पटना: बिहार के आइंस्टीन वशिष्ठ बाबू के निधन से देश में शोक की लहर है. उनके निधन के बाद परिजनों को शोक-संवेदना देने वालों का तांता लगा हुआ है. उनसे जुड़ें लोगों के बयान भी सामने आ रहे हैं. एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह के विद्वानता का दुनिया ने लाभ नहीं लिया. भारत ने तो नहीं ही लिया. सही ढंग से उनका इलाज भी नहीं कराया गया.
उन्होंने कहा कि हम लोग ऑल इंडिया सोशल साइंस कांग्रेस में गणितज्ञों की समिति की तरफ से गणित पर कुछ करना चाहते थे. वशिष्ठ नारायण सिंह से गणित के लिए कुछ निकालना चाहते थे. इसके लिए उनसे मुलाकात भी की थी लेकिन उनके निधन की खबर सुनने के बाद धक्का लगा है.
'कुछ दिनों पहले हुई थी मुलाकात'
उन्होंने कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह विशिष्ट प्रतिभा के धनी थे. ऐसे लोग बार-बार नहीं पैदा होते हैं. उन्होंने कहा की वशिष्ठ बाबू की प्रतिभा हम लोग सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाए. उन्होंने कहा कि हाल में वशिष्ठ बाबू से मुलाकात भी हुई थी. ऑल इंडिया सोशल साइंस कांग्रेस में गणितज्ञों की समिति है. उसके माध्यम से गणित और गणित के लिए वशिष्ठ नारायण सिंह से कुछ निकालना चाहते थे. उस पर काम भी शुरू हुआ था. उनके निधन से यह योजना अधूरी रह गई. शायद प्रकृति को यह मंजूर नहीं था.
'कागज, कलम से नहीं टूटा था नाता'
डीएम दिवाकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति का व्यक्ति और इतना महान गणितज्ञ अपना ठीक से इलाज भी नहीं करा पाया. उन्होंने कहा कि वह कई सालों से अपने घर में ही उपेक्षित जीवन जी रहे थे. कागज, कलम से उनका नाता अभी टूटा नहीं था. उन्होंने कहा कि उनके नाम पर गणित और गणितज्ञों के लिए हम लोग जो कुछ करना चाहते थे. आगे जो भी संभव होगा करेंगे.