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Chhath Puja: बिहार की अर्थव्यवस्था में महापर्व का अहम योगदान, फल-कपड़ा से लेकर खुदरा बाजार में बढ़ी रौनक

छठ महापर्व (Chhath Puja) पर बिहार में बाजार गुलजार है. फल, सब्जी, कपड़ा, सराफा और खुदरा बाजार में जमकर कारोबार हो रहा है. फल कारोबारियों ने बताया कि केला, सेब, संतरा, घाघर, ईख, नाशपाती, अनानास, सरीफा, अनार, अमरूद आदि फलों को बाहर से मंगाया गया है. पिछले बार की तुलना में इस बार अच्छी बिक्री हो रही है.

Chhath Puja
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Published : Nov 9, 2021, 7:17 PM IST

पटना: चार दिवसीय छठ महापर्व (Chhath Puja) में बड़े व्यवसायियों से लेकर छोटे व्यवसायियों तक की अहम भूमिका होती है. इसलिए इस पर्व का व्यापारियों को इंतजार भी रहता है. होलसेल से लेकर खुदरा व्यापार करने वाले व्यवसायी छठ महापर्व में बिक्री से साल भर का मुनाफा निकालते हैं. राजधानी पटना बाजार समिति बिहार का सबसे बड़ा फल मंडी है. सेब, संतरा, केला, नारियल, नाशपाती और अनानास से लेकर कई दूसरे फल बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों से मंगाए जाते हैं और पूरे बिहार में भेजा जाता है.

ये भी पढ़ें: छठ पूजा में सबसे पवित्र परंपरा है "कोसी भराई", जानिए "कोसी सेवना" का महत्व और विधि

छठ के लिए अधिकांश फल दूसरे राज्यों से मंगाए जाते हैं. कश्मीर और हिमाचल से सेब, नागपुर से संतरा, केरल और आंध्र प्रदेश से नारियल, कर्नाटक और चेन्नई से केला मंगवाए जाते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश से ईख मंगाई जाती है. वहीं सूप-दउरा बड़े पैमाने पर बिहार में बनता है. छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले कई सामग्री भी बिहार के अंदर ही तैयार होती है.

देखें रिपोर्ट

छठ के दौरान बाजार गुलजार रहने के कारण कई दूसरे राज्यों के व्यवसाई भी यहां आकर व्यवसाय करते हैं. उत्तर प्रदेश के अरविंद पिछले कई सालों से छठ पर्व के दौरान यूपी से ईख लाकर बेचते रहे हैं. पिछले साल कोरोना (Corona) का कुछ ज्यादा असर था, जिस वजह से कमाई पर असर पड़ा था लेकिन इस साल बिक्री अच्छी हो रही है.

पटना के फल व्यवसायी संघ के महासचिव भुट्टो खान का कहना है कि कोरोना का डर पहले से कम हो गया है. लोग खुलकर खरीदारी कर रहे हैं. बिक्री इस बार अच्छी है. सेब कश्मीर और हिमाचल से मंगाया गया है तो संतरा नागपुर से मंगवाया गया है.

छठ पूजा में सेब की डिमांड भी सबसे अधिक होती है. यही वजह है कि दूसरे देशों से भी सेब मंगाया जाता है. पिछले कई सालों से व्यवसाय करने वाले फल व्यवसाई का कहना है कि इस बार भी कोरोना का असर है. जितनी उम्मीद थी, उस हिसाब से बिक्री नहीं हो रही है. वहीं, फल बाजार में नाशपाती सौ से डेढ़ सौ रुपए किलो बिक रहा है और इसे अमृतसर से मंगाया गया है. अमरूद की भी मांग है. व्यवसायी एमडी मंसूर आलम का कहना है कि पहले जैसी आमदनी अब नहीं होती है.

छठ पूजा में सूप और दउरा का खास महत्व है. ऐसे में बिहार के विभिन्न इलाकों में बड़े पैमाने पर इसका निर्माण किया जाता है. मधुबनी, भागलपुर और सीमांचल के इलाकों में भी इसका निर्माण होता है. दूसरे राज्यों से भी कई बार इसे मंगाया जाता है.

फल के अलावा गेहूं, चावल, आटा, सूजी, मैदा, चीनी, सूखा मावा सहित अन्य खाद्य सामग्री का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर होता है. इसके अलावा दूध और घी की बिक्री भी बड़े पैमाने पर होती है. छठ पूजा में लहठी से लेकर अन्य पूजन सामग्री की बिक्री भी बड़े पैमाने पर होती है. आम की लकड़ी से लेकर मिट्टी के चूल्हे तक की बिक्री होती है. कपड़ा व्यवसायियों की बात करें तो साड़ियों की बिक्री भी खूब होती है. छठ महापर्व ऐसा पर्व है जिसमें व्यापार का शायद ही कोई क्षेत्र छूटता हो.

