पटना: बजट किसी भी सरकार के लिए विकास की कुंजी होती है. बिहार में बजट (Bihar government budget) बनाने में सबसे अहम भूमिका वित्त विभाग और योजना विभाग की होती है. बजट के जरिए सरकार अगले 1 साल के लिए विकास की रूपरेखा तय करती है. बजट के जरिए राज्य सरकार विकास योजनाओं में अपनी प्राथमिकताएं तय करती है. योजना और गैर योजना मद में बजट तैयार किया जाता है. सरकार यह देखती है कि अलग-अलग संसाधनों से सरकार को कितना आय हो रहा है और सरकार उसका कितना हिस्सा खर्च कर सकती है.
आपको बता दें कि बजट शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा से हुई है. बजट शब्द बुल्गा से लिया गया है. बुल्गा का अर्थ चमड़े का थैला होता है. बाद में फ्रेंच भाषा में यह शब्द बोउ गैट कहा जाने लगा. कालांतर में यह शब्द बोगेट या बोजेट बन गया. असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वर्ना गांगुली ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि बजट निर्माण की प्रक्रिया अगस्त माह से शुरू हो जाती है.
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सभी विभागों को प्रपत्र सौपे जाते हैं. सभी विभाग प्रपत्र भरकर अक्टूबर-नवंबर माह तक वित्त विभाग को सौंप देते हैं. सभी विभाग अपनी योजनाओं के हिसाब से खर्च का ब्यौरा योजना विभाग को सौंप देते हैं. योजना विभाग यह तय करता है कि किस स्कीम के तहत कितना पैसा विभाग को देना है. आद्री के सदस्य सचिव प्रभात पी घोष का कहना है कि सरकार यह भी देखती है कि पिछले साल किस विभाग को किस मद में कितना पैसा दिया गया.
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उसी के आधार पर सरकार अगले साल के लिए बजट का आकार तय करती है. विभाग की प्राथमिकता भी तय की जाती है. कई बार सरकारें प्राथमिकताओं में बदलाव भी करती हैं. अगर किसी सेक्टर में लक्ष्य पूरा हो गया तो उस विभाग का बजट कम किया जाता है और दूसरे विभाग का बजट बढ़ा दिया जाता है.
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