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बीजेपी विधायक बचौल का बवाली बयान- 'जब कृषि कानून वापस हो सकता है तो शराबबंदी क्यों नहीं?'

बिहार में शराबबंदी पर (Liquor Ban in Bihar) बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ''शराबबंदी कानून की वापसी होना चाहिए. जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.''

बिहार में शराबबंदी
बिहार में शराबबंदी
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Published : Nov 23, 2021, 5:18 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) कानून को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. सभी पार्टियां अपने-अपने तरह से शराबबंदी कानून को लेकर बयान दे रहे हैं, लेकिन आज शराब बंदी कानून को लेकर बीजेपी विधायक ने ही सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि शराबबंदी कानून की वापसी होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- शराब ढूंढने दुल्हन के कमरे में घुसी बिहार पुलिस, राबड़ी ने जताया एतराज, नीतीश ने किया बचाव

''इस कानून के रखवाले ही इस कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि इस तरह के कानून को वापस लिया जाए. इसकी पुनर्वापसी जरूरी है. जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.''- हरिभूषण ठाकुर बचौल, बीजेपी विधायक

देखें रिपोर्ट

बीजेपी विधायक ने कहा कि जिस तरह से इस कानून में इंजीनियर और डॉक्टर पकड़े जा रहे हैं. पुलिस वाले खुलेआम शादी विवाह में जाकर छापेमारी कर रहे हैं. इससे बिहार के बारे में गलत संदेश अन्य राज्यों में जा रहा है. कहीं न कहीं मुख्यमंत्री को उसके बारे में विचार करना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- लग्जरी कार में तहखाना... खचाखच भरी थी अंग्रेजी शराब, तस्करी का नायाब तरीका देख दंग रह गए अधिकारी

कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी विधायक ने शराबबंदी कानून पर कई तरह की बातें कही है और स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस कानून के रखवाले ही शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. मुख्यमंत्री इस बात को जान रहे हैं और जिस तरह की गतिविधि बिहार पुलिस कर रही है, इसकी चर्चा अन्य राज्यों में हो रही है. इससे बिहार से गलत संदेश जा रहा है. निश्चित तौर पर शराबबंदी कानून बिहार से वापस होना चाहिए.

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.

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पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) कानून को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. सभी पार्टियां अपने-अपने तरह से शराबबंदी कानून को लेकर बयान दे रहे हैं, लेकिन आज शराब बंदी कानून को लेकर बीजेपी विधायक ने ही सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि शराबबंदी कानून की वापसी होना चाहिए.

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''इस कानून के रखवाले ही इस कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि इस तरह के कानून को वापस लिया जाए. इसकी पुनर्वापसी जरूरी है. जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.''- हरिभूषण ठाकुर बचौल, बीजेपी विधायक

देखें रिपोर्ट

बीजेपी विधायक ने कहा कि जिस तरह से इस कानून में इंजीनियर और डॉक्टर पकड़े जा रहे हैं. पुलिस वाले खुलेआम शादी विवाह में जाकर छापेमारी कर रहे हैं. इससे बिहार के बारे में गलत संदेश अन्य राज्यों में जा रहा है. कहीं न कहीं मुख्यमंत्री को उसके बारे में विचार करना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.

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कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी विधायक ने शराबबंदी कानून पर कई तरह की बातें कही है और स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस कानून के रखवाले ही शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. मुख्यमंत्री इस बात को जान रहे हैं और जिस तरह की गतिविधि बिहार पुलिस कर रही है, इसकी चर्चा अन्य राज्यों में हो रही है. इससे बिहार से गलत संदेश जा रहा है. निश्चित तौर पर शराबबंदी कानून बिहार से वापस होना चाहिए.

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.

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