पटना: बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. महागठबंधन को छोड़कर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी मंगलवार को अलग हो गई. इसके बाद आरजेडी ने कांग्रेस को जिद छोड़ने की अपील की है. आरजेडी ने कहा कि हठधर्मिता में नुकसान ना हो जाए.
इधर, सूत्रों का कहना है कि आरजेडी ने कांग्रेस को 58 विधानसभा सीटें और वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र देने का फॉर्मूला दिया है. हालांकि, कांग्रेस 70 से अधिक सीटों की मांग पर अड़ी है.
बिहार के शीर्ष नेताओं को बुलाया दिल्ली
इस बीच, कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि हाईकमान ने बिहार इकाई और कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता को सीटों पर अंतिम निर्णय के लिए दिल्ली बुलाया गया है. वहीं, बिहार की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की स्क्रीनिंग कमेटी भी बुधवार दोपहर 3 बजे बैठक करेगी.
क्या है सीट शेयरिंग का फॉर्मूला
सूत्रों की माने तो आरजेडी 243 सीटों में से करीब 150 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. कांग्रेस को करीब 70 सीटें मिलेंगी और वाम दलों को लगभग 20 सीटें दी जाएंगी.
लेफ्ट को सम्मानजनक सीटें मिलने की उम्मीद
दूसरी तरफ लेफ्ट सूत्रों की माने तो, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई एमएल कुल मिलाकर 30 से 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहते हैं, लेकिन अभी तक कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन वाले महागठबंधन से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है.
मांझी और कुशवाहा हो चुके हैं अलग
बता दें कि हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी और आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन का साथ छोड़ चुके हैं. मांझी नीतीश कुमार से जाकर मिल गए और कुशवाहा अब बीएसपी के साथ गठबंधन में बिहार का चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में महागठबंधन के दूसरे घटक दल वामपंथी पार्टियों को सम्मानजनक सीटें मिलने की उम्मीद है.