ETV Bharat / city

BJP Foundation Day: 42 साल के सफर में इन दिग्गजों को भूल गई पार्टी

भारतीय जनता पार्टी 42 साल की हो चुकी (42 Years Political Journey of BJP) है. पार्टी के कई नेताओं ने खून पसीने से बिहार में बीजेपी को नंबर वन पार्टी बनाया है. कई नेताओं को तो सत्ता और पार्टी में जगह मिली, लेकिन कई नेता आज की तारीख में गुमनामी के अंधेरे में हैं. हालांकि, उनकी आस्था पार्टी के प्रति आज भी बरकरार है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

भारतीय जनता पार्टी
भारतीय जनता पार्टी
author img

By

Published : Apr 6, 2022, 10:53 PM IST

पटना: बिहार में बीजेपी के पितामह कैलाशपति मिश्र (Veteran BJP Leader Kailashpati Mishra) ने जिस पेड़ को लगाया था, आज की तारीख में वह पुष्पित और पल्लवित हो रहा है. पार्टी ने बिहार में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. पार्टी को इस स्तर तक पहुंचाने में कई नेताओं ने अपना जीवन दिया, जिन नेताओं की मेहनत के बदौलत पार्टी बिहार में शीर्ष पर पहुंची (BJP is Biggest Party of Bihar)आज उनको ही पार्टी ने भुला दिया है. बीजेपी 42 साल की हो चुकी है. 42 साल के सफर में कई दिग्गज नेता पार्टी से जुड़े और उनकी मेहनत के बदौलत पार्टी बिहार में नंबर 1 का तमगा हासिल कर सकी है. पार्टी को सींचने वाले कई नेताओं को राजनीति में जगह मिली, लेकिन कई गुमनामी के अंधेरे में (BJP forgot veteran leaders in 42 years) आ गए.

ये भी पढ़ें- 21 से 77 का सफर: 42 साल में BJP बिहार की सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन CM पद से दूर

गुमनामी के अंधेरे में बीजेपी के कई नेता: 42 के सफर में कई दिग्गज नेता पीछे छूट गए जिनमें रामाकांत पांडे, सरयू राय, हरेंद्र प्रताप, सुरेश रुंगटा, सुरेंद्र तिवारी, कुमुद सिन्हा जैसे नेता या तो पीछे छूट गए या फिर राजनीति से तौबा कर लिया. रामाकांत पांडे जनसंघ काल से ही सक्रिय हैं और 1977 में बनियापुर से विधायक बने थे. कदमकुंआ स्थित जेपी के आश्रम के बगल में ही रमाकांत पांडे ने किराए पर घर लिया और रोज जेपी से मिलते थे.

पार्टी को सिंचने का किया काम: हरेंद्र प्रताप का नाम भी उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने संघ और भाजपा के साथ लंबे समय तक काम किया. हरेंद्र प्रताप संगठन महामंत्री रह चुके हैं और संघ के द्वारा ही हरेंद्र प्रताप को भाजपा में भेजा गया था. पार्टी में हरेंद्र प्रताप को विधान परिषद भेजा बाद में हरेंद्र प्रताप का राजनीति से मोहभंग हो गया. सुरेंद्र तिवारी को भी कैलाशपति मिश्र के साथ काम करने का गौरव प्राप्त है. सुरेंद्र तिवारी 50 साल से अधिक समय से भाजपा से जुड़े हैं. कैलाशपति मिश्र के साथ सुरेंद्र तिवारी ने पोस्टर काटने तक का काम किया और ऐसे नेताओं के प्रयासों से भाजपा शिखर तक पहुंच पाई.

रुंगटा 50 साल से कर रहे पार्टी की सेवा: सुरेश रुंगटा फिलहाल भाजपा के मुख्यालय प्रभारी हैं और यह भी 50 साल से अधिक समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी उसको बखूबी निभाया. सुरेश रुंगटा को भी पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिला, हालांकि ऐसे नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं और पार्टी के प्रति आस्था भी है.

बीजेपी को अर्श तक पहुंचाने में अहम भूमिका: कुमुद बिहारी सिंह 1967 के दशक में जंक्शन से जुड़े और पोलिंग एजेंट का काम किया. 1974 के आंदोलन में जेल गए. 1990 के दशक में कुमुद बिहारी सिंह राजनीति में सक्रिय रहे और पशुपालन घोटाला मामले में इनकी सक्रियता देखने को मिली. चारा चोर खजाना चोर पुस्तक में उन्होंने लिखी, बाद में उन्हें कार्यसमिति में जगह मिली थी. सरयू राय का नाम भी बिहार झारखंड के बड़े नेताओं में शामिल है सरयू राय ने भी भाजपा को खून पसीने से खींचने का काम किया पशुपालन घोटाला मामले में सरयू राय की भूमिका अहम रही थी.

