नालंदा: बिहार के नालंदा में शराबबंदी को लेकर उत्पाद विभाग ने महाअभियान चलाकर 58 नशेड़ी सहित 84 को गिरफ्तार (58 Alcoholics and 26 Liquor Mafia Arrested ) किया. इस दौरान 26 शराब माफियाओं को भी गिरफ्तार किया गया है. नालंदा के उत्पाद विभाग ने महाअभियान के तहत जिले के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर 58 नशेड़ी और 26 शराब माफियाओं को गिरफ्तार किया है. उत्पाद अधीक्षक उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि मुख्यालय के आदेश पर जिले में विशेष अभियान चला कर कार्रवाई की गई. इसका उद्देश्य बिहार को नशा मुक्त बनाना है. इस मौके पर उत्पाद अधीक्षक ने मुख्यालय बिहार शरीफ, हिलसा और राजगीर अनुमंडल में टीम बनाकर देवीसराय मघड़ासराय, बेलदरिया, सुल्तानपुर, अंधना, कखड़िया, अस्थावां, विंद, कतराही, दीपनगर ,चकदिलावर , थरथरी, राजगीर, विस्थापित नगर समेत अन्य जगहों पर सघन छापेमारी की
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बंदी के बाद भी बिहार में शराब की खपत ज्यादाः शराबबंदी के बाद भी अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में शराब की खपत ज्यादा (Alcohol consumption is high in Bihar) हो रही है. ये बात राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस), 2020 की रिपोर्ट में कही गई है. इसके अनुसार, ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. (Bihar is more drunk than Maharashtra) आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते है. महाराष्ट्र में शराब प्रतिबंधित नहीं है लेकिन शराब पीने वाले पुरुषों की तादाद 13.9 फीसद ही है. अगर शहर और गांव के परिप्रेक्ष्य में देखें तो बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं.
"नालंदा जिले में विशेष अभियान चला कर शराबियों और शराब माफियाओं पर कार्रवाई की गई है. बिहार शरीफ, हिलसा और राजगीर अनुमंडल में टीम बनाकर सघन छापेमारी की गई और शराबियों व माफियाओं को गिरफ्तार किया गया है " - उमाशंकर प्रसाद, उत्पाद अधीक्षक, नालंदा
शोध का विषय बन गया शराबबंदी : बिहार में शराबबंदी राज्य सरकार के लिए एक शोध का विषय बन गया है, शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए नए- नए तरीके इजाद किए जा रहे हैं पर उसका परिणाम फेल के रूप में दिख रहा है. शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए राज्य सरकार पैसे पानी की तरह बहा रही है, फिर भी परिणाम न के बराबर देखने को मिल रहा है. शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में तेलंगाना से ट्रेनिंग दिलवा कर लाए गए 20 खोजी कुत्ते जिसकी कीमत लगभग 60 लाख है. सूत्रों के अनुसार, एक कुत्ते पर राज्य सरकार प्रति माह लगभग 1.15 लाख रुपये खर्च कर रही है. बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार, 20 कुत्तों में से अभी 12 कुत्ते सक्रिय है बाकी 8 ट्रेनिंग ले रहे हैं. राज्य सरकार शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन, सेटेलाइट फोन, गंगा के दियारा इलाके में बोट के माध्यम से तरह-तरह के अभियान चला रही है. जिस पर पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं.
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