पटना: एक दौर था जब फुटबॉल और हॉकी जैसे खेल बिहार के लगभग सभी जिलों में खेली जाते थे लेकिन अब यह बिहार के नक्शे से ही लुप्त होने के कगार पर है. अब एक बार फिर से फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल समेत दूसरे खेलों को पुनर्जीवित करने की कवायद बिहार सरकार ने शुरू की है. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (Bihar State Sports Authority) के एडीजी एस रविंद्रण ने एनसीसी, एनएसएस के अलावा अन्य खेल संगठनों के लोगों के साथ मिलकर खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू करने की ठानी है.
एस रविंद्रण ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि खेल को पुनर्जीवित करने का सपना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का है. इसे हमलोग मिलकर साकार करेंगे. उन्होंने बताया कि बिहार के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने हेतु खेलों को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है. सबसे पहले खिलाड़ियों की प्रतिभा की पहचान की जाएगी. उसके बाद सभी खिलाड़ियों को सरकार की तरफ से बेहतर ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग के बाद लक्ष्य तक पहुंचाने में बिहार सरकार पूरी मदद करेगी. इसके साथ-साथ उन्हें बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी भी प्रदान की जाएगी.
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बिहार के खिलाड़ी अब खेल के मैदान में भी का नाम रोशन करेंगे. बिहार आने वाले समय में खेल में अपनी पहचान सके, इसके लिए विभिन्न जिलों से खिलाड़ियों का चयन किया गया जायेगा. इसमें फुटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी समेत सभी गेम शामिल रहेंगे. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण एडीजी एस रविंद्रण ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशानुसार और खेल मंत्री के मार्गदर्शन में बिहार आज खेल प्राधिकरण तीन स्तर पर कार्य कर रहा है.
उन्होंने बताया कि बिहार में छिपे हुए टैलेंट की पहचान की जाएगी. बाहर से कोच बुलाकर उन्हें ट्रेनिंग दिलाई जाएगी. उन्होंने कहा कि बिहार में एकलव्य ट्रेनिंग सेंटर है जिसे और बेहतर बनाया जाएगा ताकि वहां पर खिलाड़ियों को नेशनल और इंटरनेशनल के लिए तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि बिहार में खेल को लेकर बजट में कोई कमी नहीं आएगी. इसको लेकर बिहार सरकार काफी तत्पर है. उन्होंने कहा कि खिलाड़ी को चयनित करने के साथ-साथ उन्हें बेहतर ट्रेनिंग और ग्राउंड की व्यवस्था भी की जाएगी. इसकी बिहार में बहुत कमी है.
बिहार राज्य खेल प्राधिकरण एडीजी एस रविंद्रण ने कहा कि शॉर्ट टर्म और लांग टर्म की नीति के तहत बिहार राज्य खेल प्राधिकरण कार्य करेगा. वॉलीबॉल, हॉकी, कबड्डी, शूटिंग और वेटलिफ्टिंग बिहार का लोकप्रिय खेल है. इन सभी गेम में बिहार के बच्चों में काफी टैलेंट छिपा हुआ है. इसे निखारने की जरूरत है.
इसके अलावा ओलंपिक स्तर पर जो भी गेम्स खेलने जाते हैं, उस पर भी बिहार राज्य खेल प्राधिकरण ध्यान देगा. चेस, कैरम और भी सारे गेम्स पर भी ध्यान दिया जाएगा. बिहार के अररिया के दो ऐसे छात्र हैं जो चेस में नेशनल में खेल रहे हैं. उनके खेल को लेकर उनके पिता अपने निजी संपत्ति बेचकर उन्हें रूस और दूसरे देशों में ट्रेनिंग करवा रहे हैं. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण वैसे बच्चों को अडॉप्ट कर उनके खेल को आगे बढ़ाएगा. हो सकता है कि वह बच्चा आगे चलकर ग्रैंड मास्टर बन सकता है.
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वहीं, बिहार की रहने वाली रश्मि कैरम के लिए नेशनल और इंटरनेशनल खेल चुकी हैं. वे बीएसएनएल में भी काम कर चुकी हैं. मौजूदा वक्त में है वह बीएसएनल की नौकरी छोड़कर दिल्ली में सरकारी नौकरी कर रही हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि पहले बिहार में खेल के प्रति राज्य सरकार काफी सजग रहती थी परंतु बीच के समय में बिहार से खेल और खिलाड़ी गायब हो गए थे. खिलाड़ियों के लिए अब फिर से राज्य सरकार ने नीति बनाई है. यह सराहनीय कदम है. आने वाले दिनों में अन्य राज्यों के जैसे बिहार से भी खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल खेल सकेंगे और उन्हें किसी भी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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