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प्याज की कीमत ने नेताओं को रुलाया, कही- ये बड़ी बात - प्याज के दाम सातवें आसमान पर

कीमतों के लिहाज से प्याज का रेट सेंचुरी मार चुका है. प्याज के दाम सातवें आसमान पर हैं. यह पहला मौका नहीं है. जब प्याज की बढ़ती कीमतों ने लोगों के आंखों में आंसू लाए हैं. इसकी बढ़ती कीमतों ने देश के अंदर कई राजनीतिक तूफान भी खड़े किए हैं.

Patna
प्याज की कीमतों ने नेताओं को रूलाया
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Published : Dec 5, 2019, 9:24 AM IST

पटना: प्याज की बढ़ती कीमत ने हर किसी को रुला दिया है. वहीं, मंहगा प्याज अब राजनेताओं को भी रुलाने लगा है. इसकी महंगी कीमत के चलते कई सरकारों को बेदखल होना पड़ा तो कई सरकारें हिल गईं. फिलहाल आगामी चुनाव पर भी प्याज की बढ़ती कीमत ने असर डाला है. वहीं, यह मामला अब राजनीतिक तूल भी पकड़ता दिख रहा है.

नहीं मिला कोई मुद्दा दो प्याज को भुनाया
कीमतों के लिहाज से प्याज का रेट सेंचुरी मार चुका है. प्याज के दाम सातवें आसमान पर हैं. यह पहला मौका नहीं है. जब प्याज की बढ़ती कीमतों ने लोगों के आंखों में आंसू लाए हैं. इसकी बढ़ती कीमतों ने देश के अंदर कई राजनीतिक तूफान भी खड़े किए हैं. जब-जब इसके दाम आसमान पर पहुंचे तब तक किसी न किसी की कुर्सी हिली है. प्याज से आम लोगों का सरोकार है. हर रसोई में प्याज की जरूरत है लेकिन जैसे ही प्याज की कीमतें बढ़ने लगती हैं. वैसे ही लोगों का जायका बिगड़ने लगता है और लोग भी सरकार से जवाब मांगने लगते हैं. अगर चुनाव सर पर हो तो राजनेताओं की परेशानियां बढ़ने लगती हैं. आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब देश में बीजेपी की सरकार बनी और सरकार अपने ही अंतर्विरोध से लड़खड़ा रही थी. सत्ता से बेदखल हो चुकी इंदिरा गांधी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं था. अचानक प्याज की कीमतें बढ़ने लगी और उनकी पार्टी ने इसका इस्तेमाल बड़े ही नाटकीय अंदाज में किया.

पेश है रिपोर्ट

'प्याज ने हिलाई थी अटल सरकार'
ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं. जब राजनेताओं ने प्याज की माला पहनकर लोकसभा और विधानसभा में विरोध जताया. केंद्र में 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी. तब अटल जी ने कहा था कि जब-जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती है, तो प्याज परेशान करने लगता है. बीजेपी विधायक मिथिलेश तिवारी भी मानते हैं कि अटल जी की सरकार जाने के पीछे प्याज भी एक महत्वपूर्ण कारण था. उन दिनों दिल्ली प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सर पर थे. तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई कोशिशें की दिल्ली में जगह-जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बेचने की कोशिश की गई. लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई. तब सुषमा स्वराज की देखरेख वाली बीजेपी सरकार बुरी तरह हार गई.

Patna
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय पवक्ता हम

प्याज के बढ़ते दामों ने मचाया सियासी घमासान
शीला दीक्षित दिल्ली मुख्यमंत्री बनीं लेकिन 15 साल बाद प्याज ने उन्हें भी रुला दिया था. एक बार फिर प्याज की कीमत सातवें आसमान पर हैं और आम लोगों को ₹100 किलो प्याज खरीदना पड़ रहा है. प्याज को लेकर बिहार में सियासी घमासान भी है. पूर्व सांसद पप्पू यादव जहां राजनीतिक दलों के दफ्तर के सामने ₹35 किलो प्याज बेचकर विरोध जता रहे हैं. वहीं, विपक्ष का दावा है कि हाल में हुए राज्यों के चुनाव में भाजपा को प्याज की बढ़ती कीमतों का नतीजा भुगतना पड़ा. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते महाराष्ट्र हरियाणा में बीजेपी को नुकसान होगा और झारखंड के बाद बिहार में भी एनडीए को खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

Patna
प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

प्याज की कीमत को लेकर जदयू चिंतित
प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर जदयू भी चिंतित है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि केंद्र सरकार को इस पर ठोस पहल करनी चाहिए और दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए. जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो. वहीं, बीजेपी नेता यह नहीं मानते कि प्याज की बढ़ती कीमत का असर वोटिंग और सरकार पर पड़ता है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि आम लोगों को यह मालूम है कि किन कारणों से प्याज की कीमत बढ़ रही है और सरकार प्याज के आयात कर रही है. जिससे कीमत में कमी आए.

