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नए साल में महंगे नहीं होंगे कपड़े, जीएसटी काउंसिल ने वापस लिया GST बढ़ाने का फैसला, बिहार के व्यापारियों ने कैट का जताया धन्यवाद

दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग ( GST Council Meeting In Delhi ) में कपड़े पर 1 जनवरी 2022 से 5 फीसदी की जगह पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को वापस लेने का कैट (कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ) ने स्वागत किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Dec 31, 2021, 6:23 PM IST

पटना : दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में कपड़े पर 1 जनवरी 2022 से 5 फीसदी की जगह पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को वापस लेने का कैट (कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ) ने स्वागत किया है. वहीं, उन्होंने इस फैसले को वक्त की जरूरत बताया है. बिहार के कपड़ा व्यापारियों ने कैट को धन्यवाद दिया और कहा कैट है तो सब मुमकिन है.

इसे भी पढ़ें : कोरोना ने पकड़ी रफ्तार, तो एक्शन में आयी सरकार.. स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की हाई लेवल मीटिंग

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस फैसले का देश भर के व्यापारियों की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि, इससे देश के लाखों कपड़ा एवं फुटवियर व्यापारियों को राहत मिलेगी जो पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से बेहद तनाव की जिंदगी जी रहे थे. वहीं, कपड़े की तरह फुटवियर पर भी जीएसटी दर बढ़ाने के फैसले को स्थगित करना आवश्यक है.

कैट बिहार चेयरमैन कमल नोपानी व अध्यक्ष अशोक सोनार ने बताया कि, जीएसटी काउंसिल का यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि किस प्रकार देश के सभी राज्यों के राजनेता अफसरशाही के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं. कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके गुण-दोष पर विचार तक नहीं करते हैं, जबकि व्यापारियों एवं अन्य वर्गों से कोई सलाह मशवरा की बात तो बहुत दूर है.

खंडेलवाल व सोनार ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि, जीएसटी के विभिन्न मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करने, राजस्व में वृद्धि करने तथा जीएसटी का कर दायरा बढ़ाने हेतु केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया जाए. जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित व्यापार के प्रतिनिधि भी शामिल हों.


बता दें कि कैट ने इस मुद्दे को गत एक महीने से तेजी से पूरे देश में उठाया और जहां केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं केन्दीय वाणिज्य एवं कपडा मंत्री पियूष गोयल से मिलकर व्यापारियों का कड़ा विरोध जताते हुए इसे वापिस लेने की मांग की. वहीं, देश के सभी राज्यों के कैट चैप्टरों ने अपने राज्य के वित्त मंत्री एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन दिए एवं इस वृद्धि को वापिस लेने की मांग की थी.

कैट के नेतृत्व में इन मुद्दे पर दिल्ली, सूरत, मुंबई, इचलकरंजी, कोयम्बटूर , तिरुपति, श्रीनगर, भोपाल, बिहार, ग्वालियर, रायपुर, नागपुर, लखनऊ, कानपुर, आगरा आदि शहरों में कैट की अगुवाई में कपड़ा एवं फुटवियर ट्रेड ने भी 30 दिसंबर को अपना व्यापार बंद रखा था. नोपानी ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए 4 साल से अधिक हो गए हैं और अभी तक जीएसटी एक स्थिर कर प्रणाली नहीं बन पाई है. जीएसटी का पोर्टल भी सही तरीके से काम नहीं कर रहा है.

कैट ने पूर्व में केंद्र सरकार एवं जीएसटी कॉउन्सिल से पूरी जीएसटी कर प्रणाली पर नए सिरे से विचार कर इसे एक बेहद सरल कर प्रणाली बनाये जाने की मांग की थी, जिसके अंतर्गत देश भर में ज्यादा से ज्यादा व्यापारी जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण कर व्यापार करें तथा सरकारों का राजस्व भी बढ़े. कैट ने अपनी इस मांग को पुन: दोहराते हुए जीएसटी और ई कॉमर्स पर व्यापक विचार करने तथा भविष्य की रणनीति तय करने के लिए आगामी 11 -12 जनवरी को कानपुर में देश के 100 से अधिक प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन बुलाया है.

