पटना: प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने पराली जलाने वालों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. उन्होंने सभी सीओ, बीडीओ और थानाध्यक्षों को स्थानीय स्तर पर कड़ी नजर रखने का भी निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल की कटाई के बाद किसान फसलों के अवशेषों को खेतों में नहीं जलाएंगे. ऐसा करना मानव स्वास्थ्य ,पर्यावरण और खेतों की पैदावार के खिलाफ है. इस तरह के गैर जिम्मेदाराना कामों पर रोक लगाना तथा विधिसम्मत कार्रवाई करना जरूरी है.
फसल अवशेषों का कुशल प्रबंधन जरुरी
संजय कुमार अग्रवाल ने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों को सशक्त और प्रभावी मॉनिटरिंग करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि प्रमंडल के सभी जिला अधिकारी अपने अपने जिले में खेतों में फसल के अवशेषों में आग लगाने की घटना पर रोक लगाएंगें. साथ ही इस काम की प्रभावी निगरानी करना भी सुनिश्चित करेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि पराली जलाने से खेतों की पैदावार में कमी होती है, जिसके कारण किसानों के फसल में कमी तथा उनकी आर्थिक हानि होती है. इसके अलावा पराली जलाने से पर्यावरणीय संकट, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और खाद्य सुरक्षा का संकट भी पैदा होता है. इसलिए फसल अवशेषों का कुशल प्रबंधन जरुरी है.
पराली जलाने से संबंधित सूचना डीएम को देने का अनुरोध
प्रमंडलीय आयुक्त ने आम लोगों से अपने जिले में पराली जलाने से संबंधित सूचना अपने जिले के डीएम को देने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत किसान कॉल सेंटर 1800 180 1551 पर भी की जा सकती है. पराली जलाने से मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्वों का नुकसान होता है. इससे मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस ,पोटैशियम सहित कई अन्य पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. फसल अवशेष को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड सहित कई जहरीली गैसें निकलती हैं जिससे वायु प्रदूषित होती है, इससे मानव स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है.