पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां विधानसभा सीट (Bochaha Vidhan Sabha Constituency) के लिए हुए उपचुनाव में राजद प्रत्याशी अमर पासवान ने सत्तारूढ़ एनडीए की तरफ से बीजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी को हरा दिया है. यह सीट पहले मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी (VIP Cheif Mukesh Sahani) के पास थी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सवर्ण वोटरों का बीजेपी से भरोसा उठ गया है.
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मुजफ्फरपुर की बोचहां सीट भूमिहार नेताओं के लिए सेफ जोन साबित होती रही है. जानकार बताते हैं कि इस बोचहां उपचुनाव में भूमिहारों ने आरजेडी को वोट (Bhumihar votes turned to rjd in bochaha) दे दिया है, तो मल्लाहों ने भी मुकेश सहनी के अपमान का बदला ले लिया. दरअसल, यूपी चुनाव के बाद बीजेपी ने उन्हें सबक सिखाने के लिए वीआईपी के तीन विधायकों को पार्टी में मिला लिया. लेकिन इस चुनाव में यह साबित तो हो गया कि नेता को मिला लेने से उस दल के परंपरागत वोट उसके साथ नहीं जुड़ते है.
बोचहां में किसे मिले कितने वोट: अगर चुनाव परिणाम एक नजर डाले तो मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट से आरजेडी प्रत्याशी अमर पासवान ने 36676 मतों से जीत हासिल की है. उन्हें कुल 82547 मत प्राप्त हुआ यानी 48.52 फीसदी वोट. बीजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी को 45889 मत यानी 26. 98 फीसदी वोट मिले. मिला है. वीआईपी की गीता देवी को 29276 मत यानी 17.21 फीसदी वोट मिले. इस उपचुनाव में आरजेडी के वोट में 12 फीसदी की वृद्धि हुई है.
हालांकि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल इस बात को मानते है. संजय जायसवाल कहते हैं कि, 'हमारी मेहनत पर व्यक्तिगत नाराजगी और व्यक्तिगत सहानुभूति भारी पड़ गई और हम चुनाव हार गए.' लेकिन एक बड़ा सच ये भी है कि बीजेपी बोचहां उपचुनाव पार्टी के अंदर चल रहे अंतर्कलह के कारण हार गई. सूत्रों की माने तो केंद्रीय नेतृत्व को बिहार बीजेपी ने भरोसा दिलाया था कि बोचहां में पार्टी जीत रही है. बीजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी की जीत तय करने के लिए पार्टी ने भारी-भरकम फौज बोचहां में उतरी थी. बावजूद इसके बेबी कुमारी चुनाव हार गई.
भूमिहार वोटरों में नाराजगी, क्या रही वजह?: कुछ दिनों पूर्व ही बीजेपी के मंत्री राम सूरत कुमार (Bjp Minister Ramsurat Rai) और पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा (Former Minister Suresh Sharma) की खूब बयानबाजी हुई थी. दोनों ने एक-दूसरे पर चुनाव हरवाने और ज्ञान की कमी होने तक की बात कह दी थी. सुरेश शर्मा नीतीश सरकार में शहरी विकास मंत्री थे. कुंसी गंवाने के बाद सुरेश शर्मा और कांटी के पूर्व विधायक अजित कुमार ने भूमिहार फ्रंट बनाया. सूत्रों की माने तो पार्टी से दरकिनार होने के बाद सुरेश शर्मा ने यह तय कर लिया था, कि भूमिहार वोट आरजेडी उम्मीदवार अजय पासवान को मिले.
गिरिराज सिंह ने मानी थी नाराजगी की बात: बता दें कि चुनाव से पहले केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने वोटरों की नाराजगी को लेकर कहा था कि बीजेपी को खड़ा करने वाले ब्रह्मर्षि समाज के लोग थे. जो समाज को बनाने में अपना योगदान देते हैं वे नाराज नहीं होते. मन में पीड़ा जरूर होती है, लेकिन छोड़कर नहीं जाते हैं. यह समाज किसी भी कीमत पर फिर से आरजेडी के आतंकवाद को नहीं पनपने देने वाला है. कुछ तकलीफ हुई है तो इसके लिए हमलोग क्षमा मांगते हैं.