हरेंद्र प्रताप को पार्टी से कोई शिकायत नहीं: रामाकांत पांडे 90 साल पूरे कर चुके हैं और आज की तारीख में पार्टी से उन्हें कोई भी शिकायत नहीं है. रमाकांत पांडे ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि पार्टी नेताओं ने उन्हें भुला दिया. रमाकांत पांडे कहते हैं कि जेपी आंदोलन में नेताओं की सक्रियता के वजह से आज भाजपा बिहार में नंबर वन की पार्टी बनी है. हरेंद्र प्रताप फिलहाल राजनीति से तौबा कर चुके हैं. लेकिन पार्टी से उन्हें कोई शिकायत नहीं है. हरेंद्र प्रताप कहते हैं कि राजनीति दूषित हो गई है और अगर आपका चरित्र ठीक नहीं होगा, तो देश का पुनः निर्माण कैसे होगा.

कभी किया था पोस्टर काटने का काम: सुरेंद्र तिवारी हर रोज सुबह 10 बजे से लेकर रात 8 बजे तक भाजपा दफ्तर में रहते हैं और इन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, उसे बखूबी निभाते हैं. सुरेंद्र तिवारी कहते हैं कि कैलाशपति मिश्र के साथ हम लोग मिलकर पोस्टर काटने का काम करते थे और आज उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि बिहार में भाजपा नंबर वन की पार्टी है उन्हें उम्मीद है कि पार्टी जरूर सम्मान देगी.

सुरेश रुंगटा का नाम भी उन नेताओं में शुमार है जिन्होंने कैलाशपति मिश्र के साथ मिलकर काम किया और पार्टी को सिंचने का काम किया. पार्टी ने इन्हें मुख्यालय प्रभारी बनाया हुआ है. सुरेश रुंगटा कहते हैं कि पार्टी के प्रति मेरा समर्पण आज भी कायम है. जहां तक जगह देने का सवाल है तो जगह सीमित होती है और कार्यकर्ताओं की संख्या ज्यादा है, पार्टी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि कई नेताओं ने पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है. उसको तो सत्ता और सदन में जगह मिली, लेकिन कुछ पीछे छूट गए. रामाकांत पांडे, सरयू राय सरीखे नेता इसका उदाहरण हैं. जिन्होंने संगठन को मजबूती प्रदान की, जो पार्टी के लिए नींव की ईंट बने हुए थे. ऐसे में जब लगा कि ये सत्ता के लिए बहुत उपयुक्त साबित नहीं हो सकते हैं तो पार्टी ने उनको किनारे कर दिया.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: बिहार में बीजेपी के पितामह कैलाशपति मिश्र (Veteran BJP Leader Kailashpati Mishra) ने जिस पेड़ को लगाया था, आज की तारीख में वह पुष्पित और पल्लवित हो रहा है. पार्टी ने बिहार में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. पार्टी को इस स्तर तक पहुंचाने में कई नेताओं ने अपना जीवन दिया, जिन नेताओं की मेहनत के बदौलत पार्टी बिहार में शीर्ष पर पहुंची (BJP is Biggest Party of Bihar)आज उनको ही पार्टी ने भुला दिया है. बीजेपी 42 साल की हो चुकी है. 42 साल के सफर में कई दिग्गज नेता पार्टी से जुड़े और उनकी मेहनत के बदौलत पार्टी बिहार में नंबर 1 का तमगा हासिल कर सकी है. पार्टी को सींचने वाले कई नेताओं को राजनीति में जगह मिली, लेकिन कई गुमनामी के अंधेरे में (BJP forgot veteran leaders in 42 years) आ गए.

ये भी पढ़ें- 21 से 77 का सफर: 42 साल में BJP बिहार की सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन CM पद से दूर

गुमनामी के अंधेरे में बीजेपी के कई नेता: 42 के सफर में कई दिग्गज नेता पीछे छूट गए जिनमें रामाकांत पांडे, सरयू राय, हरेंद्र प्रताप, सुरेश रुंगटा, सुरेंद्र तिवारी, कुमुद सिन्हा जैसे नेता या तो पीछे छूट गए या फिर राजनीति से तौबा कर लिया. रामाकांत पांडे जनसंघ काल से ही सक्रिय हैं और 1977 में बनियापुर से विधायक बने थे. कदमकुंआ स्थित जेपी के आश्रम के बगल में ही रमाकांत पांडे ने किराए पर घर लिया और रोज जेपी से मिलते थे.

