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CAG की रिपोर्ट में खुलासा- सरकार के कई विभाग नहीं खर्च कर सके अनुदान की राशि

सीएजी ने विधानमंडल में 2017-18 को लेकर जो अपनी रिपोर्ट पेश की है उसमें 17 विभागों ने अनुदान की राशि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है, इन विभागों ने औसतन महज 42 फीसदी राशि ही खर्च की है.

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Published : Nov 27, 2019, 3:18 PM IST

पटना: सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बिहार सरकार के कई विभागों पर अनुदान की राशि खर्च नहीं करने और आवंटित मूल बजट के बाबजूद अनुदान राशि देने पर सवाल उठाए हैं. सीएजी की इस रिपोर्ट का मतलब है कि कई योजनाओं पर काम हुआ ही नहीं या फिर जो योजनाएं चल रही है उनकी गति बेहद धीमी है.

cag report
CAG की रिपोर्ट में शामिल लिस्ट

सीएजी ने विधानमंडल में 2017-18 को लेकर जो अपनी रिपोर्ट पेश की है उसमें 17 विभागों ने अनुदान की राशि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है, इन विभागों ने औसतन महज 42 फीसदी राशि ही खर्च की है.

विभाग खर्च हुई राशि का फीसदी
  • कृषि विभाग
  • 44%
  • भवन निर्माण विभाग
  • 49%
  • मंत्रिमंडल सचिवालय
  • 40%
  • वाणिज्य कर विभाग
  • 45%
  • खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
  • 50%
  • सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
  • 36%
  • खान एवं भूतत्व विभाग
  • 36%
  • अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
  • 49%
  • योजना एवं विकास विभाग
  • 57%
  • ग्रामीण कार्य विभाग
  • 31%
  • उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
  • 37 %
  • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
  • 37 %
  • ग्रामीण विकास विभाग
  • 50 %
  • गन्ना विभाग विभाग प्रतिशत
  • 58%
  • शहरी विकास और आवास विभाग
  • 36 %
  • लघु जल संसाधन विभाग
  • 39 %

रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 तक का आंकड़ा
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 जो आंकड़ा दिया है उसमें साफ दिख रहा है कि 17 विभागों ने वार्षिक अनुदान की राशि कभी पूरी खर्च नहीं की. रिपोर्ट के अनुसार 2017- 18 के दौरान 16 हजार 320 करोड़ का अनुपूरक अनुदान प्रकरणों में अनावश्यक सिद्ध हुआ, क्योंकि वर्ष के अंत में मूल प्रावधान के विरोध ही यह बचत हुई है. इसके बावजूद विभागों ने अनुपूरक अनुदान लिया.

cag report
CAG की रिपोर्ट में शामिल लिस्ट

अनुदान राशि दिए जाने पर भी खड़े किए सवाल
रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग को 2 हजार 615 करोड़ मूल राशि के बावजूद 191 करोड़ आवंटित किए गए, जबकि वास्तविक खर्च महज 1 हजार 655 करोड़ ही हुआ. पंचायती राज में 8 हजार 694 करोड़ के मूल बजट के बावजूद 454 करोड़ आवंटित हुए जबकि 8 हजार 541 करोड़ ही खर्च हुए. वहीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में 1हजार 642 के बावजूद 778 करोड़ अनुपूरक बजट के तहत दिए गए जबकि वास्तविक खर्च 1 हजार 211 करोड़ ही हुआ. कैग ने अनुदान राशि दिए जाने पर सवाल खड़े किए है. क्योंकि विभागों को जो मूल बजट आवंटित किए गए वे उसे भी खर्च नहीं कर पाए


पटना: सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बिहार सरकार के कई विभागों पर अनुदान की राशि खर्च नहीं करने और आवंटित मूल बजट के बाबजूद अनुदान राशि देने पर सवाल उठाए हैं. सीएजी की इस रिपोर्ट का मतलब है कि कई योजनाओं पर काम हुआ ही नहीं या फिर जो योजनाएं चल रही है उनकी गति बेहद धीमी है.

cag report
CAG की रिपोर्ट में शामिल लिस्ट

सीएजी ने विधानमंडल में 2017-18 को लेकर जो अपनी रिपोर्ट पेश की है उसमें 17 विभागों ने अनुदान की राशि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है, इन विभागों ने औसतन महज 42 फीसदी राशि ही खर्च की है.