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संजय जायसवाल के कार्यक्रम में हंगामा: ऐसे में माना जाय कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को पता था भूमिहार वोटर बीजेपी से नाराज है. फिलहाल, 10 अप्रैल को बीजेपी की ओर से मुजफ्फरपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा के लोग भी पहुंच थे, जिनके कारण संजय जायसवाल की खूब फजीहत हो गई. सभा में मौजूद लोगों ने कहा कि पहले सुरेश शर्मा को बुलाया जाए इसके बाद मीटिंग होगी. कार्यक्रम में तो लोगों ने यहां तक कह दिया कि बेबी कुमारी और अन्य नेता झूठ की खेती करते हैं. साथ ही, सुरेश शर्मा की अनदेखी का भी आरोप लगाया.
तेजस्वी की A TO Z रणनीति: एक तरफ बीजेपी में अंतर्कलह तो दूसरी तरफ इसका सीधा फायदा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उठा ले गए. जानकारों की माने तो तेजस्वी ने हाल ही में हुए बिहार एमएलसी चुनाव में मुसलमान और पिछड़ा को न तरजीह देकर सवर्णों को प्रत्याशी बनाया. तेजस्वी भूमिहारों को यह समझाने में कामयाब हुए कि आरजेडी अब एटूजेड की पार्टी और सभी को साथ लेकर चलेगी. ऐसे में बोचहां में तेजस्वी को जो उम्मीद थी वैसा ही कुछ हुआ और भूमिहारों ने तेजस्वी पर भरोसा जताया और यहां लालटेन जल गई.
''चुनाव में जीत और हार लगी रहती है. बीजेपी अपने एक नीति सिद्धांत जनसेवा और देश सेवा के संकल्प के साथ माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में काम कर रही है. यह हमारा अनवरत सेवा का कार्य चलता रहेगा. जीत और हार कोई मायने नहीं रखता." - नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री
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हालांकि, बोचहां उपचुनाव नतीजों के बाद कहा जा रहा है कि चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने यहां जो रणनीति बनाई उसमें कुछ भी ठीक नहीं था. बोचहां के चुनाव प्रभारी और एमएलसी देवेश कुमार ने चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा कि, 'इस हार की जिम्मेदारी लेता हूं, जल्द इसकी समीक्षा की जाएगी. जो कमी है, उसे दूर किया जाएगा. चुनाव के दौरान कहीं कोई भीतर घात नहीं हुआ और सहयोगी जदयू का भी भरपूर साथ मिला. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बोचहां में जाकर चुनाव प्रचार किया था.'
''बोचहां उपचुनाव में मिली हार से एनडीए को झटका लगा, ये कहना गलत है, लेकिन इस चुनाव को एनडीए जीत सकती थी. अगर इस चुनाव से पहले बिहार एनडीए में बेहतर तालमेल रहता. तालमेल के अभाव में ये सीट चली गई. इस चुनाव में जदयू-बीजेपी के अलावा अन्य एनडीए के सहयोगी दलों में कोऑर्डिनेशन की कमी दिखी. यदि ये कमी नहीं होती तो परिणाम कुछ और होता.'' - उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष
VIP की ताकत को समझने में नाकाम रही BJP: बता दें कि बीजेपी कि बिहार इकाई में संगठनात्मक चुनाव की शुरुआत होने वाली है. बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का कार्यकाल अगस्त महीने में पूरा हो रहा है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि पार्टी में जल्द ही बड़े फेरबदल देखे जा सकते हैं. सूत्रों की माने तो बोचहां चुनाव के दौरान बीजेपी के कोर वोटर रहे भूमिहार मतदाता ने नाराजगी जताई. दूसरी तरफ मुकेश सहनी को उपचुनाव में मिले वोट से यह भी तय हो गया कि बीजेपी के दिग्गज वीआईपी चीफ की ताकत को समझने में नाकाम हुए.
फिलहाल, नतीजों से ये भी पता चलता है कि वीआईपी ने निषाद समुदाय के बीच अपना जनाधार बरकरार रखा है और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी को निषाद नेताओं की जरूरत है. इस जीत के बाद 76 सीटों के साथ आरजेडी बिहार विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी, बीजेपी से सिर्फ एक कम, हालांकि इससे नीतीश कुमार सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
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