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शराबबंदी और जातीय जनगणना पर एनडीए में मतभेद गहराया, सहयोगियों के तेवर से बढ़ी नीतीश की मुश्किलें - ईटीवी न्यूज

बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) का मामला हो या बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) कराने का मसला हो, एनडीए में मतभेद (Dispute in NDA) साफ तौर पर नजर आते हैं. बीजेपी और हम पार्टी के नेताओं के बयान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ा दी है. ऐसे में आने वाले वक्त में सामंजस्य बनाकर रखना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि मतभेद तो है लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव तक सभी दल समझदारी से ही काम लेंगे, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. पढ़ें खास रिपोर्ट...

एनडीए में मतभेद गहराया
एनडीए में मतभेद गहराया
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Published : Dec 9, 2021, 10:16 PM IST

पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और नीतीश कुमार के हाथ में सूबे की कमान है. सरकार की कार्यप्रणाली से बीजेपी खेमे में बेचैनी है. पिछले कुछ समय से कई मुद्दों पर दोनों दलों के बीच मतभेद भी है. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पहले तो बिहार में गिरती विधि-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए. उसके बाद फिर बिहार में शराबबंदी की समीक्षा (Review of Liquor Ban in Bihar) की वकालत कर दी. मंत्री जीवेश मिश्रा प्रकरण में भी उन्होंने सवाल उठाए हैं. राज्य में ब्यूरोक्रेसी को लेकर भी बीजेपी नेता सवाल उठाते रहे हैं. बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) कराने को लेकर भी जेडीयू को बिहार बीजेपी का साथ नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: RJD-JDU को BJP की दो टूक, 'केंद्र सरकार नहीं कराएगी जातीय जनगणना, खुद से करा लें CM नीतीश'

दरअसल, बीजेपी और जेडीयू में मतभेद (Difference Between BJP and JDU) कई मुद्दों को लेकर है. बीजेपी के कुछ कद्दावर नेता और मंत्री अपने क्षेत्र या विभाग में अपने पसंद का अधिकारी चाहते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. दूसरा बात ये है कि बिहार बीजेपी की तरफ से नीतीश सरकार पर इस बात के लिए दबाव है कि बिहार में बोर्ड निगम आयोग और 20 सूत्री का गठन किया जाए.

देखें रिपोर्ट

ताजा विवाद जातीय जनगणना को लेकर है. नीतीश कुमार जहां जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं बीजेपी इसको लेकर उत्साहित नहीं है. पार्टी नेताओं का मानना है कि जातीय जनगणना से कोई फायदा होने वाला नहीं है. कुछ राज्यों ने कराए थे, उसका नतीजा कुछ नहीं निकला. बीजेपी प्रवक्ता अजफर शम्शी ने कहा है कि जातीय जनगणना और शराबबंदी को लेकर पार्टी नेताओं ने बयान दिए हैं. सबकी अपनी अपनी राय है, लेकिन मेरा मानना है कि जातीय जनगणना से बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है.

"जातीय जनगणना और शराबबंदी को लेकर पार्टी नेताओं ने बयान दिए हैं. सबकी अपनी अपनी राय है, लेकिन मेरा मानना है कि जातीय जनगणना से बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है"- अजफर शम्शी, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

उधर, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने भी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत सिर्फ गरीब जेल में हैं. अमीर और ताकतवर लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बजाय सीमित शराबबंदी होनी चाहिए.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि पूर्ण शराबबंदी के बजाय बिहार में सीमित शराबबंदी होनी चाहिए. इससे राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा. भले ही ऊपर से लग रहा है कि यह ठीक है, लेकिन लोग अंदर-अंदर व्याकुल हैं"- जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार

एनडीए में मतभेद की खबरों को हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने खारिज किया है. उन्होंने कहा कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है. एनडीए के अंदर अलग-अलग दल हैं और सभी की अलग-अलग राय हो सकती है. जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि जातीय जनगणना और शराबबंदी के मसले पर सभी दलों ने मिलकर प्रस्ताव पारित किया है, कहीं से कोई दिक्कत नहीं है.

"एनडीए पूरी तरह एकजुट है, कहीं कोई मतभेद नहीं है. एनडीए के अंदर अलग-अलग दल हैं और सभी की अलग-अलग राय हो सकती है. जातीय जनगणना और शराबबंदी के मसले पर सभी दलों ने मिलकर प्रस्ताव पारित किया है, इसलिए कहीं से कोई मतभेद की बात नहीं है"- अभिषेक झा, प्रवक्ता, बिहार जेडीयू

ये भी पढ़ें: पूर्ण शराबबंदी वापस ले सरकार, बोले मांझी- सीमित शराबबंदी पर हो विचार

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि बिहार एनडीए में शामिल छोटे दल दबाव की राजनीति कर रहे हैं. हालांकि बीजेपी और जेडीयू के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरे मतभेद तो हैं. संभव है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में उलटफेर हो.

