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ओथ से लगेगी रोक? बिहार के सरकारी कर्मचारी आज कहेंगे- हम कसम खाते हैं.. नहीं पिएंगे शराब - Bihar Government Employee

आज बिहार सरकार के सभी कर्मी एक बार फिर मद्य निषेध के प्रति चेतना जगाने के लिए शपथ ( Oath For Not Drink Liquor ) लेंगे. प्रतिबंध दिवस के मौके पर राज्य के सभी लोग ये शपथ लेंगे कि न तो वह खुद शराब का सेवन करेंगे और न ही इसकी बिक्री होने देंगे. पूरी खबर...

Employee Take Oath For Not Drink Liquor
Employee Take Oath For Not Drink Liquor
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Published : Nov 26, 2021, 6:04 AM IST

Updated : Nov 26, 2021, 10:04 AM IST

पटना: बिहार में आज शराबबंदी को लेकर एक बार फिर शपथ ली जाएगी. दरअसल, राज्य में शराब पर प्रतिबंध (Liquor ban in Bihar) को लेकर लगातार सख्त रुख दिखा रही नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार (Nitish Kumar Government) इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं चाहती है.

यही कारण है कि सभी विभागों और कार्यालयों के पदाधिकारी और कर्मचारी आज मद्य निषेध की शपथ लेंगे. सभी विभाग और कार्यालय अपने परिसर में 11 बजे शराब का सेवन नहीं करने करने की शपथ लेंगे. मुख्य सचिव के निर्देश पर सभी कर्मचारियों को शपथ लेना अनिवार्य कर दिया गया है. अगर कोई कर्मचारी 26 नवंबर को शपथ लेने से चूक जाता है तो हफ्ते भर में शपथ लेने का वीडियो विभागीय अधिकारी को भेजना होगा.

ये भी पढ़ें- 'शराब ना बेचने देंगे.. ना पीने देंगे', पुलिस के सामने ग्रामीणों ने ली सामूहिक शपथ

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि बिहार सरकार के कर्मचारी और राज्य के लोग 26 नवंबर को 'प्रतिबंध दिवस' (Pratibandh Diwas) के अवसर पर शपथ लेंगे कि वह शराब का सेवन नहीं करेंगे. सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को यह निर्देश दिया गया है कि शराब पर प्रतिबंध को पूरे प्रदेश में उचित तरीके से लागू किया जाए.

हालांकि, शराबबंदी के बावजूद शराब से कई लोगों की जान जाने के बाद यह सवाल उठने लगा कि इस कानून से घोषित सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति हुई भी या नहीं.

पुलिस मुख्यालय के जारी आंकड़ें भी इसकी पुष्टि करते हैं कि राज्य में शराब का व्यापार जारी है. बिहार पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक आंकडों के मुताबिक, राज्य में इस साल यानी जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक राज्य मद्य निषेध एवं उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2018 के तहत विशेष छापेमारी करके विभिन्न जिलों में कुल 49,900 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि इस दौरान राज्य में कुल 38,72,645 लीटर अवैध शराब बरामद और जब्त की गई है. इस आंकड़ें से स्पष्ट है कि राज्य में शराब अभी भी पहुंच रहे हैं.

ये भी पढ़ें: शराबबंदी के बीच सरकार को पप्पू का सुझाव, 'ज्यादा टैक्स लेकर विदेशी शराब को शुरू करें'

पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अक्टूबर तक राज्य में कुल 12,93,229 लीटर देशी शराब और 25,79,415 लीटर विदेशी शराब बरामद की गई है. इस दौरान राज्य में 62,140 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 12,200 वाहन जब्त किए गए.

कुल गिरफ्तार आरोपियों में से 1,590 लोग राज्य से बाहर के निवासी हैं. शराब बरामदगी में अव्वल रहे जिलों की बात करें तो इस साल वैशाली जिले में सबसे अधिक 45,63,59 लीटर शराब बरामदगी की गई जबकि पटना में 35,00,85 लीटर, मुजफ्फरपुर में 25,64,80 लीटर, औरंगाबाद में 23,25,42 लीटर तथा मधुबनी में 22,37,67 लीटर शराब बरामद की गई.

इधर, आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले में पटना शीर्ष स्थान पर रहा, जहां इस दौरान 6855 लोगों को शराब के धंधे में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इसके अलावे सारण जिले में 3872 लोगों की गिरफ्तारी की गई जबकि पूर्वी चंपारण जिले में 2832 गिरफ्तारियां हुई.

ये भी पढ़ेंः शराबबंदी के गुजरात मॉडल को लेकर बिहार में सियासी संग्राम

बता दें कि बिहार में एक अप्रैल 2016 को बिहार मद्य निषेध कानून लागू किया गया. उस समय संभावना जताई गई थी कि अपराध और दुर्घटना कम होगी. हालांकि उस समय भी राजस्व के नुकसान की बात कहकर इसकी आलोचना की गई थी.

इधर, विपक्ष राज्य में शराबबंदी को पूरी तरह फेल बताता रहा है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव तो कई बार सार्वजनिक मंचों से आरोप लगाया है कि शराबबंदी पूरी तरह फेल है. उन्होंने आरोप लगाया है कि शराब माफियाओं को सत्ता से संरक्षण प्राप्त है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक हिस्से में ' होम डिलिवरी' होता है.

दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कहते रहे हैं कि महिलाओं की मांग पर ही राज्य में शराबबंदी कानून लागू की गई है. जब शराबबंदी लागू की गई थी तब महिलाओं ने इसका स्वागत भी किया था. वहीं पिछले दिनों राज्य के मुजफ्फरपुर, गोपालंगज, पश्चिम चंपारण और समस्तीपुर जिले में कथित तौर पर शराब पीने से तीन दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई है.

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पटना: बिहार में आज शराबबंदी को लेकर एक बार फिर शपथ ली जाएगी. दरअसल, राज्य में शराब पर प्रतिबंध (Liquor ban in Bihar) को लेकर लगातार सख्त रुख दिखा रही नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार (Nitish Kumar Government) इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं चाहती है.

यही कारण है कि सभी विभागों और कार्यालयों के पदाधिकारी और कर्मचारी आज मद्य निषेध की शपथ लेंगे. सभी विभाग और कार्यालय अपने परिसर में 11 बजे शराब का सेवन नहीं करने करने की शपथ लेंगे. मुख्य सचिव के निर्देश पर सभी कर्मचारियों को शपथ लेना अनिवार्य कर दिया गया है. अगर कोई कर्मचारी 26 नवंबर को शपथ लेने से चूक जाता है तो हफ्ते भर में शपथ लेने का वीडियो विभागीय अधिकारी को भेजना होगा.

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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि बिहार सरकार के कर्मचारी और राज्य के लोग 26 नवंबर को 'प्रतिबंध दिवस' (Pratibandh Diwas) के अवसर पर शपथ लेंगे कि वह शराब का सेवन नहीं करेंगे. सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को यह निर्देश दिया गया है कि शराब पर प्रतिबंध को पूरे प्रदेश में उचित तरीके से लागू किया जाए.

हालांकि, शराबबंदी के बावजूद शराब से कई लोगों की जान जाने के बाद यह सवाल उठने लगा कि इस कानून से घोषित सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति हुई भी या नहीं.

पुलिस मुख्यालय के जारी आंकड़ें भी इसकी पुष्टि करते हैं कि राज्य में शराब का व्यापार जारी है. बिहार पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक आंकडों के मुताबिक, राज्य में इस साल यानी जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक राज्य मद्य निषेध एवं उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2018 के तहत विशेष छापेमारी करके विभिन्न जिलों में कुल 49,900 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि इस दौरान राज्य में कुल 38,72,645 लीटर अवैध शराब बरामद और जब्त की गई है. इस आंकड़ें से स्पष्ट है कि राज्य में शराब अभी भी पहुंच रहे हैं.

ये भी पढ़ें: शराबबंदी के बीच सरकार को पप्पू का सुझाव, 'ज्यादा टैक्स लेकर विदेशी शराब को शुरू करें'

पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अक्टूबर तक राज्य में कुल 12,93,229 लीटर देशी शराब और 25,79,415 लीटर विदेशी शराब बरामद की गई है. इस दौरान राज्य में 62,140 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 12,200 वाहन जब्त किए गए.

कुल गिरफ्तार आरोपियों में से 1,590 लोग राज्य से बाहर के निवासी हैं. शराब बरामदगी में अव्वल रहे जिलों की बात करें तो इस साल वैशाली जिले में सबसे अधिक 45,63,59 लीटर शराब बरामदगी की गई जबकि पटना में 35,00,85 लीटर, मुजफ्फरपुर में 25,64,80 लीटर, औरंगाबाद में 23,25,42 लीटर तथा मधुबनी में 22,37,67 लीटर शराब बरामद की गई.

इधर, आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले में पटना शीर्ष स्थान पर रहा, जहां इस दौरान 6855 लोगों को शराब के धंधे में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इसके अलावे सारण जिले में 3872 लोगों की गिरफ्तारी की गई जबकि पूर्वी चंपारण जिले में 2832 गिरफ्तारियां हुई.

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बता दें कि बिहार में एक अप्रैल 2016 को बिहार मद्य निषेध कानून लागू किया गया. उस समय संभावना जताई गई थी कि अपराध और दुर्घटना कम होगी. हालांकि उस समय भी राजस्व के नुकसान की बात कहकर इसकी आलोचना की गई थी.

इधर, विपक्ष राज्य में शराबबंदी को पूरी तरह फेल बताता रहा है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव तो कई बार सार्वजनिक मंचों से आरोप लगाया है कि शराबबंदी पूरी तरह फेल है. उन्होंने आरोप लगाया है कि शराब माफियाओं को सत्ता से संरक्षण प्राप्त है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक हिस्से में ' होम डिलिवरी' होता है.

दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कहते रहे हैं कि महिलाओं की मांग पर ही राज्य में शराबबंदी कानून लागू की गई है. जब शराबबंदी लागू की गई थी तब महिलाओं ने इसका स्वागत भी किया था. वहीं पिछले दिनों राज्य के मुजफ्फरपुर, गोपालंगज, पश्चिम चंपारण और समस्तीपुर जिले में कथित तौर पर शराब पीने से तीन दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई है.

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Last Updated : Nov 26, 2021, 10:04 AM IST
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