विभाग खर्च हुई राशि का फीसदी
  • कृषि विभाग
  • 44%
  • भवन निर्माण विभाग
  • 49%
  • मंत्रिमंडल सचिवालय
  • 40%
  • वाणिज्य कर विभाग
  • 45%
  • खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
  • 50%
  • सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
  • 36%
  • खान एवं भूतत्व विभाग
  • 36%
  • अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
  • 49%
  • योजना एवं विकास विभाग
  • 57%
  • ग्रामीण कार्य विभाग
  • 31%
  • उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
  • 37 %
  • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
  • 37 %
  • ग्रामीण विकास विभाग
  • 50 %
  • गन्ना विभाग विभाग प्रतिशत
  • 58%
  • शहरी विकास और आवास विभाग
  • 36 %
  • लघु जल संसाधन विभाग
  • 39 %

रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 तक का आंकड़ा
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 जो आंकड़ा दिया है उसमें साफ दिख रहा है कि 17 विभागों ने वार्षिक अनुदान की राशि कभी पूरी खर्च नहीं की. रिपोर्ट के अनुसार 2017- 18 के दौरान 16 हजार 320 करोड़ का अनुपूरक अनुदान प्रकरणों में अनावश्यक सिद्ध हुआ, क्योंकि वर्ष के अंत में मूल प्रावधान के विरोध ही यह बचत हुई है. इसके बावजूद विभागों ने अनुपूरक अनुदान लिया.

cag report
CAG की रिपोर्ट में शामिल लिस्ट

अनुदान राशि दिए जाने पर भी खड़े किए सवाल
रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग को 2 हजार 615 करोड़ मूल राशि के बावजूद 191 करोड़ आवंटित किए गए, जबकि वास्तविक खर्च महज 1 हजार 655 करोड़ ही हुआ. पंचायती राज में 8 हजार 694 करोड़ के मूल बजट के बावजूद 454 करोड़ आवंटित हुए जबकि 8 हजार 541 करोड़ ही खर्च हुए. वहीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में 1हजार 642 के बावजूद 778 करोड़ अनुपूरक बजट के तहत दिए गए जबकि वास्तविक खर्च 1 हजार 211 करोड़ ही हुआ. कैग ने अनुदान राशि दिए जाने पर सवाल खड़े किए है. क्योंकि विभागों को जो मूल बजट आवंटित किए गए वे उसे भी खर्च नहीं कर पाए

Intro:पटना-- सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार पर अनुदान के अंतर्गत दिए जाने वाली राशि खर्च नहीं किए जाने पर बड़ा सवाल खड़ा किया है और कहा है कि इसका मतलब है कि कई योजनाओं पर काम हुआ ही नहीं या फिर जो योजनाएं चल रही है उसकी गति बहुत सुस्त है।


Body: सीएजी ने विधानमंडल में 2017-18 को लेकर जो अपनी रिपोर्ट पेश की है उसमें 17 विभागों ने अनुदान की राशि का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है इन विभागों का औसत खर्च 42 फ़ीसदी राशि है ।
रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग 44%
भवन निर्माण विभाग 49%
मंत्रिमंडल सचिवालय 40%
वाणिज्य कर विभाग 45%
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग 50%
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग 36 प्रतिशत
खान एवं भूतत्व विभाग 36 प्रतिशत
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग 49 प्रतिशत
योजना एवं विकास विभाग57 प्रतिशत
ग्रामीण कार्य विभाग 31 प्रतिशत
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग 37 प्रतिशत
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग 37 प्रतिशत
ग्रामीण विकास विभाग 50%
गन्ना विभाग विभाग 58 प्रतिशत
शहरी विकास और आवास विभाग 36 प्रतिशत
लघु जल संसाधन विभाग 39 प्रतिशत अपनी राशि का खर्च कर पाया है


Conclusion: सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 2013- 14 से दो हजार सत्रह अट्ठारह तक जो आंकड़ा दिया है उसमें साफ दिख रहा है कि 17 विभागों ने वार्षिक अनुदान की राशि कभी पूरी खर्च नहीं की है। रिपोर्ट के अनुसार 2017- 18 के दौरान 16320 करोड़ का अनुपूरक अनुदान प्रकरणों में अनावश्यक सिद्ध हुआ क्योंकि वर्ष के अंत में मूल प्रावधान के विरोध ही यह बचत हुई है इसके बावजूद अनुपूरक अनुदान विभागों ने लिया । रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग को 2615 करोड़ मूल राशि के बावजूद 191 करोड आवंटित किया गया जबकि वास्तविक खर्च महज 1655 करोड़ ही हुआ पंचायती राज में 8694 करोड़ के मूल बजट के बावजूद454 करोड़ आवंटित किया गया जबकि 8541 करोड खर्च हुआ वहीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में 1642 के बावजूद 778 करोड़ अनुपूरक बजट के तहत दिए गए जबकि वास्तविक खर्च 1211 करोड़ ही हुआ । कैग ने अनुदान राशि दिए जाने पर सवाल खड़ा किया है क्योंकि जो मूल बजट प्रावधान किया गया विभागों को विभाग वह भी खर्च नहीं कर पाई।
अविनाश, पटना।
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