पटना: बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के 67वीं प्रीलिम्स परीक्षा (BPSC 67th Prelims Exam 2022) का प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द (BPSC 67th PT Exam Cancelled) कर दिया गया है. बीपीएससी पेपर लीक कांड को लेकर बिहार में सियासी घमासान मचा है. विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर धावा बोल दिया है. खुद बीपीएससी और इसके अधिकारियों पर सवाल उठने लगे हैं. इसी बीच भोजपुर के वीर कुंवर सिंह कॉलेज (Veer Kunwar Singh College) का नाम बार-बार चर्चा में आ रहा है. दावा किया जा रहा है कि इस कॉलेज का विवादों से पुराना नाता (Veer Kunwar Singh College old controversies) रहा है. 5 साल पहले ही इस कॉलेज को एग्जामिनेशन सेंटर देने से बैन किया गया था.रविवार को परीक्षा से पहले हंगामे का एक वीडियो भी सामने आया है. यह वीडियो बिहार सरकार के कदाचार मुक्त परीक्षा के दावों को ठेंगा दिखाने के लिए काफी है.
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कुछ छात्रों को दिया जा रहा था स्पेशल ट्रीटमेंट: भोजपुर का वीर कुंवर सिंह कॉलेज अपनी कारस्तानियों की वजह से अक्सर सुर्खियों में बना रहता है. ताजा मामला बीपीएससी के पीटी एग्जाम के प्रश्नपत्र लीक होने का है. इसके चलते यह कॉलेज फिर सुर्खियों में आ गया है. छात्रों का आरोप है कि परीक्षा सेंटर के अंदर कुछ छात्रों को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जा रहे थे. आपको बता दें की सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि वीर कुंवर सिंह सेंटर पर कुछ छात्र मोबाइल लेकर एग्जाम दे रहे हैं. इसके बाद कई तरह के सवाल बीपीएससी और वीर कुंवर सिंह कॉलेज पर खड़े हो रहे हैं. आपको बता दें कि बीपीएससी 67वी पीटी की परीक्षा के पेपर आउट होने के पीछे आयोग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. इस बार ऐसे कॉलेज में सेंटर बना दिया गया है जिसे 5 साल पहले ही किसी परीक्षा के लिए बैन कर दिया गया था. जिस वजह से ऐसे में सवालों के घरों में आयोग के अफसर आ गए हैं.
पहले भी सुर्खियां बटोर चुका है यह कॉलेज: दरअसल, 5 साल पहले ही साल 2017 में ही वीर कुंवर सिंह कॉलेज में सेंटर बनाने पर बैन कर दिया गया था. 2 साल बाद 2019 में वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी की ओर से इसकी मान्यता भी रद्द कर दी गई थी. इसके बावजूद वीर कुंवर सिंह कॉलेज में आयोग की ओर से बीपीएससी परीक्षा का सेंटर बना दिया गया. आपको बता दें कि इसके पहले भी कई बार वीर कुंवर सिंह कॉलेज इस प्रकार की घटनाओं के चलते सुर्खियों बटोर चुका है. वीर कुंवर सिंह कॉलेज में स्नातक पार्ट थर्ड सत्र 2017-20 के जारी रिजल्ट में सैकड़ों विद्यार्थियों को पहले कुछ और अंक पत्र दिया गया और बाद में कुछ और अंक दिया गया था.
बिना फॉर्म भरे विद्यार्थियों ने दे दी थी परीक्षा: पूर्व में मिले कंप्यूटराइज अंकपत्र से सैकड़ों विद्यार्थियों ने पीजी एडमिशन के लिए आवेदन भी कर दिया. उसके बाद पीजी दाखिले के ऑनलाइन आवेदन के बाद उनके अंकपत्र में अंक बदल गए थे. यानी पहले के अंकपत्र से जो विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में पास हुए थे, वे अब सेकंड डिवीजन से पास हो गए. इनमें से कुछ तो फेल भी हो चुके हैं. इसके अलावे परीक्षा विभाग के कारनामों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाला वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. दरअसल, यहां पर विगत साल स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा में वैसे विद्यार्थी भी शामिल हो गए हैं जिन्होंने परीक्षा फॉर्म भरा ही नहीं था. बिना परीक्षा फॉर्म भरे इन विद्यार्थियों ने परीक्षा दे दी. ऐसे विद्यार्थियों का रिजल्ट पेंडिंग हो गया.
