मुज़फ्फरपुर : सदर अस्पताल (Sadar Hospital) के बाहर हंगामा कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों (Health Workers) पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. जिसके बाद हंगामा शांत हुआ. दो दिनों से लगातार हंगामे के बाद सिविल सर्जन ने नियुक्ति रद्द आदेश वापस ले लिया है. अब प्रदर्शनकारी स्वास्थ्य कर्मी 19 जून से एक बार फिर काम कर पाएंगे.
...इसलिए करना पड़ा लाठीचार्ज
''सदर अस्पताल गेट पर सुबह से ही दैनिक वेतन भोगी कर्मी हंगामा कर रहे थे. नाकाबंदी भी कर दी, टीकाकरण कार्यक्रम को रोक दिया और सड़क जाम कर हंगामा कर रहे थे. भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. अब स्थिति सामान्य है.''- राम नरेश पासवान, नगर डीएसपी
कोरोना काल में हुई थी नियुक्ति
दरअसल, जब बिहार में कोरोना की रफ्तार तेज थी और अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों (Health Workers) की कमी थी. तब राज्य सरकार के आदेश पर सिविल सर्जन (Civil Surgeon) के नेतृत्व में जिला स्वास्थ्य विभाग ने 780 पदों के लिए नियोजन किया था. जिनका नियोजन हुआ उन्हें सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) तक काम पर लगाया गया. जानकारी के अनुसार इन कर्मियों का कार्यकाल जुलाई तक था.
सिविल सर्जन ने आदेश लिया वापस
कोरोना काल में नियुक्ति कर्मी ड्यूटी कर ही रहे थे कि नियुक्ति में रिश्वत लेने का एक ऑडियो वायरल हो गया. जिसके बाद जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दे दिए. गठित जांच कमेटी की अनुशंसा के आलोक में डीएम के आदेश पर सिविल सर्जन (Civil Surgeon) ने सभी की नियुक्ति रद्द कर दी. जिसके बाद कर्मियों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे के बाद सिविल सर्जन को फैसला वापस ले पड़ा.
धांधली हुई तो जांच कीजिए, हटाया क्यों?
कर्मियों का कहना है कि अगर नियुक्ति में धांधली हुई है तो सभी की डिग्री की जांच होनी चाहिए थी. लेकिन सिविल सर्जन ने तीन महीने से पहले ही नियुक्त रद्द आदेश जारी कर दिया. स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि आज अगर मुजफ्फरपुर टीकाकरण में दूसरे स्थान पर है तो इसमें हमलोगों की भागीदारी है. हालांकि सिविल सर्जन (Civil Surgeon) भी इस बात को मानते हैं कि संविदा पर नियुक्ति कर्मियों की वजह से तेजी से टीकाकरण हुआ है.