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LJD का RJD में विलय पर बीजेपी का तंज कहा- 'बिहार पर नहीं पड़ेगा कोई असर'

समाजवादी नेता शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का आज आरजेडी में विलय (Lokatantrik Janata Dal Merged With RJD) होगा. विलय को लेकर बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि, विलय का बिहार में कोई असर नहीं पड़ने वाला है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

RLD का आरजेडी में विलय पर बीजेपी का तंज
RLD का आरजेडी में विलय पर बीजेपी का तंज
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Published : Mar 20, 2022, 12:18 PM IST

Updated : Mar 20, 2022, 12:26 PM IST

पटना: शरद यादव की पार्टी का लालू प्रसाद यादव की पार्टी में विलय (Lokatantrik Janata Dal Merged With RJD) को लेकर बीजेपी ने तंज कसा है. बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह (BJP Spokesperson Ramsagar Singh) ने कहा कि ये समाजवाद का चोला पहनने वाले दो परिवारिक पार्टियों का विलय है. शरद यादव अपने बंगला को बचाने और अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने के लिए यह विलय कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आरजेडी पहले से परिवार के लिए राजनीति करती रही है. मॉल बचाने के लिए राजनीति करती रही है. ऐसी पार्टियों को पहले भी जनता ने खारिज कर दिया है, आगे भी ऐसी पार्टियों की राजनीति पर जनता ताला लगाएगी.

ये भी पढ़ें- आज होगा समाजवादी नेता शरद यादव की LJD का RJD में विलय, तैयारी पूरी

'समाजवाद का चोला पहनने वाले दो परिवारिक पार्टियों का विलय है. शरद यादव अपने बंगला को बचाने और अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने के लिए यह विलय कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आरजेडी पहले से परिवार के लिए राजनीति करती रही है.'- बीजेपी प्रवक्ता, रामसागर सिंह

JDU से अलग होकर पार्टी का किया था गठन: बता दें कि पूर्व सांसद शरद यादव (Former MP Sharad Yadav) आज अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का आरजेडी में विलय करेंगे. साल 2018 में उन्होंने जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी का गठन किया था. चर्चा है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) उनको राज्यसभा भेज सकते हैं. कुछ दिनों पहले ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने उनसे दिल्ली में मुलाकात की थी.

आरजेडी में एलजेडी का विलय: समाजवादी नेता शरद यादव इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हैं. जिस वजह से वे राजनीति में बहुत अधिक सक्रिय नहीं हैं. उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी बहुत कम ही किसी मुद्दे पर सड़कों पर नजर आते हैं. माना जा रहा है कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते उन्होंने ये फैसला लिया है ताकि बिखरे हुए जनता परिवार को फिर एकजुट किया जा सके. पिछले दिनों जब तेजस्वी ने उनसे दिल्ली स्थिति उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की थी, तभी ही उन्होंने संकेत दे दिए थे कि वे आरजेडी के साथ जाने वाले हैं. तेजस्वी से मुलाकात के बाद शरद यादव ने कहा था, 'मैंने और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने जो राजनीति की है, उसकी कमान हमलोगों ने अब तेजस्वी को सौंप दी है. वे ही अब हमारी विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे. तेजस्वी ही आरजेडी के तमाम फैसले लेंगे. वे पार्टी को आगे ले जाने में पूरी तरह से सक्षम हैं.
ये भी पढ़ें- ..हां तो बाबू भैया किए हैं अतिक्रमण तो हो जाइये ALERT, चलने वाला है बुलडोजर

दिल्ली में शरद यादव से मिले लालू: इससे पहले 3 अगस्त 2021 को लालू यादव और शरद यादव की मुलाकात हुई थी. जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. हालांकि मीडिया से बात करने के दौरान लालू ने कहा था, 'शरद यादव पार्लियामेंट में नहीं हैं. इसके कारण संसद में उनकी कमी खल रही है. वे हर मुद्दे पर मजबूती से सरकार को घेरते थे. मैं, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव फिर से एकजुट होने की कोशिश में लगे हुए हैं.' 2018 में नीतीश से अलग हुए थे: दरअसल नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था. शरद यादव के साथ अली अनवर सहित कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद शरद यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन जेडीयू के दिनेशचंद्र यादव से एक लाख वोटों से हार गए.

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पटना: शरद यादव की पार्टी का लालू प्रसाद यादव की पार्टी में विलय (Lokatantrik Janata Dal Merged With RJD) को लेकर बीजेपी ने तंज कसा है. बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह (BJP Spokesperson Ramsagar Singh) ने कहा कि ये समाजवाद का चोला पहनने वाले दो परिवारिक पार्टियों का विलय है. शरद यादव अपने बंगला को बचाने और अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने के लिए यह विलय कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आरजेडी पहले से परिवार के लिए राजनीति करती रही है. मॉल बचाने के लिए राजनीति करती रही है. ऐसी पार्टियों को पहले भी जनता ने खारिज कर दिया है, आगे भी ऐसी पार्टियों की राजनीति पर जनता ताला लगाएगी.

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'समाजवाद का चोला पहनने वाले दो परिवारिक पार्टियों का विलय है. शरद यादव अपने बंगला को बचाने और अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करने के लिए यह विलय कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आरजेडी पहले से परिवार के लिए राजनीति करती रही है.'- बीजेपी प्रवक्ता, रामसागर सिंह

JDU से अलग होकर पार्टी का किया था गठन: बता दें कि पूर्व सांसद शरद यादव (Former MP Sharad Yadav) आज अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का आरजेडी में विलय करेंगे. साल 2018 में उन्होंने जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी का गठन किया था. चर्चा है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) उनको राज्यसभा भेज सकते हैं. कुछ दिनों पहले ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने उनसे दिल्ली में मुलाकात की थी.

आरजेडी में एलजेडी का विलय: समाजवादी नेता शरद यादव इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हैं. जिस वजह से वे राजनीति में बहुत अधिक सक्रिय नहीं हैं. उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी बहुत कम ही किसी मुद्दे पर सड़कों पर नजर आते हैं. माना जा रहा है कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते उन्होंने ये फैसला लिया है ताकि बिखरे हुए जनता परिवार को फिर एकजुट किया जा सके. पिछले दिनों जब तेजस्वी ने उनसे दिल्ली स्थिति उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की थी, तभी ही उन्होंने संकेत दे दिए थे कि वे आरजेडी के साथ जाने वाले हैं. तेजस्वी से मुलाकात के बाद शरद यादव ने कहा था, 'मैंने और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने जो राजनीति की है, उसकी कमान हमलोगों ने अब तेजस्वी को सौंप दी है. वे ही अब हमारी विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे. तेजस्वी ही आरजेडी के तमाम फैसले लेंगे. वे पार्टी को आगे ले जाने में पूरी तरह से सक्षम हैं.
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दिल्ली में शरद यादव से मिले लालू: इससे पहले 3 अगस्त 2021 को लालू यादव और शरद यादव की मुलाकात हुई थी. जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. हालांकि मीडिया से बात करने के दौरान लालू ने कहा था, 'शरद यादव पार्लियामेंट में नहीं हैं. इसके कारण संसद में उनकी कमी खल रही है. वे हर मुद्दे पर मजबूती से सरकार को घेरते थे. मैं, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव फिर से एकजुट होने की कोशिश में लगे हुए हैं.' 2018 में नीतीश से अलग हुए थे: दरअसल नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था. शरद यादव के साथ अली अनवर सहित कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद शरद यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन जेडीयू के दिनेशचंद्र यादव से एक लाख वोटों से हार गए.

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Last Updated : Mar 20, 2022, 12:26 PM IST
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