पटनाः छठ महापर्व (Chhath Puja 2021) का इंतजार बिहार के फल व्यवसायियों को सबसे ज्यादा रहता है. बिहार ही नहीं बिहार से बाहर के फल व्यवसायियों को भी छठ महापर्व का इंतजार रहता है. ऐसे तो बिहार के हाजीपुर और सोनपुर का चिनिया केला पूरे देश में प्रसिद्ध है. लेकिन छठ महापर्व में चिनिया केला की आपूर्ति इतनी नहीं होती है कि मांग को पूरा किया जाए. व्यवसायी बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से केला मंगा कर पूर्ति करते हैं. बाजार समिति का केला मंडी छठ पूजा में विशेष रूप से गुलजार रहता है.
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बाजार समिति फल मंडी एसोसिएशन के सचिव वरुण कुमार का कहना है कि इस बार मौसम के कारण केला के फसल पर असर पड़ा है. लेकिन उसके बावजूद पिछले साल के मुकाबले बिक्री अधिक हो रही है.
बिहार के हाजीपुर और सोनपुर का चिनिया केला, पूर्णिया का बिहारीगंज केला की फसल इस साल बहुत बेहतर नहीं हुई है. इसके अलावा दूसरे राज्यों में भी मौसम के असर के कारण केला का फसल बहुत बढ़िया नहीं हुआ है. लेकिन छठ महापर्व है और उसमें केले का खास महत्व है. बाजार समिति में केला खरीदने वालों की चहल-पहल है. बड़े व्यवसायी से लेकर छोटे व्यवसायी और आम लोग पहुंच रहे हैं.
'हम लोगों को छठ पर्व का साल भर इंतजार रहता है. क्योंकि छठ पर्व के बिजनेस से पूरे साल ऑक्सीजन मिलता है. पिछले साल के मुकाबले इस साल बिक्री बढ़ी है. लेकिन पूरे देश में केला के फसल को नुकसान हुआ है. इसलिए दूसरे राज्यों से केला लाने में कॉस्ट अधिक लग रहा है. इस बार बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मद्रास से विशेष रूप से केला मंगाया गया है. लेकिन दूसरे राज्यों से जो केला आ रहा है, बहुत बेहतर नहीं है.' -वरुण कुमार, सचिव, फल मंडी एसोसिएशन
वरुण कुमार के अनुसार आंध्र प्रदेश से जो केला मंगाया गया है, वह ढाई सौ से 400 रुपए घौद बेचा जा रहा है. वहीं कर्नाटक से जो केला मंगाया गया है, वह 400 से 500 रुपए बेचा जा रहा है.
वरुण के अनुसार हर साल छठ पर्व के दौरान दूसरे राज्यों से 200 से 250 ट्रक केला मंगाया जाता है. लेकिन इस साल 150 ट्रक के आसपास केला मंगाया गया है. बाजार समिति से ही व्यवसायी पूरे बिहार में केला ले जाते हैं. बिहार में कई स्थानों पर केला होता है. उसके बावजूद मांग को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से विशेष रूप से केला मंगाना मजबूरी है. दूसरे राज्यों के व्यवसायियों की भी नजर बिहार के महापर्व पर रहती है.
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