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बिहार बजट को लेकर पटना HC के वकीलों में नाराजगी, मांग नहीं माने जाने पर अधिवक्ता संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी - bihar news

पटना हाईकोर्ट के वकीलों (Patna High Court Lawyers) में बिहार बजट को लेकर नाराजगी है. हाईकोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघ के समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा ने बजट को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि बजट में वकीलों के हितों के लिए किसी तरह का प्रावधान नहीं रखा गया है. इससे वकील समुदाय अपने को ठगा, हताश और निराश महसूस कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार बजट को लेकर पटना HC के वकीलों में नाराजगी
बिहार बजट को लेकर पटना HC के वकीलों में नाराजगी
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Published : Mar 1, 2022, 9:20 PM IST

पटना: बिहार के बजट को लेकर वकीलों में नाराजगी (Dissatisfied HC Lawyers Regarding Bihar Budget) है. बिहार के बजट में वकीलों के लिए कल्याणार्थ प्रावधान नहीं किये जाने पर पटना हाईकोर्ट के वकीलों ने नाराजगी और गहरा असंतोष व्यक्त किया है. हाईकोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के समन्वय समिति के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा इस स्थिति पर गहरा आक्रोश जाहिर किया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य के सवा लाख वकील कानून के तहत इसके विरोध में बड़ा आंदोलन कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- रेलवे के पार्सल हैंडलिंग निविदा मामले पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई, अगले आदेश तक टेंडर पर रोक

'वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल हाल में ही राज्य के विधि मंत्री से मिला था. राज्य की अदालतों में वकीलों के लिए अदालत परिसर में बैठने की समुचित व्यवस्था, लाइब्रेरी, शौचालय व आधुनिक तकनीक मुहैया कराने समेत अन्य मांगे रखी थी. वकीलों के प्रतिनिधिमंडल को विधि मंत्री द्वारा उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन भी दिया गया था. उनके मांगों के समर्थन में दिए गए ज्ञापन को राज्य के विधि मंत्री द्वारा राज्य के वित्त मंत्री को भी अग्रसारित किया गया था.' - योगेश चंद्र वर्मा, अध्यक्ष सह वरीय अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट संघ समन्वय समिति

वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि इसके बावजूद बजट में वकीलों के हितों के लिए किसी तरह का प्रावधान नहीं रखा गया है. इससे वकील समुदाय अपने को ठगा, हताश और निराश महसूस कर रहा है. वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा दिये गए बयान का हवाला देते हुए कहा कि चीफ जस्टिस ने भी अपने बयान में कहा है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी वकीलों के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है. उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि यदि पूरक बजट में वकीलों के लिए उचित प्रावधान नहीं किया जाता है तो वकील आंदोलन पर जाने को मजबूर हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर राज्य सरकार की होगी. जहां एक ओर कोविड की वजह से अन्य क्षेत्रों में अतिरिक्त सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है. वहीं वकीलों की बराबर उपेक्षा की जा रही है. वकील के साथ ही साथ उनके मुंशी व वेंडर समेत राज्य के तकरीबन 20 से 25 लाख लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- पटना HC ने बियाडा आवंटित भूमि के 139 यूनिटों पर शीघ्र निर्णय लेने का दिया निर्देश

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पटना: बिहार के बजट को लेकर वकीलों में नाराजगी (Dissatisfied HC Lawyers Regarding Bihar Budget) है. बिहार के बजट में वकीलों के लिए कल्याणार्थ प्रावधान नहीं किये जाने पर पटना हाईकोर्ट के वकीलों ने नाराजगी और गहरा असंतोष व्यक्त किया है. हाईकोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के समन्वय समिति के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा इस स्थिति पर गहरा आक्रोश जाहिर किया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य के सवा लाख वकील कानून के तहत इसके विरोध में बड़ा आंदोलन कर सकते हैं.

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'वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल हाल में ही राज्य के विधि मंत्री से मिला था. राज्य की अदालतों में वकीलों के लिए अदालत परिसर में बैठने की समुचित व्यवस्था, लाइब्रेरी, शौचालय व आधुनिक तकनीक मुहैया कराने समेत अन्य मांगे रखी थी. वकीलों के प्रतिनिधिमंडल को विधि मंत्री द्वारा उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन भी दिया गया था. उनके मांगों के समर्थन में दिए गए ज्ञापन को राज्य के विधि मंत्री द्वारा राज्य के वित्त मंत्री को भी अग्रसारित किया गया था.' - योगेश चंद्र वर्मा, अध्यक्ष सह वरीय अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट संघ समन्वय समिति

वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि इसके बावजूद बजट में वकीलों के हितों के लिए किसी तरह का प्रावधान नहीं रखा गया है. इससे वकील समुदाय अपने को ठगा, हताश और निराश महसूस कर रहा है. वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा दिये गए बयान का हवाला देते हुए कहा कि चीफ जस्टिस ने भी अपने बयान में कहा है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी वकीलों के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है. उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि यदि पूरक बजट में वकीलों के लिए उचित प्रावधान नहीं किया जाता है तो वकील आंदोलन पर जाने को मजबूर हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर राज्य सरकार की होगी. जहां एक ओर कोविड की वजह से अन्य क्षेत्रों में अतिरिक्त सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है. वहीं वकीलों की बराबर उपेक्षा की जा रही है. वकील के साथ ही साथ उनके मुंशी व वेंडर समेत राज्य के तकरीबन 20 से 25 लाख लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

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