"बिहार की एनडीए सरकार में शामिल छोटे दल दबाव की राजनीति कर रहे हैं. वैसे बीजेपी और जेडीयू के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरे मतभेद जरूर हैं. ये भी संभव है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में उलटफेर देखने को मिले"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

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पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और नीतीश कुमार के हाथ में सूबे की कमान है. सरकार की कार्यप्रणाली से बीजेपी खेमे में बेचैनी है. पिछले कुछ समय से कई मुद्दों पर दोनों दलों के बीच मतभेद भी है. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पहले तो बिहार में गिरती विधि-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए. उसके बाद फिर बिहार में शराबबंदी की समीक्षा (Review of Liquor Ban in Bihar) की वकालत कर दी. मंत्री जीवेश मिश्रा प्रकरण में भी उन्होंने सवाल उठाए हैं. राज्य में ब्यूरोक्रेसी को लेकर भी बीजेपी नेता सवाल उठाते रहे हैं. बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) कराने को लेकर भी जेडीयू को बिहार बीजेपी का साथ नहीं मिल रहा है.

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दरअसल, बीजेपी और जेडीयू में मतभेद (Difference Between BJP and JDU) कई मुद्दों को लेकर है. बीजेपी के कुछ कद्दावर नेता और मंत्री अपने क्षेत्र या विभाग में अपने पसंद का अधिकारी चाहते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. दूसरा बात ये है कि बिहार बीजेपी की तरफ से नीतीश सरकार पर इस बात के लिए दबाव है कि बिहार में बोर्ड निगम आयोग और 20 सूत्री का गठन किया जाए.

देखें रिपोर्ट

ताजा विवाद जातीय जनगणना को लेकर है. नीतीश कुमार जहां जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं बीजेपी इसको लेकर उत्साहित नहीं है. पार्टी नेताओं का मानना है कि जातीय जनगणना से कोई फायदा होने वाला नहीं है. कुछ राज्यों ने कराए थे, उसका नतीजा कुछ नहीं निकला. बीजेपी प्रवक्ता अजफर शम्शी ने कहा है कि जातीय जनगणना और शराबबंदी को लेकर पार्टी नेताओं ने बयान दिए हैं. सबकी अपनी अपनी राय है, लेकिन मेरा मानना है कि जातीय जनगणना से बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है.

"जातीय जनगणना और शराबबंदी को लेकर पार्टी नेताओं ने बयान दिए हैं. सबकी अपनी अपनी राय है, लेकिन मेरा मानना है कि जातीय जनगणना से बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है"- अजफर शम्शी, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

उधर, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने भी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत सिर्फ गरीब जेल में हैं. अमीर और ताकतवर लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बजाय सीमित शराबबंदी होनी चाहिए.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि पूर्ण शराबबंदी के बजाय बिहार में सीमित शराबबंदी होनी चाहिए. इससे राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा. भले ही ऊपर से लग रहा है कि यह ठीक है, लेकिन लोग अंदर-अंदर व्याकुल हैं"- जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार

एनडीए में मतभेद की खबरों को हालांकि जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने खारिज किया है. उन्होंने कहा कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है. एनडीए के अंदर अलग-अलग दल हैं और सभी की अलग-अलग राय हो सकती है. जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि जातीय जनगणना और शराबबंदी के मसले पर सभी दलों ने मिलकर प्रस्ताव पारित किया है, कहीं से कोई दिक्कत नहीं है.

"एनडीए पूरी तरह एकजुट है, कहीं कोई मतभेद नहीं है. एनडीए के अंदर अलग-अलग दल हैं और सभी की अलग-अलग राय हो सकती है. जातीय जनगणना और शराबबंदी के मसले पर सभी दलों ने मिलकर प्रस्ताव पारित किया है, इसलिए कहीं से कोई मतभेद की बात नहीं है"- अभिषेक झा, प्रवक्ता, बिहार जेडीयू

ये भी पढ़ें: पूर्ण शराबबंदी वापस ले सरकार, बोले मांझी- सीमित शराबबंदी पर हो विचार

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि बिहार एनडीए में शामिल छोटे दल दबाव की राजनीति कर रहे हैं. हालांकि बीजेपी और जेडीयू के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरे मतभेद तो हैं. संभव है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में उलटफेर हो.

"बिहार की एनडीए सरकार में शामिल छोटे दल दबाव की राजनीति कर रहे हैं. वैसे बीजेपी और जेडीयू के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरे मतभेद जरूर हैं. ये भी संभव है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में उलटफेर देखने को मिले"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

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