Patna
राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता

पटना: प्याज की बढ़ती कीमत ने हर किसी को रुला दिया है. वहीं, मंहगा प्याज अब राजनेताओं को भी रुलाने लगा है. इसकी महंगी कीमत के चलते कई सरकारों को बेदखल होना पड़ा तो कई सरकारें हिल गईं. फिलहाल आगामी चुनाव पर भी प्याज की बढ़ती कीमत ने असर डाला है. वहीं, यह मामला अब राजनीतिक तूल भी पकड़ता दिख रहा है.

नहीं मिला कोई मुद्दा दो प्याज को भुनाया
कीमतों के लिहाज से प्याज का रेट सेंचुरी मार चुका है. प्याज के दाम सातवें आसमान पर हैं. यह पहला मौका नहीं है. जब प्याज की बढ़ती कीमतों ने लोगों के आंखों में आंसू लाए हैं. इसकी बढ़ती कीमतों ने देश के अंदर कई राजनीतिक तूफान भी खड़े किए हैं. जब-जब इसके दाम आसमान पर पहुंचे तब तक किसी न किसी की कुर्सी हिली है. प्याज से आम लोगों का सरोकार है. हर रसोई में प्याज की जरूरत है लेकिन जैसे ही प्याज की कीमतें बढ़ने लगती हैं. वैसे ही लोगों का जायका बिगड़ने लगता है और लोग भी सरकार से जवाब मांगने लगते हैं. अगर चुनाव सर पर हो तो राजनेताओं की परेशानियां बढ़ने लगती हैं. आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब देश में बीजेपी की सरकार बनी और सरकार अपने ही अंतर्विरोध से लड़खड़ा रही थी. सत्ता से बेदखल हो चुकी इंदिरा गांधी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं था. अचानक प्याज की कीमतें बढ़ने लगी और उनकी पार्टी ने इसका इस्तेमाल बड़े ही नाटकीय अंदाज में किया.

पेश है रिपोर्ट

'प्याज ने हिलाई थी अटल सरकार'
ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं. जब राजनेताओं ने प्याज की माला पहनकर लोकसभा और विधानसभा में विरोध जताया. केंद्र में 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी. तब अटल जी ने कहा था कि जब-जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती है, तो प्याज परेशान करने लगता है. बीजेपी विधायक मिथिलेश तिवारी भी मानते हैं कि अटल जी की सरकार जाने के पीछे प्याज भी एक महत्वपूर्ण कारण था. उन दिनों दिल्ली प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सर पर थे. तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई कोशिशें की दिल्ली में जगह-जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बेचने की कोशिश की गई. लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई. तब सुषमा स्वराज की देखरेख वाली बीजेपी सरकार बुरी तरह हार गई.

Patna
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय पवक्ता हम

प्याज के बढ़ते दामों ने मचाया सियासी घमासान
शीला दीक्षित दिल्ली मुख्यमंत्री बनीं लेकिन 15 साल बाद प्याज ने उन्हें भी रुला दिया था. एक बार फिर प्याज की कीमत सातवें आसमान पर हैं और आम लोगों को ₹100 किलो प्याज खरीदना पड़ रहा है. प्याज को लेकर बिहार में सियासी घमासान भी है. पूर्व सांसद पप्पू यादव जहां राजनीतिक दलों के दफ्तर के सामने ₹35 किलो प्याज बेचकर विरोध जता रहे हैं. वहीं, विपक्ष का दावा है कि हाल में हुए राज्यों के चुनाव में भाजपा को प्याज की बढ़ती कीमतों का नतीजा भुगतना पड़ा. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते महाराष्ट्र हरियाणा में बीजेपी को नुकसान होगा और झारखंड के बाद बिहार में भी एनडीए को खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

Patna
प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

प्याज की कीमत को लेकर जदयू चिंतित
प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर जदयू भी चिंतित है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि केंद्र सरकार को इस पर ठोस पहल करनी चाहिए और दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए. जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो. वहीं, बीजेपी नेता यह नहीं मानते कि प्याज की बढ़ती कीमत का असर वोटिंग और सरकार पर पड़ता है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि आम लोगों को यह मालूम है कि किन कारणों से प्याज की कीमत बढ़ रही है और सरकार प्याज के आयात कर रही है. जिससे कीमत में कमी आए.

