पटना: बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर सियासत तेज है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का शराबबंदी पर बयान भी तूल पकड़ने लगा है. उनके बयान के बाद कांग्रेस ने शराबबंदी कानून को अदूरदर्शी बताया है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता ने इसे समाज सुधार का कार्य बताया है. कहा है कि इससे समाज को काफी फायदा हो रहा है. मुख्य न्यायाधीश ने जो कहा है वो सिर्फ बिहार के शराबबंदी कानून को लेकर नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों के और कानून के परिपेक्ष्य में कहा है. विपक्ष कुछ भी कहे शराबबंदी कानून का समर्थन बिहार के लोग लागातर कर रहे हैं.
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'शराबबंदी लागू करते वक्त हमलोगों ने भी समर्थन किया था. लेकिन जो तरीका है, उसपर बराबर हमलोग बात कहते रहे है कि बिहार में बड़ी मछलियां नहीं पकड़े जा रहे हैं. छोटी मछलियों को पकड़ कर सरकार इस शराबबंदी को सफल बताती आ रही है, जो कि गलत है. शराबबंदी कानून को लेकर जो बात मुख्य न्यायाधीश ने कहा है वो सही है. शराबबंदी का समर्थन कांग्रेस अभी भी कर रही है, लेकिन इस तरह की शराबबंदी उचित नहीं है. सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए.' -मदन मोहन झा, कांग्रेस अध्यक्ष
उन्होंने कहा कि हमलोग बार-बार ये बात कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री जो बात लोगों को बता रहे हैं, वैसे हालात बिहार में नहीं हैं. खुलेआम शराब बिक रही है. सरकार में बैठे लोग अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं. अगर शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री की इच्छाशक्ति मजबूत है, तो इस शराबबंदी कानून की समीक्षा करनी ही होगी. जिससे बड़े तस्करों पर भी कार्रवाई हो सके.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने बिहार की शराबबंदी कानून पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून के केसों की बाढ़ आ गयी है. पटना हाईकोर्ट में जमानत की याचिका एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी दिखी.
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