या में स्क्रीनिंग पीसीआर जांच से संभव नहीं
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि बीमारियों की बड़ी जनसंख्या में स्क्रीनिंग पीसीआर जांच के माध्यम से नहीं की जा सकती है. पीसीआर जीन आधारित टेस्ट है और कोरोना वायरस में हो रहे म्यूटेशन के कारण दूसरे लहर में rt-pcr जांच की एक्यूरेसी काफी घट गई है. यह काफी महंगा टेस्ट भी है. इसलिए जरूरी है कि अधिक से अधिक एंटीजन और एंटीबॉडी जांच पर फोकस किया जाए. इसके लिए महज 20 से 30 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च होगा. जबकि आरटी पीसीआर जांच के लिए प्रत्येक सैंपल पर 15 सौ से अधिक का खर्च आता है.

देखें वीडियो

कौन हैं डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह?
बताते चलें कि डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने कालाजार के लिए रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई थी. बोन मैरो से ट्यूबरक्लोसिस की जांच की खोज भी उन्होंने की थी. यह ब्रिटिश जनरल में प्रकाशित भी हुआ था. उनका दुनिया के ऐसे गिने चुने डॉक्टरों में शुमार हैं जिन्होंने एक लाख से अधिक बोन मैरो टेस्ट किए हैं.

पटनाः प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर का पिक खत्म हो चुका है मगर संक्रमण अभी भी जारी है. इसी बीच तीसरे लहर के आने की संभावना भी प्रबल हो गई है. ऐसे में देश में तीसरे लहर को नियंत्रित करने के लिए पटना चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने एक सुझाव पीएमओ को भेजा है.

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रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराने की अपील
उन्होंने पीएमओ को भेजे अपने सुझाव में अपील की है कि पूरे विश्व में रैपिड एंटीबॉडी किट की मान्यता है. ऐसे में कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट नहीं होना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा है कि अगर संक्रमण के तीसरे लहर को रोकना है तो सरकार को रैपिड एंटीजन किट के साथ-साथ रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट भी एक साथ कराना होगा ताकि जिनका एंटीजन किट में संक्रमण का पता ना चले उनका एंटीबॉडी किट के माध्यम से पता चल जाएगा.

कोरोना के 6 स्टेजों का भी पता चल सकेगा
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि अगर देश में रैपिड एंटीजन और रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट एक साथ हो तो तीसरे लहर को आने से पहले रोका जा सकता है. इस मॉडल से कोरोना के 6 स्टेजों का भी पता चल सकेगा. एंटीबॉडी किट में M और G एंटीबॉडी की लाइन दिखाई पड़ती है. जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है.

कैसे काम करता है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट
अगर हल्के रंग की M लाइन दिखती है तो कोरोना संक्रमण 7 दिनों के आसपास का है. अगर गाढ़े रंग की M लाइन दिखती है तो संक्रमण 1 से 2 सप्ताह के बीच का है. उन्होंने बताया कि अगर गाढ़े रंग की M लाइन और हल्के रंग की G लाइन दिखे तो कोरोना संक्रमण दो से 3 सप्ताह का है. M लाइन और G लाइन अगर दोनों गाढ़ी हो तो संक्रमण 3 से 4 सप्ताह का है.

M लाइन हल्की हो और G लाइन गाढ़ी आए तो कोरोना संक्रमण 4 से 6 सप्ताह का है. उन्होंने बताया कि अगर केवल G लाइन गाढ़ी आए तो करोना 6 सप्ताह के बाद का है जो एंटीबॉडी के रूप में है. ऑडियो एंटीबॉडी 6 से 9 महीने तक रह सकती है.

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सुझाव-2

पीएम और सीएम को लिखा पत्र
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह सुझाव दिया था. जिसके बाद उन्होंने उनसे कहा था कि वह लिखित रूप से सुझाव भेजें. इसके बाद उन्होंने अपने सुझावों को लिखकर पीएम, सीएम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य राज्यमंत्री और आईसीएमआर को पत्र के माध्यम से भेजा है.

एक दूसरे के पूरक हैं दोनों टेस्ट
डॉक्टर सत्येंद्र की मानें तो ये दोनों टेस्ट एक दूसरे के पूरक हैं. अगर एंटीजन किट में कोरोना का पता नहीं चलता है तो एंटीबॉडी में पता चल जाएगा. एंटीबॉडी किट से ही दुनिया की सभी संक्रामक बीमारियों जैसे कि एड्स, एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस बी, टाइफाइड आदि सभी का एंटीबॉडी टेस्ट के माध्यम से पता लगाया जा रहा है. इसमें सिर्फ एक बूंद खून की जरूरत पड़ती है और 5 से 10 मिनट में रिपोर्ट पता चल जाता है.

पूरे विश्व में है मान्यता
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि एंटीबॉडी किट की जहां पूरे विश्व में मान्यता है और हमारे दुश्मन देश चाइना जहां से कोरोना निकला, वहां एंटीबॉडी और एंटीजन किट से जांच से ही संक्रमण को काबू में कर लिया गया. ऐसे में उन्होंने आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव और नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल को भी पत्र लिखा है.

बड़ी जनसंख्या में स्क्रीनिंग पीसीआर जांच से संभव नहीं
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि बीमारियों की बड़ी जनसंख्या में स्क्रीनिंग पीसीआर जांच के माध्यम से नहीं की जा सकती है. पीसीआर जीन आधारित टेस्ट है और कोरोना वायरस में हो रहे म्यूटेशन के कारण दूसरे लहर में rt-pcr जांच की एक्यूरेसी काफी घट गई है. यह काफी महंगा टेस्ट भी है. इसलिए जरूरी है कि अधिक से अधिक एंटीजन और एंटीबॉडी जांच पर फोकस किया जाए. इसके लिए महज 20 से 30 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च होगा. जबकि आरटी पीसीआर जांच के लिए प्रत्येक सैंपल पर 15 सौ से अधिक का खर्च आता है.

देखें वीडियो

कौन हैं डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह?
बताते चलें कि डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने कालाजार के लिए रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई थी. बोन मैरो से ट्यूबरक्लोसिस की जांच की खोज भी उन्होंने की थी. यह ब्रिटिश जनरल में प्रकाशित भी हुआ था. उनका दुनिया के ऐसे गिने चुने डॉक्टरों में शुमार हैं जिन्होंने एक लाख से अधिक बोन मैरो टेस्ट किए हैं.

Last Updated : May 24, 2021, 11:47 AM IST
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