पटना: बिहार के सरकारी स्कूल (Bihar Government Schools) के बच्चों को एक बार फिर अगले महीने से मिड डे मील (Mid Day Meal) मिलने लगेगा. कोरोना की वजह से लंबे समय से स्कूलों में मिड डे मील की सुविधा बंद है. इस बार यह व्यवस्था शुरू करने से पहले सरकार ने इस में कई बदलाव किए हैं. अब यह प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (PM Shakti Nirman Scheme) के तहत आएगी और इसके वित्तीय प्रबंधन के लिए भी नई व्यवस्था लागू की गई है. मिड डे मील निदेशालय को सरकार के क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप से हरी झंडी मिलने का इंतजार है.
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बिहार के 70,333 प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में अगले महीने से बच्चों को फिर से मिड डे मील मिलने लगेगा. हालांकि, क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की हरी झंडी मिलने का इंतजार मिड डे मील निदेशालय को है. इस बार नई व्यवस्था के तहत बच्चों को भोजन परोसा जाएगा. सोमवार को चावल मिश्रित दाल और हरी सब्जी, मंगलवार को जीरा चावल और सोयाबीन-आलू की सब्जी, बुधवार को हरी सब्जी युक्त खिचड़ी-चोखा और मौसमी फल, गुरुवार को चावल मिश्रित दाल और हरी सब्जी, शुक्रवार को पुलाव काबुली या लाल चना का छोला, हरा सलाद, अंडा, मौसमी फल और शनिवार को फल, हरी सब्जियां, खिचड़ी चोखा और मौसमी फल के स्वाद बच्चे लेंगे.
हालांकि,इस बारे में स्कूलों को आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. पटना के सरकारी मध्य विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य राजेश कुमार दुबे ने बताया कि मिड डे मील फिर से शुरू होने की जानकारी आधिकारिक तौर पर तो नहीं मिली, लेकिन ऐसी सूचना मिल रही है.
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''मिड डे मील की वजह से बड़ी संख्या में बच्चे नियमित तौर पर स्कूल आते हैं. एक बार फिर जब यह शुरू होगा तो बच्चे नियमित तौर पर स्कूल आएंगे. मिड डे मील के लिए अब पूरी तरह से नया अकाउंट खुलवाया गया है, जिसमें नए तरीके से वित्तीय प्रबंधन के तहत मिड डे मील की सुविधा बच्चों को मिलेगी.''- राजेश कुमार दुबे, प्रभारी प्राचार्य, अदालतगंज मध्य विद्यालय पटना
''केंद्र ने मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना कर दिया है. अब यह योजना वित्तीय प्रबंधन की नई व्यवस्था के तहत लागू की जा रही है. नयी व्यवस्था सिंगल नोडल एजेंसी की है, जो पूरी तरह कैशलेस होगी. राज्य में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही इस योजना को शुरू कर दिया जाएगा.''- सतीश चंद्र झा, निदेशक, बिहार मिड डे मील
बता दें कि मार्च 2020 में जब कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू हुए तो स्कूल बंद हो गए और मिड डे मील की व्यवस्था भी पूरी तरह बंद हो गई. उसके बाद बच्चों को पके पकाए भोजन की जगह प्रत्येक कार्य दिवस के हिसाब से खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया. खाद्यान्न लेने के लिए स्कूल में बच्चों के अभिभावक को बुलाया गया. भोजन पकाने के मद की राशि बच्चों के बैंक खाते में भेजी जाने लगी.
इस व्यवस्था के तहत क्लास एक से 5 तक के बच्चों को प्रति कार्य दिवस 100 ग्राम खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए 4.97 रुपए मिलते हैं. उसी प्रकार प्लस 6 से 8 के बच्चों को प्रति कार्य दिवस 150 ग्राम खाद्यान्न और पकाने के मद में 7.45 रुपए मिलते हैं. अब स्कूलों में फिर से सामान्य स्थिति होने के बाद गरमा गरम भोजन परोसने की तैयारी शुरू हो गई है. इसके तहत बच्चों को नई व्यवस्था के तहत भोजन परोसा जाएगा.