Patna
राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता
Intro:अकबर के नवरत्नों में एक मुल्ला दो प्याजा अगर आज होते तो उन्हें भोजन पर दो प्याज में मयस्सर नहीं हो पाते। प्याज की कीमत आज तमाम सीमाओं को लांग चुका है बाजार में मिल रहे कई फलों से आज प्याज महंगी है।प्याज के महंगे कीमत के चलते कई सरकारों को बेदखल होना पड़ा तो कई सरकारें हिल गई फिलहाल हो रहे चुनाव पर भी प्याज की बढ़ती कीमतों ने असर डाला है ।


Body:मुल्ला दो प्याजा अरब के रहने वाले थे और अकबर के नवरत्नों में एक थे हिमायू के समय वह भारत आए थे और भोजन के समय दो प्याज खाना उन्हें बेहद पसंद था आज अगर म***** दो प्याजा होते तो उन्हें भोजन पर दो प्याज मैं सर नहीं हो पाता प्याज की आसमान छू रही कीमतों के चलते प्याज आम लोगों के पहुंच से बाहर जा चुकी है । प्याज सस्ती हो और आम लोगों के किचन के लिए सर्व सुलभ हो तो लोगों के भोजन का जायका बढ़ जाता है लेकिन जब महंगी हो जाए तो आम लोगों के साथ-साथ खास के आंखों में आंसू आने लगता है । प्याज की बढ़ती कीमतों ने राजनीतिक दलों और राजनेताओं को भी कीमत चुकाने के लिए विवश किया


Conclusion: प्याज कीमतों के लिहाज से सेंचुरी मार चुका है प्याज के दाम सातवें आसमान पर हैं यह पहला मौका नहीं है जब प्याज की बढ़ती कीमतों ने लोगों के आंखों में आंसू लाए हैं प्याज की बढ़ती कीमतों ने देश के अंदर कई राजनीतिक तूफान भी खड़े किए हैं जब जब इसके दाम आसमान पर पहुंचे तब तक कि किसी न किसी की कुर्सी हिली । प्याज से सरोकार आम लोगों का है और हर रसोई में प्याज की जरूरत है लेकिन जैसे ही प्याज की कीमतें बढ़ने लगती है वैसे ही लोगों का जायका बिगड़ने लगता है और लोग भी सरकार से जवाब मांगने लगते हैं । अगर अगर चुनाव सर पर हो तो राजनेताओं की परेशानियां बढ़ने लगती हैं आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब देश में जनता पार्टी की सरकार बनी और सरकार अपने ही अंतर्विरोध से लड़खड़ा रही थी सत्ता से बेदखल हो चुकी इंदिरा गांधी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं था अचानक प्याज की कीमतें बढ़ने लगी और उनकी पार्टी ने इसका इस्तेमाल बड़े ही नाटकीय अंदाज में किया। ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं जब राजनेता प्याज की माला पहन कर लोकसभा और विधानसभाओं में विरोध जताया । केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी 1998 में प्याज की कीमत होने फिर लाना शुरू कर दिया था और तब अटल जी ने कहा था कि जब जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती है तो प्याज परेशान करने लगती है भाजपा विधायक मिथिलेश तिवारी भी मानते हैं कि अटल जी के सरकार जाने के पीछे प्याज भी एक महत्वपूर्ण कारण था । उन दिनों दिल्ली प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सर पर थे तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई कोशिशें की दिल्ली में जगह-जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बिक जाएगा लेकिन कोशिश से उठ के मुंह में जीरा साबित हुई और तब सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बुरी तरह हार गई। शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी लेकिन 15 साल बाद प्याज ने उन्हें भी रुला दिया। एक बार फिर प्याज की कीमत सातवें आसमान पर है और आम लोगों को ₹100 किलो प्याज खरीदना पड़ रहा है प्याज को लेकर बिहार में सियासी घमासान भी है पूर्व सांसद पप्पू यादव राजनीतिक दलों के दफ्तर के सामने ₹35 किलो प्याज बेचकर जहां विरोध जता रहे हैं वहीं विपक्ष का दावा है कि हाल में हुए राज्यों के चुनाव में भाजपा को प्याज की बढ़ती कीमतों का नतीजा भुगतना पड़ा। हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते महाराष्ट्र हरियाणा में भाजपा को नुकसान होगा और झारखंड के बाद बिहार में भी इंडिया को खामियाजा भुगतना पड़ेगा प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर जदयू भी चिंतित है पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि केंद्र सरकार को इस पर ठोस पहल करना चाहिए और दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो । भाजपा नेता यह नहीं मानते कि प्याज की बढ़ती कीमतों का असर वोटिंग और सरकार पर पड़ता है भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि आम लोगों को यह मालूम है कि किन कारणों से प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं और सरकार प्याज के आयात कर रही है जिससे कीमतों में कमी आए
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