पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जब से बिहार से अपनी राजनीतिक पारी शुरू (Prashant Kishor entry in politics) करने का बात कही है, तब से यहां का सियासी पारा उछाल पर है. विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से प्रतिक्रिया आने लगी है. खासकर बीजेपी और आरजेडी की प्रशांत किशोर के प्रति अधिक तीखी बयानबाजी (BJP and RJD attacked Prashant Kishor) हो रही है. बिहार बीजेपी ने प्रशांत किशोर इस कदम को लेकर सवाल खड़ा किया है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि प्रशांत किशोर के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है. इससे पहले पुष्पम प्रिया ने पार्टी का गठन किया था लेकिन सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गयी.
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पीके को राजनीतिक अनुभव नहीं: उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर को भी बिहार में कामयाबी हासिल नहीं होने वाली है. उनके पास राजनीतिक अनुभव नहीं है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने प्रशांत किशोर से पूछा कि बिहार में जन-सुराज से पहले यह स्पष्ट करें कि उनका नीतीश कुमार और अमित शाह से कैसा संबंध रहा है? जब उन्हें जदयू से हटाया गया था तब नीतीश कुमार ने कहा था कि हमने प्रशांत किशोर को जदयू में अमित शाह के कहने पर शामिल किया था. क्या अभी भी उनका और उनकी कंपनी का नीतीश कुमार के साथ वैसा ही संबंध है.
'जहां तक जन-सुराज की बात है तो उन्हें पहले जनसरोकार के मुद्दे पर जनता के बीच जाना होगा. उन्होंने सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से अपने को स्थापित किया है, लेकिन जनता के बीच में कैसे प्रस्तुत करेंगे ये देखना है.'-एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं पीके: बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन (Bihar minister Nitin Naveen) ने कहा कि पहले भी प्रशांत किशोर बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन उनसे उनका कोई सरोकार रहा नहीं है. चुनाव के लिए रणनीति बनाना अलग बात है लेकिन उस पर अमल करने में बहुत मेहनत करनी होती है. राजनीति में उनका स्वागत है. नई पटकथा लिखना चाहते हैं लेकिन बात बनाने से नहीं होगा. उन्होंने 'बिहार बात की' (Baat Bihar ki) श्रृंखला शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन वे बात बंगाल की करने लगे, कांग्रेस की बात करने लगे.
तेजस्वी को सभी वर्ग, धर्म और जाति का समर्थन: मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव को अपना नेता स्वीकार कर लिाय है. जिस तरह से पिछले चुनाव में 32-32 हेलीकॉप्टर सत्ता पक्ष के लोगों ने उतार दिया था, तेजस्वी यादव अकेले ही चुनावी मैदान में थे. जिस तरह से सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोगों ने तेजस्वी यादव का साथ दिया. इससे स्पष्ट हो गया कि बिहार में सभी वर्ग, धर्म और जाति के लोग तेजस्वी यादव को पसंद करते हैं. तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी हटाओ का जो नारा दिया है, जनता ने उसका समर्थन किया.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, 'लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने 10 साल के रोलरकोस्टर की सवारी का नेतृत्व किया. जैसे ही मैं पन्नों को पलटता हूं, पता चलता है कि अब मुद्दों और 'जन सुराज' के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए रियल मास्टर्स यानी जनता तक जाने का समय आ गया है. शुरुआत बिहार से होगी.'
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