पटना: प्याज की बढ़ती कीमत ने हर किसी को रुला दिया है. वहीं, मंहगा प्याज अब राजनेताओं को भी रुलाने लगा है. इसकी महंगी कीमत के चलते कई सरकारों को बेदखल होना पड़ा तो कई सरकारें हिल गईं. फिलहाल आगामी चुनाव पर भी प्याज की बढ़ती कीमत ने असर डाला है. वहीं, यह मामला अब राजनीतिक तूल भी पकड़ता दिख रहा है.
नहीं मिला कोई मुद्दा दो प्याज को भुनाया
कीमतों के लिहाज से प्याज का रेट सेंचुरी मार चुका है. प्याज के दाम सातवें आसमान पर हैं. यह पहला मौका नहीं है. जब प्याज की बढ़ती कीमतों ने लोगों के आंखों में आंसू लाए हैं. इसकी बढ़ती कीमतों ने देश के अंदर कई राजनीतिक तूफान भी खड़े किए हैं. जब-जब इसके दाम आसमान पर पहुंचे तब तक किसी न किसी की कुर्सी हिली है. प्याज से आम लोगों का सरोकार है. हर रसोई में प्याज की जरूरत है लेकिन जैसे ही प्याज की कीमतें बढ़ने लगती हैं. वैसे ही लोगों का जायका बिगड़ने लगता है और लोग भी सरकार से जवाब मांगने लगते हैं. अगर चुनाव सर पर हो तो राजनेताओं की परेशानियां बढ़ने लगती हैं. आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब देश में बीजेपी की सरकार बनी और सरकार अपने ही अंतर्विरोध से लड़खड़ा रही थी. सत्ता से बेदखल हो चुकी इंदिरा गांधी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं था. अचानक प्याज की कीमतें बढ़ने लगी और उनकी पार्टी ने इसका इस्तेमाल बड़े ही नाटकीय अंदाज में किया.
'प्याज ने हिलाई थी अटल सरकार'
ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं. जब राजनेताओं ने प्याज की माला पहनकर लोकसभा और विधानसभा में विरोध जताया. केंद्र में 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी. तब अटल जी ने कहा था कि जब-जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती है, तो प्याज परेशान करने लगता है. बीजेपी विधायक मिथिलेश तिवारी भी मानते हैं कि अटल जी की सरकार जाने के पीछे प्याज भी एक महत्वपूर्ण कारण था. उन दिनों दिल्ली प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सर पर थे. तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई कोशिशें की दिल्ली में जगह-जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बेचने की कोशिश की गई. लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई. तब सुषमा स्वराज की देखरेख वाली बीजेपी सरकार बुरी तरह हार गई.
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प्याज के बढ़ते दामों ने मचाया सियासी घमासान
शीला दीक्षित दिल्ली मुख्यमंत्री बनीं लेकिन 15 साल बाद प्याज ने उन्हें भी रुला दिया था. एक बार फिर प्याज की कीमत सातवें आसमान पर हैं और आम लोगों को ₹100 किलो प्याज खरीदना पड़ रहा है. प्याज को लेकर बिहार में सियासी घमासान भी है. पूर्व सांसद पप्पू यादव जहां राजनीतिक दलों के दफ्तर के सामने ₹35 किलो प्याज बेचकर विरोध जता रहे हैं. वहीं, विपक्ष का दावा है कि हाल में हुए राज्यों के चुनाव में भाजपा को प्याज की बढ़ती कीमतों का नतीजा भुगतना पड़ा. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते महाराष्ट्र हरियाणा में बीजेपी को नुकसान होगा और झारखंड के बाद बिहार में भी एनडीए को खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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प्याज की कीमत को लेकर जदयू चिंतित
प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर जदयू भी चिंतित है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि केंद्र सरकार को इस पर ठोस पहल करनी चाहिए और दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए. जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो. वहीं, बीजेपी नेता यह नहीं मानते कि प्याज की बढ़ती कीमत का असर वोटिंग और सरकार पर पड़ता है. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि आम लोगों को यह मालूम है कि किन कारणों से प्याज की कीमत बढ़ रही है और सरकार प्याज के आयात कर रही है. जिससे कीमत में कमी आए.
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