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जातीय जनगणना की मांग पर BJP का एक्शन प्लान तैयार, जातिगत गोलबंदी से निकालेंगे मांगों की हवा

बिहार में जातीय जनगणना की मांग को लेकर अब बीजेपी ने भी कमर कस लिया है. पहले ही केंद्र से इसकी मनाही हो गई है. बीजेपी अब जातिगत गोलबंदी कर एक्शन प्लान तैयार कर रही है.

जातीय जनगणना पर बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक
जातीय जनगणना पर बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक
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Published : Jan 5, 2022, 9:39 PM IST

पटना: देश के कई हिस्सों से जातीय जनगणना को लेकर मुहिम चलाई जा रही है. क्षेत्रीय दल मुहिम में आगे दिख रहे हैं. हालांकि केंद्र की सरकार ने जातीय जनगणना की मांग को खारिज कर दिया है. विपक्ष की रणनीति से निपटने के लिए भाजपा ने भी एक्शन प्लान (BJP Action Plan Against Caste Census) तैयार कर लिया है. लेकिन विपक्ष और जदयू बिहार में जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- जातीय जनगणना को रोकने के लिए केंद्र सरकार कर रही है साजिश: उपेंद्र कुशवाहा

क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाले हिंदी पट्टी राज्यों से जातीय जनगणना को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है. जातिगत राजनीति को साधने वाले राजनीतिक दल जातीय जनगणना के मसले को हवा दे रहे हैं. केंद्र में जो भी सरकारें रहीं, उन्होंने जातीय जनगणना से परहेज किया. वर्तमान की सरकार भी जातीय जनगणना के फचड़े में पड़ना नहीं चाहती है. जातीय जनगणना की मुहिम का खामियाजा भाजपा को ना भुगतना पड़े, इसके लिए भाजपा ने भी एक्शन प्लान तैयार किया है. पार्टी ने जातिगत जनगणना के मसले पर पिछड़ी और दलित जाति से आने वाले नेताओं को पार्टी का पक्ष रखने के लिए आगे किया है.

जातीय जनगणना पर बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर बैठक हुई, जिसमें जातिगत आधार पर नाराजगी दूर करने के लिए समिति बनाने का फैसला लिया गया, जिसे जेपी नड्डा ने भी स्वीकृति दे दी. राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति के बाद बिहार जैसे राज्यों में भी समिति के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है. भाजपा पन्ना बूथ या शक्ति केंद्र का गठन जातिगत बहुलता के आधार पर करने जा रही है. बिहार में कुल 7708 शक्ति केंद्र हैं, इसके अलावा 71000 के आसपास बूथ कमेटी है, अभी पन्ना स्तर की कमेटी का गठन होना बाकी है. शक्ति केंद्र कमेटी में 7 व्यक्ति होते हैं, जबकि एक पन्ना कमेटी में 3 सदस्य होते हैं. एक पन्ना में 32 वोटर होते हैं. 5 परिवार के लिए जिम्मेदारी एक व्यक्ति की तय की जाती है.

'जातीय समिति का प्रयोग अभी उत्तर प्रदेश में किया गया है. चूंकि जेपी नड्डा की सहमति मिल चुकी है और चुनाव के बाद बिहार जैसे राज्यों में भी इसे लागू किया जाएगा, जब जातीय समिति का गठन होगा, तब जातिगत जनगणना को लेकर आंदोलन करने वाले कमजोर होंगे. भाजपा अपना जनाधार भी मजबूत कर सकेगी.' -कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

'हम बूथ और पन्ना स्तर तक कमेटी का गठन करने जा रहे हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ों को हम कमेटी में जगह देंगे. उनकी जिम्मेदारी भी तय की जाएगी. हम जातीय जनगणना के बजाय समावेशी विकास के पक्षधर हैं.' -प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

ये भी पढ़ेंः सम्राट चौधरी ने तेजस्वी से पूछा- रेचल से आपने शादी कर ली, अब जातीय जनगणना की मांग क्यों?

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पटना: देश के कई हिस्सों से जातीय जनगणना को लेकर मुहिम चलाई जा रही है. क्षेत्रीय दल मुहिम में आगे दिख रहे हैं. हालांकि केंद्र की सरकार ने जातीय जनगणना की मांग को खारिज कर दिया है. विपक्ष की रणनीति से निपटने के लिए भाजपा ने भी एक्शन प्लान (BJP Action Plan Against Caste Census) तैयार कर लिया है. लेकिन विपक्ष और जदयू बिहार में जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं.

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क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाले हिंदी पट्टी राज्यों से जातीय जनगणना को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है. जातिगत राजनीति को साधने वाले राजनीतिक दल जातीय जनगणना के मसले को हवा दे रहे हैं. केंद्र में जो भी सरकारें रहीं, उन्होंने जातीय जनगणना से परहेज किया. वर्तमान की सरकार भी जातीय जनगणना के फचड़े में पड़ना नहीं चाहती है. जातीय जनगणना की मुहिम का खामियाजा भाजपा को ना भुगतना पड़े, इसके लिए भाजपा ने भी एक्शन प्लान तैयार किया है. पार्टी ने जातिगत जनगणना के मसले पर पिछड़ी और दलित जाति से आने वाले नेताओं को पार्टी का पक्ष रखने के लिए आगे किया है.

जातीय जनगणना पर बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर बैठक हुई, जिसमें जातिगत आधार पर नाराजगी दूर करने के लिए समिति बनाने का फैसला लिया गया, जिसे जेपी नड्डा ने भी स्वीकृति दे दी. राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति के बाद बिहार जैसे राज्यों में भी समिति के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है. भाजपा पन्ना बूथ या शक्ति केंद्र का गठन जातिगत बहुलता के आधार पर करने जा रही है. बिहार में कुल 7708 शक्ति केंद्र हैं, इसके अलावा 71000 के आसपास बूथ कमेटी है, अभी पन्ना स्तर की कमेटी का गठन होना बाकी है. शक्ति केंद्र कमेटी में 7 व्यक्ति होते हैं, जबकि एक पन्ना कमेटी में 3 सदस्य होते हैं. एक पन्ना में 32 वोटर होते हैं. 5 परिवार के लिए जिम्मेदारी एक व्यक्ति की तय की जाती है.

'जातीय समिति का प्रयोग अभी उत्तर प्रदेश में किया गया है. चूंकि जेपी नड्डा की सहमति मिल चुकी है और चुनाव के बाद बिहार जैसे राज्यों में भी इसे लागू किया जाएगा, जब जातीय समिति का गठन होगा, तब जातिगत जनगणना को लेकर आंदोलन करने वाले कमजोर होंगे. भाजपा अपना जनाधार भी मजबूत कर सकेगी.' -कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

'हम बूथ और पन्ना स्तर तक कमेटी का गठन करने जा रहे हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ों को हम कमेटी में जगह देंगे. उनकी जिम्मेदारी भी तय की जाएगी. हम जातीय जनगणना के बजाय समावेशी विकास के पक्षधर हैं.' -प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

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