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एक छात्रा को थमा दिये थे 4 मार्कशीट: साल 2021 में वीर कुंवर सिंह कॉलेज द्वारा एक छात्रा को एक ही परीक्षा के लिए चार मार्कशीट थमा दिया गया था. अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि कौन सा सही है और कौन सा गलत. एम एम महिला कॉलेज की छात्रा श्रेया कुमारी को चार बार अंकपत्र दिये गये. खास बात यह है कि चारों अंकपत्र अलग-अलग हैं. मनोविज्ञान की छात्रा श्रेया कुमारी को स्नातक पार्ट थर्ड का रिजल्ट घोषित होने पर जब पहली बार अंक पत्र दिया गया तो उसमें कुल 1500 में 706 नंबर दिये गये थे. ऑनर्स में 285 अंक दिया गया. छात्र ने जब सुधार के लिए आवेदन किया तो दूसरी दफा ऑनर्स पेपर मनोविज्ञान के दो पेपर में अनुपस्थित बता दिया गया. इसके अलावा कई दफा वीर कुंवर सिंह कॉलेज में एग्जामिनेशन सेंटर पचोरी के कई तरह के खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं. इसके बाद कहीं ना कहीं कॉलेज का इमेज गिरता जा रहा है.
छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़: आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्र शिवम कुमार ने बताया कि वह आरा के रहने वाले हैं. उन्होंने मैट्रिक पास करने के बाद वीर कुंवर सिंह कॉलेज से इंटर तक की पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उस दौरान उन्होंने कॉलेज प्रशासन और कॉलेज में कई तरह की खामियां देखी थी. जिसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से करने का निर्णय लिया. मौजूदा वक्त में वह पटना यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लगता है कि प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने से कहीं ना कहीं छात्रों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. छात्रों में निराशा देखने को मिल रही है. ऐसे कॉलेज छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
प्रशासन और वहां के मजिस्ट्रेट जिम्मेवार: बीपीएससी पीटी प्रश्नपत्र लीक मामले में पटना कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और अर्थशास्त्री प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि सही रूप में देखा जाए तो जिस सेंटर से प्रश्नपत्र लीक हुआ है, वहां के प्रशासन और वहां के मजिस्ट्रेट जिम्मेवार हैं. अगर इस मामले को व्यापक स्तर पर देखा जाए तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि बीपीएससी भ्रष्टाचार में संलिप्त है. बिना बीपीएससी के अधिकारी की मिलीभगत से कभी भी प्रश्न पत्र लीक नहीं हो सकता है. भ्रष्टाचार की जड़ें उन नियुक्तियों से संबंधित हैं जो बिहार सरकार करती रही है.
उच्च अधिकारियों की मिलीभगत: उन्होंने आरोप लगाया है कि विगत दिनों में जिस तरह से नियुक्तियां की गई हैं, उसमें सरकार ने सतर्कता नहीं बरती है. इसका परिणाम देखने को मिल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार की सरकार में भ्रष्टाचार के माध्यम से नियुक्तियां हो रही हैं. जिस वजह से पूर्व में भी बीपीएससी के चेयरमैन और सदस्य जेल जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि जो कांड हुआ है यह लोकल स्तर पर नहीं हुआ है. इसमें बिना उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि इस प्रश्न पत्र लीक मामले में बीबीपिसी के अधिकारियों की भी संलिप्ता हो सकती है.
नवल किशोर चौधरी ने कहा कि जब तक राज्य सरकार सक्षम और साफ-सुथरी छवि के अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करेगी, तब तक ऐसे कांडों को रोका नहीं जा सकता है. बीपीएससी पेपर लीक मामला का असर बीपीएससी के साथ-साथ बिहार के छवि पर भी पड़ा है. इसका खामियाजा बिहार की जनता और यहां के युवाओं और छात्रों को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में सभी क्षेत्रों में नियुक्तियां नहीं हो रही है. यूनिवर्सिटी से लेकर छोटे स्तर तक में रिक्तियां हैं. बीपीएससी परीक्षा के पेपर लीक मामले ने बिहार की छवि को धूमिल कर दिया है. उन्होंने बताया कि जब 5 साल पहले 2017 में किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा का सेंटर देने के लिए बैन कर दिया गया था और 2019 में इस कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गयी थी, फिर कैसे वहां पर सेंटर दिया गया. छात्रों का एडमिशन लिया जा रहा है. इसकी भी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.
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