यह भी पढ़ें - ओमीक्रोन का पहला केस मिलने पर बोले CM नीतीश- 'आज शाम होगी हाई लेवल मीटिंग'

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पटना : दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में कपड़े पर 1 जनवरी 2022 से 5 फीसदी की जगह पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को वापस लेने का कैट (कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ) ने स्वागत किया है. वहीं, उन्होंने इस फैसले को वक्त की जरूरत बताया है. बिहार के कपड़ा व्यापारियों ने कैट को धन्यवाद दिया और कहा कैट है तो सब मुमकिन है.

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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस फैसले का देश भर के व्यापारियों की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि, इससे देश के लाखों कपड़ा एवं फुटवियर व्यापारियों को राहत मिलेगी जो पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से बेहद तनाव की जिंदगी जी रहे थे. वहीं, कपड़े की तरह फुटवियर पर भी जीएसटी दर बढ़ाने के फैसले को स्थगित करना आवश्यक है.

कैट बिहार चेयरमैन कमल नोपानी व अध्यक्ष अशोक सोनार ने बताया कि, जीएसटी काउंसिल का यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि किस प्रकार देश के सभी राज्यों के राजनेता अफसरशाही के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं. कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके गुण-दोष पर विचार तक नहीं करते हैं, जबकि व्यापारियों एवं अन्य वर्गों से कोई सलाह मशवरा की बात तो बहुत दूर है.

खंडेलवाल व सोनार ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि, जीएसटी के विभिन्न मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करने, राजस्व में वृद्धि करने तथा जीएसटी का कर दायरा बढ़ाने हेतु केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया जाए. जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित व्यापार के प्रतिनिधि भी शामिल हों.


बता दें कि कैट ने इस मुद्दे को गत एक महीने से तेजी से पूरे देश में उठाया और जहां केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं केन्दीय वाणिज्य एवं कपडा मंत्री पियूष गोयल से मिलकर व्यापारियों का कड़ा विरोध जताते हुए इसे वापिस लेने की मांग की. वहीं, देश के सभी राज्यों के कैट चैप्टरों ने अपने राज्य के वित्त मंत्री एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन दिए एवं इस वृद्धि को वापिस लेने की मांग की थी.

कैट के नेतृत्व में इन मुद्दे पर दिल्ली, सूरत, मुंबई, इचलकरंजी, कोयम्बटूर , तिरुपति, श्रीनगर, भोपाल, बिहार, ग्वालियर, रायपुर, नागपुर, लखनऊ, कानपुर, आगरा आदि शहरों में कैट की अगुवाई में कपड़ा एवं फुटवियर ट्रेड ने भी 30 दिसंबर को अपना व्यापार बंद रखा था. नोपानी ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए 4 साल से अधिक हो गए हैं और अभी तक जीएसटी एक स्थिर कर प्रणाली नहीं बन पाई है. जीएसटी का पोर्टल भी सही तरीके से काम नहीं कर रहा है.

कैट ने पूर्व में केंद्र सरकार एवं जीएसटी कॉउन्सिल से पूरी जीएसटी कर प्रणाली पर नए सिरे से विचार कर इसे एक बेहद सरल कर प्रणाली बनाये जाने की मांग की थी, जिसके अंतर्गत देश भर में ज्यादा से ज्यादा व्यापारी जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण कर व्यापार करें तथा सरकारों का राजस्व भी बढ़े. कैट ने अपनी इस मांग को पुन: दोहराते हुए जीएसटी और ई कॉमर्स पर व्यापक विचार करने तथा भविष्य की रणनीति तय करने के लिए आगामी 11 -12 जनवरी को कानपुर में देश के 100 से अधिक प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन बुलाया है.

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