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बोले जिला सत्र न्यायाधीश- 'जन-जन तक कानूनी चेतना को फैलाना हमारा उद्देश्य' - जिला सत्र न्यायाधीश

जिला सत्र न्यायाधीश ने कानूनी अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने के कार्यक्रम विधिक दिवस का धनरुआ में समापन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि 'हर किसी को कानून का अधिकार जानना बेहद जरूरी है.'

पटना
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Published : Nov 14, 2021, 5:07 PM IST

पटना: आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amruta Mahotsav) के उपलक्ष में चल रहे विधिक जागरूकता कार्यक्रम के मौके पर लोगों को कानूनी अधिकार के बारे में जागरूक किया गया. कानूनी अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने के कार्यक्रम विधिक दिवस का धनरुआ में समापन हुआ. इस कार्यक्रम के तहत जिला सत्र न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्रा ने विधिवत इसका समापन किया और लोगों से अपील करते हुए कहा कि हर किसी को कानून का अधिकार जानना बेहद जरूरी है.

ये भी पढ़ें- 'अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को कानूनी सुरक्षा प्रदान कराना विधिक जागरुकता अभियान का लक्ष्य'

''अमृत महोत्सव के उपलक्ष में चलाए जा रहे विधिक जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य यही है कि गांव के हर गरीब लाचार दबे कुचले के पास न्याय पहुंचे. उन्हें उनके कानूनी अधिकार के बारे में जागरूक करने के अलावा हर तरह की सहायता पहुंचाना हमारा उद्देश्य है''- सुनील दत्त मिश्रा, जिला सत्र न्यायाधीश, पटना

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि गांव के गरीबों तक न्याय उनके दरवाजे तक पहुंचे उनके कानूनी अधिकार को बताना हम लोगों का मकसद है. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में चलाए जा रहे विधिक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ने 2 अक्टूबर को पूरे देश भर में गांव-गांव तक विधिक सहायता दिवस के तहत उन सभी तक जागरूकता अभियान की शुरुआत की थी, जिसको लेकर 14 नवंबर को इसका समापन किया गया है.

देखें वीडियो

पटना जिले के धनरूआ के जमालपुर गांव में जिला सत्र न्यायाधीश पहुंचे. जहां पर जिला सत्र न्यायाधीश ने विधिवत कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए लोगों को संबोधित करते हुए पूरे कार्यक्रम का समापन किया और कहा कि देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक गुजर गए हैं, लेकिन आज भी सबको न्याय नहीं मिल पा रहा है. दलित वंचित वर्ग के लोग आज भी शोषित हो रहे हैं, उन्हें संविधान से मिला अधिकार का लाभ नहीं मिल रहा है, लोग लाचार और बेहाल हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें निरक्षरता भी एक बड़ा कारण हैं. इसके लिए कानूनी जागरूकता के लिए जन पहल जरूरी है.

दूसरी तरफ राज्य के लोगों को साथ मिलकर काम करना होगा. इस प्रकार राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है. इसका उद्देश्य लोक अदालतों का आयोजन और लोगों को कानूनी सलाह उपलब्ध कराना है. जन-जन तक कानूनी साक्षरता और कानूनी चेतना फैलाना इस पूरे उद्देश का मकसद है और इसके लिए जन पहल के लिए आवश्यक है.

ये भी पढ़ें- बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी, पटना HC के चीफ जस्टिस ने किया उद्घाटन

उन्होंने कहा कि गांव-गांव तक कोर्ट आपके दरवाजे तक जाएगा, विधिक सहायता के जरिए सरकारी खर्च पर अधिवक्ता उपलब्ध कराए जाते हैं. मुकदमे की कोर्ट फीस माफ की जाती है, न्यायालय के समक्ष विचाराधीन मामले में कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है, इसके तहत अनुसूचित जाति जनजाति और महिलाएं बच्चे मानसिक रोगी एवं विकलांग किन्नर लोगों को वरीयता के साथ मदद की जाती है.

