पटना: बिहार विधानसभा के सत्र चलने के दौरान अलग-अलग संगठन और संस्थान अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन करते हैं. उनकी कोशिश होती है कि सरकार पर दबाव बना कर अपनी मांगें पूरी करवाई जा सकेंं. हालांकि इस बार कोरोना वायरस ने आंदोलनकारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया और उनकी हसरतें धरी की धरी रह गई.
भंवर में फंसा शिक्षक आंदोलन
विधानसभा सत्र के दौरान अलग अलग संगठन आंदोलन करते हैं और उनसे जुड़े मुद्दे सदन में उठाए जाते हैं. इस बजट सत्र के दौरान भी शिक्षक और आंगनबाड़ी सेविका सरीखे कई संगठन आंदोलनरत थे. सत्र में उनके मुद्दों को भी उठाया जा रहा था लेकिन कोरोना वायरस ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. तय समय से पहले ही सत्र को खत्म कर दिया गया.
'शिक्षकों की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार हो'
माले विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा की हम आंदोलनकारियों और किसानों की आवाज को उठाते रहेंगे. सीएम नीतीश कुमार से भी मुलाकात कर हमने अनुरोध किया है कि शिक्षकों की जो जायज मांगे हैं उनपर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाए और उसे पूरा किया जाए.