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4 अप्रैल को पटना में पर्यावरण पर पैनल डिस्कशन, देश भर से जुटेंगे विशेषज्ञ - Panel Discussion In Patna

देश और खासकर बिहार में पर्यावरण में लगातार कई तरह के बदलाव (Climate Change In Bihar) देखने को मिल रहे हैं. इन बदलाओं पर पटना में एक बड़ा कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है. कॉन्फ्रेंस को लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है. पढ़ें पूरी खबर..

पैनल डिस्कशन
पैनल डिस्कशन
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Published : May 2, 2022, 10:07 PM IST

पटना: 4 अप्रैल को राजधानी पटना में देश भर से पर्यावरण विशेषज्ञ जुटेंगे. वे अरण्य भवन में आयोजित होने वाले जलवायु परिवर्तन का भारत और बिहार पर असर के मुद्दे पर पैनल डिस्कशन (Climate Change Panel Discussion In Patna) में हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम के दौरान आईपीसीसी रिपोर्ट 2022 पर विशेष रूप से चर्चा होगी. कार्यक्रम का आयोजन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद और काउंसिल ऑफ एनर्जी एनवायरमेंट एंड वाटर सहित कई एजेंसियों के सहयोग से होगा.

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1998 में बना था इंटरगवर्नमेंटल पैनलः बता दें कि वर्ष 1998 विश्व मौसम संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने एक साथ आकर जलवायु परिवर्तन पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल स्थापित किया था ताकि जलवायु परिवर्तन संबंधी वैज्ञानिक तथ्यों को जुटाया जा सके. इसके माध्यम से दुनिया भर में सरकारों को उनकी जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियां बनाने में मदद की जा सके. आईपीसीसी को तीन कार्य समूह जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार भौतिक विज्ञान, अनुकूलन और शमन में बांटा गया है.


195 देश हैं आईपीसीसी मेंः वर्तमान में आईपीसीसी के सदस्यों में 195 देश शामिल है. इसकी रिपोर्ट को वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपायों के बारे में चर्चा के लिए अहम माना जाता है. बता दें कि आईपीसीसी ने अपनी पहली मूल्यांकन रिपोर्ट 1990 में प्रकाशित की थी. वर्ष 2021 में आईपीसीसी की ओर से जलवायु परिवर्तन पर अपने छठे मूल्यांकन रिपोर्ट का पहला भाग जारी किया गया था. उसका दूसरा भाग फरवरी 2022 और तीसरा भाग अप्रैल 2022 में जारी किया गया है.

3.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने का अनुमानः जलवायु परिवर्तन संबंधी वर्किंग ग्रुप-3 की रिपोर्ट कहती है कि विभिन्न देशों की वर्तमान नीतियों के कार्यान्वयन और परिणामों के अनुरूप जो भी रणनीति अपनाए जाने वाले उपाय हैं, उनके आधार पर वर्ष 2100 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में औसत तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस से लेकर 3.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने का अनुमान है. समेकित रूप से राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों से होने वाला अनुमानित वैश्विक उत्सर्जन वैश्विक तापमान बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य को पहुंच या क्षमता से बाहर बताता है और 2030 के बाद ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को मुश्किल बताता है.

पढ़ें-कैमूर वन्य जीवन अभयारण्य को टाइगर रिजर्व की मंजूरी, बिहार में 31 बाघ मौजूद.. पिछले 3 साल में 6 की मौत

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पटना: 4 अप्रैल को राजधानी पटना में देश भर से पर्यावरण विशेषज्ञ जुटेंगे. वे अरण्य भवन में आयोजित होने वाले जलवायु परिवर्तन का भारत और बिहार पर असर के मुद्दे पर पैनल डिस्कशन (Climate Change Panel Discussion In Patna) में हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम के दौरान आईपीसीसी रिपोर्ट 2022 पर विशेष रूप से चर्चा होगी. कार्यक्रम का आयोजन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद और काउंसिल ऑफ एनर्जी एनवायरमेंट एंड वाटर सहित कई एजेंसियों के सहयोग से होगा.

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1998 में बना था इंटरगवर्नमेंटल पैनलः बता दें कि वर्ष 1998 विश्व मौसम संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने एक साथ आकर जलवायु परिवर्तन पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल स्थापित किया था ताकि जलवायु परिवर्तन संबंधी वैज्ञानिक तथ्यों को जुटाया जा सके. इसके माध्यम से दुनिया भर में सरकारों को उनकी जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नीतियां बनाने में मदद की जा सके. आईपीसीसी को तीन कार्य समूह जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार भौतिक विज्ञान, अनुकूलन और शमन में बांटा गया है.


195 देश हैं आईपीसीसी मेंः वर्तमान में आईपीसीसी के सदस्यों में 195 देश शामिल है. इसकी रिपोर्ट को वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपायों के बारे में चर्चा के लिए अहम माना जाता है. बता दें कि आईपीसीसी ने अपनी पहली मूल्यांकन रिपोर्ट 1990 में प्रकाशित की थी. वर्ष 2021 में आईपीसीसी की ओर से जलवायु परिवर्तन पर अपने छठे मूल्यांकन रिपोर्ट का पहला भाग जारी किया गया था. उसका दूसरा भाग फरवरी 2022 और तीसरा भाग अप्रैल 2022 में जारी किया गया है.

3.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने का अनुमानः जलवायु परिवर्तन संबंधी वर्किंग ग्रुप-3 की रिपोर्ट कहती है कि विभिन्न देशों की वर्तमान नीतियों के कार्यान्वयन और परिणामों के अनुरूप जो भी रणनीति अपनाए जाने वाले उपाय हैं, उनके आधार पर वर्ष 2100 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में औसत तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस से लेकर 3.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने का अनुमान है. समेकित रूप से राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों से होने वाला अनुमानित वैश्विक उत्सर्जन वैश्विक तापमान बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य को पहुंच या क्षमता से बाहर बताता है और 2030 के बाद ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को मुश्किल बताता है.

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