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तहत चल रहे पूरे देशभर में अमृत महोत्सव के उपलक्ष में विधिक जागरूकता अभियान का समापन किया गया. इस मौके पर जिला सत्र न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्रा ने कार्यक्रम का समापन किया. एडीजी त्रिलोकी नाथ दुबे, एडीजे विजय कुमार, एडीजे राजीव रंजन, सीजीएम ब्रज किशोर सिंह, मसौढ़ी सिविल कोर्ट के जीएम बी एन त्रिपाठी और जीएम कपिल देव इसके अलावा व्यवहार न्यायालय पटना के सभी डीएलएसए अधिवक्तागण शामिल रहे.

पटना: आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amruta Mahotsav) के उपलक्ष में चल रहे विधिक जागरूकता कार्यक्रम के मौके पर लोगों को कानूनी अधिकार के बारे में जागरूक किया गया. कानूनी अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने के कार्यक्रम विधिक दिवस का धनरुआ में समापन हुआ. इस कार्यक्रम के तहत जिला सत्र न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्रा ने विधिवत इसका समापन किया और लोगों से अपील करते हुए कहा कि हर किसी को कानून का अधिकार जानना बेहद जरूरी है.

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''अमृत महोत्सव के उपलक्ष में चलाए जा रहे विधिक जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य यही है कि गांव के हर गरीब लाचार दबे कुचले के पास न्याय पहुंचे. उन्हें उनके कानूनी अधिकार के बारे में जागरूक करने के अलावा हर तरह की सहायता पहुंचाना हमारा उद्देश्य है''- सुनील दत्त मिश्रा, जिला सत्र न्यायाधीश, पटना

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि गांव के गरीबों तक न्याय उनके दरवाजे तक पहुंचे उनके कानूनी अधिकार को बताना हम लोगों का मकसद है. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में चलाए जा रहे विधिक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ने 2 अक्टूबर को पूरे देश भर में गांव-गांव तक विधिक सहायता दिवस के तहत उन सभी तक जागरूकता अभियान की शुरुआत की थी, जिसको लेकर 14 नवंबर को इसका समापन किया गया है.

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पटना जिले के धनरूआ के जमालपुर गांव में जिला सत्र न्यायाधीश पहुंचे. जहां पर जिला सत्र न्यायाधीश ने विधिवत कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए लोगों को संबोधित करते हुए पूरे कार्यक्रम का समापन किया और कहा कि देश को आजाद हुए 70 साल से अधिक गुजर गए हैं, लेकिन आज भी सबको न्याय नहीं मिल पा रहा है. दलित वंचित वर्ग के लोग आज भी शोषित हो रहे हैं, उन्हें संविधान से मिला अधिकार का लाभ नहीं मिल रहा है, लोग लाचार और बेहाल हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें निरक्षरता भी एक बड़ा कारण हैं. इसके लिए कानूनी जागरूकता के लिए जन पहल जरूरी है.

दूसरी तरफ राज्य के लोगों को साथ मिलकर काम करना होगा. इस प्रकार राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है. इसका उद्देश्य लोक अदालतों का आयोजन और लोगों को कानूनी सलाह उपलब्ध कराना है. जन-जन तक कानूनी साक्षरता और कानूनी चेतना फैलाना इस पूरे उद्देश का मकसद है और इसके लिए जन पहल के लिए आवश्यक है.

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उन्होंने कहा कि गांव-गांव तक कोर्ट आपके दरवाजे तक जाएगा, विधिक सहायता के जरिए सरकारी खर्च पर अधिवक्ता उपलब्ध कराए जाते हैं. मुकदमे की कोर्ट फीस माफ की जाती है, न्यायालय के समक्ष विचाराधीन मामले में कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है, इसके तहत अनुसूचित जाति जनजाति और महिलाएं बच्चे मानसिक रोगी एवं विकलांग किन्नर लोगों को वरीयता के साथ मदद की जाती है.

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तहत चल रहे पूरे देशभर में अमृत महोत्सव के उपलक्ष में विधिक जागरूकता अभियान का समापन किया गया. इस मौके पर जिला सत्र न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्रा ने कार्यक्रम का समापन किया. एडीजी त्रिलोकी नाथ दुबे, एडीजे विजय कुमार, एडीजे राजीव रंजन, सीजीएम ब्रज किशोर सिंह, मसौढ़ी सिविल कोर्ट के जीएम बी एन त्रिपाठी और जीएम कपिल देव इसके अलावा व्यवहार न्यायालय पटना के सभी डीएलएसए अधिवक्तागण शामिल रहे.

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