पटना: अलग-अलग राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बना चुके प्रशांत किशोर राजनीति में एंट्री (Prashant Kishor entry in politics) करेंगे. इसकी शुरूआत बिहार से होगी. सोमवार को उन्होंने ट्वीट कर इस ओर इशारा किया और कहा कि जनता के बीच जाने का समय आ गया है. देश के प्रसिद्ध चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की इस घोषणा के बाद अन्य राजनीतिक दल अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. आरजेडी ने जहां कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला तो दूसरी ओर बीजेपी ने प्रशांत किशोर पर तंज (BJP taunts Prashant Kishor) कसा है.
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बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं पीके: बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन (Bihar minister Nitin Naveen) ने कहा कि पहले भी प्रशांत किशोर बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन उनसे उनका कोई सरोकार रहा नहीं है. चुनाव के लिए रणनीति बनाना अलग बात है लेकिन उस पर अमल करने में बहुत मेहनत करनी होती है. राजनीति में उनका स्वागत है. नई पटकथा लिखना चाहते हैं लेकिन बात बनाने से नहीं होगा. उन्होंने 'बिहार बात की' (Baat Bihar ki) श्रृंखला शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन वे बात बंगाल की करने लगे, कांग्रेस की बात करने लगे.
क्या करना चाहते हैं पीके, क्लियर नहीं: नितिन नवीन ने कहा कि कांग्रेस का दरवाजा बंद हो गया तो फिर से जन सुराज के माध्यम से बिहार की बात करने लगे. जनता के सामने क्लियर ही नहीं है कि प्रशांत किशोर करना क्या चाहते हैं. कभी बंगाल जाते हैं तो कभी कॉन्ग्रेस के दरवाजे पर जाते हैं. उसके बाद बिहार आते हैं और कहते हैं कि बिहार की बात करेंगे. बिहार की बात तो हम लोग कर रहे हैं. बिहार में तो हम लोग काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार और तारकिशोर प्रसाद के नेतृत्व में बिहार मे काम हो रहा है. विकास योजनाओं को गति दी है. जन सुराज कहने से नहीं होगा, जनता से सरोकार करना होगा.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, 'लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने 10 साल के रोलरकोस्टर की सवारी का नेतृत्व किया. जैसे ही मैं पन्नों को पलटता हूं, पता चलता है कि अब मुद्दों और 'जन सुराज' के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए रियल मास्टर्स यानी जनता तक जाने का समय आ गया है. शुरुआत बिहार से होगी.'
नई शुरुआत बिहार से करेंगे पीके: प्रशांत किशोर की घोषणा ट्विटर पर उनके बयान के एक हफ्ते के भीतर तब हुई है, जब उन्होंने 2024 के आम चुनावों के लिए संगठन को मजबूत करने के लिए एक समूह में शामिल होने के लिए कांग्रेस (EAG) की पेशकश को अस्वीकार कर दिया था. प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में नए नहीं हैं, क्योंकि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल-यूनाइटेड के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.
PK कर रहे नई पार्टी की तैयारी: 2014 में नरेंद्र मोदी की बड़ी जीत के बाद चमके प्रशांत किशोर एक चुनावी रणनीतिकार माने जाने लगे. उन्होंने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस फिर जेडीयू से जुड़ गए. कुछ दिनों तक जेडीयू में अहम दायित्व का निर्वहन भी किया लेकिन उसे छोड़कर और कांग्रेस के एक बड़े ऑफर को ठुकराकर (Empowered Action Group) नई पार्टी बनाने पर फोकस किया है. यानी जल्द ही प्रशांत किशोर दूसरी पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति ना बनाकर अपनी खुद की पार्टी के लिए व्यूह रचते सियासी मैदान में नजर आएंगे.
कौन हैं प्रशांत किशोर? : प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के बक्सर में साल 1977 में हुआ था. उनकी मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की तो पिता बिहार के रहने वाले हैं. 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से वह चर्चा में आए थे. प्रशांत किशोर को उम्दा चुनावी रणनीतिकार माना जाता है. पर्दे के पीछे से पार्टियों को सत्ता तक पहुंचाना इनकी रणनीति को खास बनाता है. 34 साल की उम्र में अफ्रीका से यूएन (संयुक्त राष्ट्र) की नौकरी छोड़कर 2011 में गुजरात में नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े थे. इनके आने से राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू हो गया. पीके इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) नाम का संगठन भी चलाते हैं.
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