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जेल की जगह घर जाने वाले आनंद मोहन प्रकरण में SP लिपि सिंह का एक्शन, छह पुलिसकर्मी सस्पेंड

Former MP Anand Mohan के जेल की जगह घर जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जीएस गंगवार ने Saharsa SP Lipi Singh से रिपोर्ट तलब किया है. जिसके बाद लिपि सिंह ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही इस पूरे मामले की जांच की बात कही है.

पूर्व सांसद आनंद मोहन
पूर्व सांसद आनंद मोहन
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Published : Aug 14, 2022, 9:34 PM IST

Updated : Aug 15, 2022, 1:53 PM IST

पटना/सहरसा: महागठबंधन की सरकार बनते ही गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan) बेखौफ होकर पटना की सड़कों पर घूमते नजर आए. हालांकि कानूनन उन्हें जेल में होना चाहिए था लेकिन उन्होंने पाटलिपुत्र स्थित अपने आवास में पत्नी लवली आनंद और बेटे विधायक चेतन आनंद के साथ मीटिंग भी की. अब इस मामले में सहरसा एसपी लिपि सिंह ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित (SP Lipi Singh suspended six policemen) कर दिया है.

पढ़ें-पूर्व सांसद आनंद मोहन को राहत, आचार संहिता उल्लंघन के 31 साल पुराने मामले में बरी

"सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था. उसके पुलिस मुख्यालय की ओर से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. उसमें जो पुलिसकर्मी हैं, जांच के आधार पर छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. अगर सारे तथ्य सही आते हैं तो आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसमें जेल की भी भूमिका की जांच चल रही है. जो लोग भी रिस्पॉन्सिबल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और की जा रही है"- लिपि सिंह, पुलिस अधीक्षक, सहरसा

रक्षाबंधन के दिन पेशी के लिए आये थे पटनाः दरअसल, आनंद मोहन को एक मामले में पेशी के लिए रक्षाबंधन के दिन यानी 12 अगस्त को कड़ी सुरक्षा के बीच सहरसा जेल से पटना लाया गया था. लेकिन वापस सीधे जेल जाने के बजाय वे पटना के पाटलिपुत्र कालोनी स्थित अपने निजी आवास पहुंच (Anand Mohan Meets his Family During Jailed) गए. यहां उन्होंने समर्थकों के साथ बैठक की, फिर दारोगा राय पथ स्थित विधायक कालोनी में गए. इसका खुलासा तब हुआ जब समर्थकों ने उनके साथ की वीडियो और फोटो शेयर करनी शुरू कर दी. इस मामले में सहरसा जेल के 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड हो गए हैं.

पटना आवास पर आराम फरमाते आनंद मोहन
पटना आवास पर आराम फरमाते आनंद मोहन

सोशल मीडिया पर महागठबंधन की सरकार पर तंजः आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से विधायक (RJD MLA Chetan Anand ) हैं. वहीं पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद आरजेडी की वरिष्ठ नेता हैं. ऐसे में अब बिहार में आरजेडी की सरकार आ गई है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग महागठबंधन की सरकार पर तरह तरह से कमेंट कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अभी कैबिनेट विस्तार भी नहीं हुआ है तो ये हाल है. आने वाले समय में समय बिहार का क्या होगा पता नहीं. बता दें कि ईटीवी भारत वायरल वीडियो या तस्वीरों के सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

मौत की सजा पाने वाले पहले पूर्व विधायक और सांसद हैं आनंद मोहनः इस मामले में आनंद मोहन को जेल गये थे. निचली अदालत ने 2007 में उन्हें मौत की सजा सुना दी. बताया जाता है कि आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हुए, जिन्हें मौत की सजा मिली थी. हालांकि, दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. डीएम हत्याकांड में वे सजा पहले ही पूरी कर चुके हैं.

क्या है डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड? मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. इस घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा था. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब था.

पढ़ें-सजा पूरी... रिहाई कब? बिहार का वो बाहुबली नेता जो 14 साल बाद जेल से आएगा बाहर

पटना/सहरसा: महागठबंधन की सरकार बनते ही गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan) बेखौफ होकर पटना की सड़कों पर घूमते नजर आए. हालांकि कानूनन उन्हें जेल में होना चाहिए था लेकिन उन्होंने पाटलिपुत्र स्थित अपने आवास में पत्नी लवली आनंद और बेटे विधायक चेतन आनंद के साथ मीटिंग भी की. अब इस मामले में सहरसा एसपी लिपि सिंह ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित (SP Lipi Singh suspended six policemen) कर दिया है.

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"सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था. उसके पुलिस मुख्यालय की ओर से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. उसमें जो पुलिसकर्मी हैं, जांच के आधार पर छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. अगर सारे तथ्य सही आते हैं तो आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसमें जेल की भी भूमिका की जांच चल रही है. जो लोग भी रिस्पॉन्सिबल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और की जा रही है"- लिपि सिंह, पुलिस अधीक्षक, सहरसा

रक्षाबंधन के दिन पेशी के लिए आये थे पटनाः दरअसल, आनंद मोहन को एक मामले में पेशी के लिए रक्षाबंधन के दिन यानी 12 अगस्त को कड़ी सुरक्षा के बीच सहरसा जेल से पटना लाया गया था. लेकिन वापस सीधे जेल जाने के बजाय वे पटना के पाटलिपुत्र कालोनी स्थित अपने निजी आवास पहुंच (Anand Mohan Meets his Family During Jailed) गए. यहां उन्होंने समर्थकों के साथ बैठक की, फिर दारोगा राय पथ स्थित विधायक कालोनी में गए. इसका खुलासा तब हुआ जब समर्थकों ने उनके साथ की वीडियो और फोटो शेयर करनी शुरू कर दी. इस मामले में सहरसा जेल के 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड हो गए हैं.

पटना आवास पर आराम फरमाते आनंद मोहन
पटना आवास पर आराम फरमाते आनंद मोहन

सोशल मीडिया पर महागठबंधन की सरकार पर तंजः आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से विधायक (RJD MLA Chetan Anand ) हैं. वहीं पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद आरजेडी की वरिष्ठ नेता हैं. ऐसे में अब बिहार में आरजेडी की सरकार आ गई है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग महागठबंधन की सरकार पर तरह तरह से कमेंट कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अभी कैबिनेट विस्तार भी नहीं हुआ है तो ये हाल है. आने वाले समय में समय बिहार का क्या होगा पता नहीं. बता दें कि ईटीवी भारत वायरल वीडियो या तस्वीरों के सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

मौत की सजा पाने वाले पहले पूर्व विधायक और सांसद हैं आनंद मोहनः इस मामले में आनंद मोहन को जेल गये थे. निचली अदालत ने 2007 में उन्हें मौत की सजा सुना दी. बताया जाता है कि आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हुए, जिन्हें मौत की सजा मिली थी. हालांकि, दिसंबर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. डीएम हत्याकांड में वे सजा पहले ही पूरी कर चुके हैं.

क्या है डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड? मुजफ्फरपुर जिले में 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी. इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. बताया जाता है कि तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज वापस जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया. मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई. इस घटना उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा था. हादसे के समय जी. कृष्णैया की आयु 35 साल के करीब था.

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Last Updated : Aug 15, 2022, 1:53 PM IST
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