पार्टी को सिंचने का किया काम: हरेंद्र प्रताप का नाम भी उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने संघ और भाजपा के साथ लंबे समय तक काम किया. हरेंद्र प्रताप संगठन महामंत्री रह चुके हैं और संघ के द्वारा ही हरेंद्र प्रताप को भाजपा में भेजा गया था. पार्टी में हरेंद्र प्रताप को विधान परिषद भेजा बाद में हरेंद्र प्रताप का राजनीति से मोहभंग हो गया. सुरेंद्र तिवारी को भी कैलाशपति मिश्र के साथ काम करने का गौरव प्राप्त है. सुरेंद्र तिवारी 50 साल से अधिक समय से भाजपा से जुड़े हैं. कैलाशपति मिश्र के साथ सुरेंद्र तिवारी ने पोस्टर काटने तक का काम किया और ऐसे नेताओं के प्रयासों से भाजपा शिखर तक पहुंच पाई.

रुंगटा 50 साल से कर रहे पार्टी की सेवा: सुरेश रुंगटा फिलहाल भाजपा के मुख्यालय प्रभारी हैं और यह भी 50 साल से अधिक समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी उसको बखूबी निभाया. सुरेश रुंगटा को भी पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिला, हालांकि ऐसे नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं और पार्टी के प्रति आस्था भी है.

बीजेपी को अर्श तक पहुंचाने में अहम भूमिका: कुमुद बिहारी सिंह 1967 के दशक में जंक्शन से जुड़े और पोलिंग एजेंट का काम किया. 1974 के आंदोलन में जेल गए. 1990 के दशक में कुमुद बिहारी सिंह राजनीति में सक्रिय रहे और पशुपालन घोटाला मामले में इनकी सक्रियता देखने को मिली. चारा चोर खजाना चोर पुस्तक में उन्होंने लिखी, बाद में उन्हें कार्यसमिति में जगह मिली थी. सरयू राय का नाम भी बिहार झारखंड के बड़े नेताओं में शामिल है सरयू राय ने भी भाजपा को खून पसीने से खींचने का काम किया पशुपालन घोटाला मामले में सरयू राय की भूमिका अहम रही थी.

हरेंद्र प्रताप को पार्टी से कोई शिकायत नहीं: रामाकांत पांडे 90 साल पूरे कर चुके हैं और आज की तारीख में पार्टी से उन्हें कोई भी शिकायत नहीं है. रमाकांत पांडे ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि पार्टी नेताओं ने उन्हें भुला दिया. रमाकांत पांडे कहते हैं कि जेपी आंदोलन में नेताओं की सक्रियता के वजह से आज भाजपा बिहार में नंबर वन की पार्टी बनी है. हरेंद्र प्रताप फिलहाल राजनीति से तौबा कर चुके हैं. लेकिन पार्टी से उन्हें कोई शिकायत नहीं है. हरेंद्र प्रताप कहते हैं कि राजनीति दूषित हो गई है और अगर आपका चरित्र ठीक नहीं होगा, तो देश का पुनः निर्माण कैसे होगा.

कभी किया था पोस्टर काटने का काम: सुरेंद्र तिवारी हर रोज सुबह 10 बजे से लेकर रात 8 बजे तक भाजपा दफ्तर में रहते हैं और इन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, उसे बखूबी निभाते हैं. सुरेंद्र तिवारी कहते हैं कि कैलाशपति मिश्र के साथ हम लोग मिलकर पोस्टर काटने का काम करते थे और आज उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि बिहार में भाजपा नंबर वन की पार्टी है उन्हें उम्मीद है कि पार्टी जरूर सम्मान देगी.

सुरेश रुंगटा का नाम भी उन नेताओं में शुमार है जिन्होंने कैलाशपति मिश्र के साथ मिलकर काम किया और पार्टी को सिंचने का काम किया. पार्टी ने इन्हें मुख्यालय प्रभारी बनाया हुआ है. सुरेश रुंगटा कहते हैं कि पार्टी के प्रति मेरा समर्पण आज भी कायम है. जहां तक जगह देने का सवाल है तो जगह सीमित होती है और कार्यकर्ताओं की संख्या ज्यादा है, पार्टी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि कई नेताओं ने पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है. उसको तो सत्ता और सदन में जगह मिली, लेकिन कुछ पीछे छूट गए. रामाकांत पांडे, सरयू राय सरीखे नेता इसका उदाहरण हैं. जिन्होंने संगठन को मजबूती प्रदान की, जो पार्टी के लिए नींव की ईंट बने हुए थे. ऐसे में जब लगा कि ये सत्ता के लिए बहुत उपयुक्त साबित नहीं हो सकते हैं तो पार्टी ने उनको किनारे कर दिया.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.