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'बिहार की लोक कला और संस्कृति को बचाने के लिए सरकार कृतसंकल्पित, जिला महोत्सव में स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता'

कला संस्कृति मंत्री आलोक रंजन (Art and Culture Minister Alok Ranjan) ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि बिहार में लोक कला और लोक गीतों को बढ़ावा (Folk Art and Folk Songs Preferred) दिया जाए. उन्होंने कहा कि जहां भी जिला महोत्सव का आयोजन होता है, वहां स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता दी जाती है.

बिहारी कलाकारों को प्राथमिकता
बिहारी कलाकारों को प्राथमिकता
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Published : Mar 26, 2022, 7:36 PM IST

पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में आज आरजेडी विधान पार्षद रामचंद्र पूर्वे (RJD MLC Ramchandra Purve) ने बिहार के लोक गीत, लोक कला और बिहार की संस्कृति को लेकर सवाल पूछा. जिसका जवाब बिहार सरकार के कला संस्कृति मंत्री आलोक रंजन (Art and Culture Minister Alok Ranjan) ने दिया. मंत्री ने कहा कि बिहार की लोक कला, संस्कृति और लोक गीत लोगों के दिलों-दिमाग मे छाए रहे, इसको लेकर विभाग लगातार कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि हर जिले में जिला महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जिसमे स्थानीय लोक कलाकार को प्रोत्साहित किया जाता है.

ये भी पढ़ें: मंत्री आलोक रंजन ने देखी 'द कश्मीर फाइल्स', कहा- 'ये फिल्म एक ऐसा दस्तावेज जिसमें कश्मीरी पंडितों का दर्द'

लोक कलाकारों और लोक गायकों को वरीयता: मंत्री आलोक रंजन ने कहा कि जहां भी जिला महोत्सव का आयोजन होता है, वहां के लोक कलाकार और लोक गायकों को वरीयता दी जाती है. उन्होंने कहा कि स्थानीय कलाकार स्टेज पर प्रदर्शन करते हैं, जिससे लोगों की याद ताजा होती है. मंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि पुरानी लोक कला, लोक गीत और लोक नाट्य से आगे की पीढ़ी अवगत हों, इसको लेकर सरकार का प्रयास जारी है.

ये भी पढ़ें: बिहार में फिल्म सिटी बनाने की कोई योजना नहीं, कला संस्कृति मंत्री आलोक रंजन झा का बड़ा बयान

बिहारी कलाकारों को मौका: वहीं, मंत्री से जब पूछा गया कि बिहार दिवस जैसे कार्यक्रम में बिहारी कलाकारों को मौका नहीं दिया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. कला संस्कृति विभाग ने भी कई कार्यक्रम इस दौरान किए लेकिन लोग बाहरी कलाकारों को भी सुनना चाहते हैं. इसीलिए ऐसा निर्णय लिया गया. वर्तमान में जो कार्यक्रम जिले में किए जाते हैं, उसमें 60 प्रतिशत कलाकार उसी जिले के होते हैं. उन्होंने कहा कि बांकी अन्य जिलों से कलाकार अपना परफॉर्मेंस करने आते हैं. सरकार चाहती है कि बिहार की लोक संस्कृति और लोक कला जिंदा रहे.

ये भी पढ़ें: 'बिहार के महोत्सव में बिहारी कलाकारों को मिलनी चाहिए प्राथमिकता'

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पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में आज आरजेडी विधान पार्षद रामचंद्र पूर्वे (RJD MLC Ramchandra Purve) ने बिहार के लोक गीत, लोक कला और बिहार की संस्कृति को लेकर सवाल पूछा. जिसका जवाब बिहार सरकार के कला संस्कृति मंत्री आलोक रंजन (Art and Culture Minister Alok Ranjan) ने दिया. मंत्री ने कहा कि बिहार की लोक कला, संस्कृति और लोक गीत लोगों के दिलों-दिमाग मे छाए रहे, इसको लेकर विभाग लगातार कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि हर जिले में जिला महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जिसमे स्थानीय लोक कलाकार को प्रोत्साहित किया जाता है.

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लोक कलाकारों और लोक गायकों को वरीयता: मंत्री आलोक रंजन ने कहा कि जहां भी जिला महोत्सव का आयोजन होता है, वहां के लोक कलाकार और लोक गायकों को वरीयता दी जाती है. उन्होंने कहा कि स्थानीय कलाकार स्टेज पर प्रदर्शन करते हैं, जिससे लोगों की याद ताजा होती है. मंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि पुरानी लोक कला, लोक गीत और लोक नाट्य से आगे की पीढ़ी अवगत हों, इसको लेकर सरकार का प्रयास जारी है.

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बिहारी कलाकारों को मौका: वहीं, मंत्री से जब पूछा गया कि बिहार दिवस जैसे कार्यक्रम में बिहारी कलाकारों को मौका नहीं दिया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. कला संस्कृति विभाग ने भी कई कार्यक्रम इस दौरान किए लेकिन लोग बाहरी कलाकारों को भी सुनना चाहते हैं. इसीलिए ऐसा निर्णय लिया गया. वर्तमान में जो कार्यक्रम जिले में किए जाते हैं, उसमें 60 प्रतिशत कलाकार उसी जिले के होते हैं. उन्होंने कहा कि बांकी अन्य जिलों से कलाकार अपना परफॉर्मेंस करने आते हैं. सरकार चाहती है कि बिहार की लोक संस्कृति और लोक कला जिंदा रहे.

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