पटना: बिहार में शराबबंदी (liquor ban in bihar) कानून सवालों के घेरे में रहा है. सीजेआई एनवी रमना तक ने शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े किये थे. बिहार सरकार में सहयोगी बीजेपी और हम पार्टी की ओर से भी लगातार शराबबंदी कानून की समीक्षा (liquor prohibition law review) की मांग होती रही है. लगातार बढ़ रहे दबाव के बाद आखिरकार सरकार अब झुकती नजर आ रही है. मद्य निषेध विभाग ने शराबबंदी कानून में संशोधन (amendment in prohibition law in Bihar) की तैयारी शुरू कर दी है. पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि यह जरूरी है, होना ही चाहिए. इसके कारण न्यायालयों और जेलों पर बहुत अधिक दबाव है. दूसरी ओर विपक्ष कह रहा है बीजेपी के आगे सीएम नीतीश कुमार झुक गए हैं.
बिहार में शराबबंदी कानून पर लगातार सियासत होता रही है. विपक्ष सरकार पर हमलावर रहा है. सहयोगी बीजेपी के नेता भी सरकार पर हमला करने में पीछे नहीं रहे हैं. जीतन राम मांझी तो शराब बंदी कानून वापस लेने की मांग करते रहे हैं. बताया जाता है कि इन सब दबावों के बाद आखिरकार सरकार मद्य निषेध कानून में संशोधन की तैयारी में जुट गयी है. पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि यह जरूरी है. इसके कारण प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था ध्वस्त है. न्यायालय पर बहुत अधिक दबाव है.
पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट का यह भी कहना है बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट में केस हार चुकी है. मामला सुप्रीम कोर्ट लेकर गई है, वहां पेंडिंग है. और सीजेआई एनवी रमना ने भी अपनी नाराजगी जतायी है. समस्या कुछ है और समाधान कुछ और किया जा रहा है. इसलिए कानून में संशोधन जरूरी है. ऐसे मुख्यमंत्री ने समाज सुधार का बड़ा फैसला लिया है इसमें कोई शक नहीं है लेकिन विपक्ष को फिर से एक मुद्दा मिल गया है.
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आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि नीतीश कुमार बीजेपी के आगे झुक गए हैं. शराबबंदी कानून में जिस प्रकार से संशोधन की बात आ रही है, यदि ऐसे संशोधन किया जाएगा तो पुलिसिया राज कायम होगा. हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है कि हमारे नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी पहले ही मांग कर चुके हैं कि नीतीश कुमार गरीबों के हित में फैसला लें. हालांकि जदयू ने इस कानून संशोधन के बारे में अनभिज्ञता जतायी है.
बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग जेलों में बंद हैं. कोर्ट और जेल पर काफी दबाव है. जहरीली शराब से लोगों की मौत भी लगातार हो रही है. इसे लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. सहयोगी दल भी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. ऐसे में सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. इसके बाद सरकार इस मामले में बड़ा फैसला ले सकती है. हालांकि शराबबंदी कानून में संशोधन कब तक होगा, यह देखने वाली बात है.
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बता दें कि इस बीच कोर्ट में मद्य निषेध से जुड़े लंबित आवेदनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बिहार मद्य निषेध विभाग ने शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए तैयारी शुरू कर दी है. सजा के प्रावधानों को लेकर संशोधन की तैयारी हो रही है. विभाग ने संशोधन प्रस्ताव को सहमति के लिए फिलहाल गृह विभाग को भेजा है. अपराध की गंभीरता के आधार पर केवल जुर्माना या जेल या फिर दोनों का दंड मिल सकता है. साधारण मामलों में राहत देने पर भी विचार चल रहा है. गृह विभाग से सहमति मिलने के बाद इसे लॉ विभाग से सलाह और मुख्यमंत्री की सहमति के बाद कैबिनेट में भी ले जाया जाएगा. मतलब साफ है कि नीतीश सरकार शराब बंदी कानून में पकड़े गए लोगों को कुछ राहत देने पर विचार कर रही है.
हाल ही में जहरीली शराब से हुई मौत (Death Due to Poisonous Liquor in Bihar) के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने शराबबंदी कानून को लेकर सवाल खड़ा किया था और इस पर खूब विवाद भी हुआ, लेकिन अब सरकार के मद्य निषेध और उत्पाद विभाग (Bihar Excise Prohibition Department) ने मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम 2016 में संशोधन की तैयारी शुरू कर दी है. इसे विचार के लिए गृह विभाग को भी भेजा है. उसके बाद विधि विभाग से भी सलाह ली जाएगी और फिर मुख्यमंत्री यदि सहमति देंगे तो संशोधन के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा.
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