पटना: शरद पूर्णिमा के खत्म होते ही कल्पवास मेले की शुरूआत हो जाती है. जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. क्योंकि इस महीने सारे देवी-देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है. मतलब 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं. इस महीने को त्यौहारों का महीना भी कहा जाता है. लक्ष्मी पूजा छठ पूजा, दीप पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे उत्सव मनाए जाते हैं.
आकृति बनाकर पूजा करती हैं महिलाएं
बैकुंठ चतुर्दशी में महिलाएं आकृति बनाकर पूजा करती हैं. मान्यता है कि यहां पर जो भी आकृति बनाकर घर बनाए गए हैं. उन्हें बैकुंठ में भी ऐसे ही घर मिलेंगे. आज महिलाएं तुलसी पूजन करती हैं. कहा जाता है कि आज तुलसी पूजन करने से विशेष लाभ मिलता है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास बैकुंठ चतुर्दशी को तुलसी पूजन करने से सुख समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है. वहींं, कई महिलाएं आज दान पुण्य करती हैं. शाम को गंगा नदी में दीया दान करने की प्रथा भी है.
अलखनाथ घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
कार्तिक माह के बैकुंठ चतुर्दशी को लेकर अलखनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. दूर-दूर से आए श्रद्धालु अलखनाथ घाट पहुंचकर गंगा स्नान कर पूजा पाठ कर रहे हैं. वहीं, इस मौके पर महिलाओं ने गंगा स्नान कर कार्तिक मास की व्रत कथा भी सुनी. कार्तिक मास एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इसे करने से ग्रह गोचर और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. कल से महिलाएं 5 दिन फल पर रहेंगी. और कई महिलाएं 5 दिन फल पर आकर 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा में अपना पारन करेंगी. कुछ महिलाएं 12 नवंबर को पूर्णिमा के दिन कदम के पेड़ की पूजा करती हैं. कल से महिलाएं 5 दिन फल पर रहती हैं, इसे पांच भीखन कहा जाता है. एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु नींद से जागे थे. वहीं, स्थानीय लोगों के जरिए घाट पर पूजा पाठ की सामग्री सहित सिंगार के दुकान लगाई गई हैं.
उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान करने का खास महत्व
इस महीने उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान करने का खास महत्व है. लोग 1 महीने के लिए बनारस सिमरिया बाढ़ के उमा नाथधाम और बाढ़ के अलखनाथ धाम चले आते हैं. 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा पाठ करते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने की अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.