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बिहार में महागठबंधन टूटने का ऐलान! '..अब कांग्रेस अकेले लड़ेगी चुनाव' - Tejashwi Yadav

बिहार में महागठबंधन टूट चुका है. आरजेडी ने गठबंधन का रिश्ता नहीं निभाया. अब कांग्रेस अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेगी और जीतेगी,यह कहना है बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास का. पढ़ें बिहार की राजनीति से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी खबर..

Mahagathbandhan broken in Bihar
Mahagathbandhan broken in Bihar
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Published : Oct 22, 2021, 1:23 PM IST

पटना: एक समय था जब बिहार में कांग्रेस के बड़े नेता आते थे तो पटना एयरपोर्ट से सीधे 10 सर्कुलर रोड राबड़ी आवास पहुंचते थे, लेकिन अब बिहार की राजनीति बदली है. आज कांग्रेस के तीन बड़े युवा नेता हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी पटना आ रहे हैं. वे सीधे पटना एयरपोर्ट से सदाकत आश्रम जाएंगे. कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakta Charan Das) ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बिहार में महागठबंधन टूट (Mahagathbandhan broken in Bihar ) गया है और कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.

यह भी पढ़ें- हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी के साथ आज पटना पहुंचेंगे कन्हैया कुमार

बिहार की राजनीति में विधानसभा के होने वाले उपचुनाव ने एक बहुत बड़ा बदलाव किया है. सबसे पहले राष्ट्रीय जनता दल ने कुशेश्वरस्थान के सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. उसके बाद कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करके बिहार की राजनीति की दिशा और दशा ही बदल दी है, क्योंकि महागठबंधन में जिस तरह की टूट हुई है उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस के नेता खासे नाराज हैं.

देखें वीडियो

यह भी पढ़ें- बिहार उपचुनाव में मुकाबला हुआ दिलचस्प, तजुर्बेकार नेताओं से दो-दो हाथ के लिए तैयार हैं युवा चेहरे

हम जमकर लड़ेंगे और 40 सीटों पर भी लड़ेंगे. अब कहां गठबंधन है, गठबंधन तो टूट गया, इन्होंने गठबंधन का रिश्ता नहीं निभाया. अभी तो हम चुनाव अपनी जीत के लिए लड़ रहे हैं. कांग्रेस के सारे नेता यहां मौजूद हैं और कुछ आ रहे हैं. आज से अभियान और तेज होगा. दोनों सीटों पर कांग्रेस बराबर की टक्कर में है और जीत की ओर बढ़ रही है.- भक्त चरण दास, बिहार कांग्रेस प्रभारी

यह भी पढ़ें- 'जो मुस्लिम नेता जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध करते हैं, वह जनसंख्या जिहाद करना चाहते हैं'

कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस अब महागठबंधन से अलग हो चुका है. जिस महागठबंधन के बदौलत तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे, वह महागठबंधन अब टूट चुका है.

यह भी पढ़ें- खुद को साबित करने की कोशिश में तेज प्रताप, लालू के आने से पहले बदल गए RJD नेताओं के तेवर

वोटों को एकसाथ रखने की राजनिति भी राजद के हाथों से फिसल रही है. बिहार के राजनीति में गठबंधन का काफी महत्व है. आपको बता दें कि 2010 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस और राजद अलग-अलग विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में थे, तो दोनों में से किसी भी पार्टी ने इतनी सीट पर कब्जा नहीं किया, जिससे कि विधानसभा में विपक्ष का दर्जा उन लोगों को मिल सके.

2015 में कांग्रेस राजद साथ आए. इस दौरान इन्हें अच्छी खासी सीट मिली और विपक्ष का दर्जा भी मिला. लेकिन एक बार फिर से बिहार विधानसभा के 2 सीटों का उपचुनाव होने वाला है. राजद और कांग्रेस अलग हो गए हैं. इसका असर बिहार की राजनीति पर देखने को मिल रहा है.

एनडीए के नेता शुरू से ही इसको लेकर चुटकी लेते रहे हैं कि राजद और कांग्रेस में नूरा कुश्ती हो रही है. लेकिन जिस तरह से आज स्पष्ट शब्दों में भक्त चरण दास ने सब कुछ सामने रख दिया, उससे अब लगता है कि तेजस्वी यादव ने जिस राजनीतिक समीकरण को लेकर अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था और जिस तरह से वह महागठबंधन में अपना वर्चस्व बना कर आगे बढ़ रहे थे, उसको बहुत बड़ा धक्का लगा है.

वैसे महागठबंधन की अगर बात करें तो महागठबंधन में जितने भी दल थे, उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को अपना नेता मान लिया था और उनके चेहरे पर ही पूरा चुनाव महागठबंधन ने लड़ा था. सीटे अच्छी खासी आई, लेकिन महागठबंधन सत्ता तक नहीं पहुंच सका. जिसके कारण धीरे-धीरे महागठबंधन के दलों के बीच दरार बढ़ती चली गई.

इस उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने आगे बढ़कर कुशेश्वरस्थान सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा की. बाद में कांग्रेस ने नाराज होकर दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार दे दिए. इसका परिणाम भी सबके सामने है. राजनीतिक पंडतों का मानना था कि महागठबंधन में टूट होगी ही. जब चुनाव प्रचार में तेजी आई तो राजद और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर बयानबाजी भी करने लगे.

लगातार बयानबाजी का ही परिणाम हुआ कि अंततः कांग्रेस महागठबंधन से बाहर आकर अकेले चुनाव लड़ने की बात कह रहा है. साथ ही यह भी कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में भी 40 सीटों पर अकेले कांग्रेस चुनावी मैदान में रहेगी. साथ ही भक्त चरण दास ने कहा है कि बिहार की जनता की मांग है कि कांग्रेस अपने बलबूते पर मैदान में आए और यही कारण है कि हम लोगों ने यह अभियान इस उपचुनाव से ही शुरू कर दिया है.

अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस ने जिस तरह से अपने बलबूते चुनावी मैदान में उतरने का काम किया है, उसका उसे कितना फायदा मिलेगा. फिलहाल लोकसभा चुनाव तो दूर है, लेकिन इस उपचुनाव में ही कांग्रेस की रणनीति को कितनी सफलता मिलती है, इसका पता लग जाएगा.

पटना: एक समय था जब बिहार में कांग्रेस के बड़े नेता आते थे तो पटना एयरपोर्ट से सीधे 10 सर्कुलर रोड राबड़ी आवास पहुंचते थे, लेकिन अब बिहार की राजनीति बदली है. आज कांग्रेस के तीन बड़े युवा नेता हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी पटना आ रहे हैं. वे सीधे पटना एयरपोर्ट से सदाकत आश्रम जाएंगे. कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakta Charan Das) ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बिहार में महागठबंधन टूट (Mahagathbandhan broken in Bihar ) गया है और कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.

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बिहार की राजनीति में विधानसभा के होने वाले उपचुनाव ने एक बहुत बड़ा बदलाव किया है. सबसे पहले राष्ट्रीय जनता दल ने कुशेश्वरस्थान के सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. उसके बाद कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करके बिहार की राजनीति की दिशा और दशा ही बदल दी है, क्योंकि महागठबंधन में जिस तरह की टूट हुई है उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस के नेता खासे नाराज हैं.

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हम जमकर लड़ेंगे और 40 सीटों पर भी लड़ेंगे. अब कहां गठबंधन है, गठबंधन तो टूट गया, इन्होंने गठबंधन का रिश्ता नहीं निभाया. अभी तो हम चुनाव अपनी जीत के लिए लड़ रहे हैं. कांग्रेस के सारे नेता यहां मौजूद हैं और कुछ आ रहे हैं. आज से अभियान और तेज होगा. दोनों सीटों पर कांग्रेस बराबर की टक्कर में है और जीत की ओर बढ़ रही है.- भक्त चरण दास, बिहार कांग्रेस प्रभारी

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कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस अब महागठबंधन से अलग हो चुका है. जिस महागठबंधन के बदौलत तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे, वह महागठबंधन अब टूट चुका है.

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वोटों को एकसाथ रखने की राजनिति भी राजद के हाथों से फिसल रही है. बिहार के राजनीति में गठबंधन का काफी महत्व है. आपको बता दें कि 2010 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस और राजद अलग-अलग विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में थे, तो दोनों में से किसी भी पार्टी ने इतनी सीट पर कब्जा नहीं किया, जिससे कि विधानसभा में विपक्ष का दर्जा उन लोगों को मिल सके.

2015 में कांग्रेस राजद साथ आए. इस दौरान इन्हें अच्छी खासी सीट मिली और विपक्ष का दर्जा भी मिला. लेकिन एक बार फिर से बिहार विधानसभा के 2 सीटों का उपचुनाव होने वाला है. राजद और कांग्रेस अलग हो गए हैं. इसका असर बिहार की राजनीति पर देखने को मिल रहा है.

एनडीए के नेता शुरू से ही इसको लेकर चुटकी लेते रहे हैं कि राजद और कांग्रेस में नूरा कुश्ती हो रही है. लेकिन जिस तरह से आज स्पष्ट शब्दों में भक्त चरण दास ने सब कुछ सामने रख दिया, उससे अब लगता है कि तेजस्वी यादव ने जिस राजनीतिक समीकरण को लेकर अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था और जिस तरह से वह महागठबंधन में अपना वर्चस्व बना कर आगे बढ़ रहे थे, उसको बहुत बड़ा धक्का लगा है.

वैसे महागठबंधन की अगर बात करें तो महागठबंधन में जितने भी दल थे, उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को अपना नेता मान लिया था और उनके चेहरे पर ही पूरा चुनाव महागठबंधन ने लड़ा था. सीटे अच्छी खासी आई, लेकिन महागठबंधन सत्ता तक नहीं पहुंच सका. जिसके कारण धीरे-धीरे महागठबंधन के दलों के बीच दरार बढ़ती चली गई.

इस उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने आगे बढ़कर कुशेश्वरस्थान सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा की. बाद में कांग्रेस ने नाराज होकर दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार दे दिए. इसका परिणाम भी सबके सामने है. राजनीतिक पंडतों का मानना था कि महागठबंधन में टूट होगी ही. जब चुनाव प्रचार में तेजी आई तो राजद और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर बयानबाजी भी करने लगे.

लगातार बयानबाजी का ही परिणाम हुआ कि अंततः कांग्रेस महागठबंधन से बाहर आकर अकेले चुनाव लड़ने की बात कह रहा है. साथ ही यह भी कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में भी 40 सीटों पर अकेले कांग्रेस चुनावी मैदान में रहेगी. साथ ही भक्त चरण दास ने कहा है कि बिहार की जनता की मांग है कि कांग्रेस अपने बलबूते पर मैदान में आए और यही कारण है कि हम लोगों ने यह अभियान इस उपचुनाव से ही शुरू कर दिया है.

अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस ने जिस तरह से अपने बलबूते चुनावी मैदान में उतरने का काम किया है, उसका उसे कितना फायदा मिलेगा. फिलहाल लोकसभा चुनाव तो दूर है, लेकिन इस उपचुनाव में ही कांग्रेस की रणनीति को कितनी सफलता मिलती है, इसका पता लग जाएगा.

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