ये भी पढ़ें: Chhath Geet 2021: छठ गीतों से गूंज रहा बिहार का कोना कोना, सुने लोक गायिका अमृता सिन्हा के ये गाने

पूरे बिहार में हजार करोड़ से अधिक का कारोबार छठ पर्व के दौरान होता है. हालांकि इसका अभी तक कोई विशेष अध्ययन कराया नहीं गया है. अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है यह राशि काफी बड़ी है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक हर छोटा बड़ा व्यवसाय इसमें इन्वॉल्व होता है. बिहार का हर परिवार किसी न किसी रूप में छठ में अपनी भागीदारी देता है. बिहार की अर्थव्यवस्था से छठ महापर्व का सीधा संबंध है.

पटना: चार दिवसीय छठ महापर्व (Chhath Puja) में बड़े व्यवसायियों से लेकर छोटे व्यवसायियों तक की अहम भूमिका होती है. इसलिए इस पर्व का व्यापारियों को इंतजार भी रहता है. होलसेल से लेकर खुदरा व्यापार करने वाले व्यवसायी छठ महापर्व में बिक्री से साल भर का मुनाफा निकालते हैं. राजधानी पटना बाजार समिति बिहार का सबसे बड़ा फल मंडी है. सेब, संतरा, केला, नारियल, नाशपाती और अनानास से लेकर कई दूसरे फल बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों से मंगाए जाते हैं और पूरे बिहार में भेजा जाता है.

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छठ के लिए अधिकांश फल दूसरे राज्यों से मंगाए जाते हैं. कश्मीर और हिमाचल से सेब, नागपुर से संतरा, केरल और आंध्र प्रदेश से नारियल, कर्नाटक और चेन्नई से केला मंगवाए जाते हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश से ईख मंगाई जाती है. वहीं सूप-दउरा बड़े पैमाने पर बिहार में बनता है. छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले कई सामग्री भी बिहार के अंदर ही तैयार होती है.

देखें रिपोर्ट

छठ के दौरान बाजार गुलजार रहने के कारण कई दूसरे राज्यों के व्यवसाई भी यहां आकर व्यवसाय करते हैं. उत्तर प्रदेश के अरविंद पिछले कई सालों से छठ पर्व के दौरान यूपी से ईख लाकर बेचते रहे हैं. पिछले साल कोरोना (Corona) का कुछ ज्यादा असर था, जिस वजह से कमाई पर असर पड़ा था लेकिन इस साल बिक्री अच्छी हो रही है.

पटना के फल व्यवसायी संघ के महासचिव भुट्टो खान का कहना है कि कोरोना का डर पहले से कम हो गया है. लोग खुलकर खरीदारी कर रहे हैं. बिक्री इस बार अच्छी है. सेब कश्मीर और हिमाचल से मंगाया गया है तो संतरा नागपुर से मंगवाया गया है.

छठ पूजा में सेब की डिमांड भी सबसे अधिक होती है. यही वजह है कि दूसरे देशों से भी सेब मंगाया जाता है. पिछले कई सालों से व्यवसाय करने वाले फल व्यवसाई का कहना है कि इस बार भी कोरोना का असर है. जितनी उम्मीद थी, उस हिसाब से बिक्री नहीं हो रही है. वहीं, फल बाजार में नाशपाती सौ से डेढ़ सौ रुपए किलो बिक रहा है और इसे अमृतसर से मंगाया गया है. अमरूद की भी मांग है. व्यवसायी एमडी मंसूर आलम का कहना है कि पहले जैसी आमदनी अब नहीं होती है.

छठ पूजा में सूप और दउरा का खास महत्व है. ऐसे में बिहार के विभिन्न इलाकों में बड़े पैमाने पर इसका निर्माण किया जाता है. मधुबनी, भागलपुर और सीमांचल के इलाकों में भी इसका निर्माण होता है. दूसरे राज्यों से भी कई बार इसे मंगाया जाता है.

फल के अलावा गेहूं, चावल, आटा, सूजी, मैदा, चीनी, सूखा मावा सहित अन्य खाद्य सामग्री का इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर होता है. इसके अलावा दूध और घी की बिक्री भी बड़े पैमाने पर होती है. छठ पूजा में लहठी से लेकर अन्य पूजन सामग्री की बिक्री भी बड़े पैमाने पर होती है. आम की लकड़ी से लेकर मिट्टी के चूल्हे तक की बिक्री होती है. कपड़ा व्यवसायियों की बात करें तो साड़ियों की बिक्री भी खूब होती है. छठ महापर्व ऐसा पर्व है जिसमें व्यापार का शायद ही कोई क्षेत्र छूटता हो.

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पूरे बिहार में हजार करोड़ से अधिक का कारोबार छठ पर्व के दौरान होता है. हालांकि इसका अभी तक कोई विशेष अध्ययन कराया नहीं गया है. अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है यह राशि काफी बड़ी है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक हर छोटा बड़ा व्यवसाय इसमें इन्वॉल्व होता है. बिहार का हर परिवार किसी न किसी रूप में छठ में अपनी भागीदारी देता है. बिहार की अर्थव्यवस्था से छठ महापर्व का सीधा संबंध है.

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