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बिहार में करोड़ों का धान घोटाला: 11 साल बाद एक्शन मोड में सरकार, आरोपियों पर कार्रवाई की तैयारी

बिहार में चारा घोटाले की तरह करोड़ों का धान घोटाला (Paddy scam worth crores in Bihar) हुआ है. 2011 से 2014 तक अधिप्राप्ति करोड़ों के धान और गेहूं के गबन को लेकर कई अहम खुलासे हुए है. वहीं, विभाग आरोपी पदाधिकारियों पर 11 साल बाद कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. जिसे लेकर विभाग ने सभी डीएम से रिपोर्ट मांगी है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Paddy scam worth crores in Bihar
Paddy scam worth crores in Bihar
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Published : Apr 20, 2022, 4:07 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 5:25 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में 1573 करोड़ रुपए का धान घोटाला चारा घोटाले की तरह ही निकला है. चारा घोटाले की तरह ही धान घोटाले में भी स्कूटर, ऑटो और कार से सैकड़ों टन धान राइस मिल तक पहुंचाए गए थे.दरअसल, बिहार में 2011 से 2014 तक अधिप्राप्ति किए गए करोड़ों के धान और गेहूं के गबन (Crores of rupees worth of paddy and wheat embezzlement) को लेकर 117 पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है.

ये भी पढ़ें- चारा तो बस एक नाम है.. बिहार में घोटालों की है फेहरिस्त.. जिसे करने वाले आज भी आराम से घूम रहे

एक्शन मोड में बिहार सरकार: संबंधित जिलों के डीएम से दोषी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आरोपपत्र गठित कर भेजने को बिहार सरकार ने कहा है. मुजफ्फरपुर के 7 पदाधिकारी और कर्मचारी कार्रवाई की जद में हैं. इनमें 4 पूर्व प्रखंड कृषि पदाधिकारी भी शामिल हैं. दरअसल, कई क्रय केंद्र प्रभारियों ने बारिश में अनाज के सड़ जाने की गलत रिपोर्ट दी थी. कई क्रय केंद्रों से कागजी मिलरों के यहां धान की आपूर्ति कर दी गई, उन मिलों से चावल वापस नहीं मिला. स्थानीय स्तर पर जांच में जिले के तीन राजस्व कर्मचारी और केंद्र प्रभारी राम एकबाल पटेल, अमरनाथ राय और सकलदेव पासवान के खिलाफ विभागीय जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद नीलामवाद की कार्रवाई भी चल रही है. इसके अलावा तत्कालीन चार प्रखंड कृषि पदाधिकारी भी इस दायरे में हैं.

घोटाले में कई कृषि पदाधिकारी शामिल: दोषी पदाधिकारियों में कृषि विभाग के कई पदाधिकारी हैं. इसके अलावा कई प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी समेत कुछ अभियंता भी सूची में शामिल हैं. इसमें नालंदा, खगड़िया, अरवल, कटिहार, सहरसा, सारण व अररिया के 1-1, मधुबनी, गोपालगंज, शेखपुरा, बांका, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी व सुपौल के 2-2, सिवान, समस्तीपुर, वैशाली व भागलपुर के 3-3, जहानाबाद के 4, पूर्णिया के 5, दरभंगा व भोजपुर के 6-6, बक्सर व गया के 7-7, पटना के 8, औरंगाबाद के 9, रोहतास के 12, बेगूसराय के 13 कर्मी और पदाधिकारी शामिल हैं. बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले में विभिन्न थाना क्षेत्रों में कुल मिलाकर 36 मामले दर्ज हैं जो अभी अनुसंधान के लिए लंबित है.

क्या है बिहार का धान घोटाला मामला?: बिहार में करीब 74 लाख टन धान गायब (Bihar paddy scam) होने का मामला सामने आया है. 1573 करोड़ के धान घोटाले की सीआईडी जांच में कई नए खुलासे हुए हैं. चारा घोटाले की तरह ही धान घोटाले में भी स्कूटर, ऑटो और कार से सैकड़ों टन धान राइस मिल तक पहुंचाए गए थे. यहां तक कि जहां राइस मिल नहीं थे, वहां भी धान पहुंचा दिया गया था. मुजफ्फरपुर के बोचहां थाने में दर्ज इस मामले की जांच के क्रम में कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. यहां तीन राइस मिल मालिकों पर 11 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला दर्ज है.

मुजफ्फरपुर में करीब 36 मामले दर्ज: बता दें कि प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले के कई थाना क्षेत्रों में लगभग 36 मामले दर्ज हैं, लेकिन जांच पड़ताल के नाम पर अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई और ना ही कोई भी चीज पुलिस ने बरामद की है. करीब 11 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं, लेकिन दूसरी ओर विभागीय सूत्रों की माने तो करोड़ों के धान और गेहूं के गबन में आरोपी बनाए गए 117 पदाधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए सभी जिले के डीएम से रिपोर्ट तलब की है और आरोप पत्र गठित कर भेजने को कहा गया है.

11 साल बीतने के बाद कृषि विभाग एक्शन में दिख रहा है, लेकिन अब तक पुलिस विभाग की तरफ से कुछ भी साफ नहीं हुआ है. अब देखना होगा कि बिहार में हुए विभिन्न जिले में करोड़ों के धान और गेहूं के गबन में शामिल 117 पदाधिकारियों और कर्मियों पर क्या कुछ कार्रवाई होती है. वहीं, दूसरी ओर आपको बता दें कि हाल ही में बिहार राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने मुजफ्फरपुर में बैठक के दौरान खाद्य सुरक्षा से जुड़े संचालित योजनाओं में पारदर्शिता लाने को लेकर सख्त निर्देश दिए थे और कहा था कि अगर किसी तरह की गड़बड़ी होती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ जिम्मेवारी तय की जाएगी और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी होगी.

'तबादले से होती है जांच प्रभावित': पूरे मामले पर जब एक पुलिस अधिकारी से बातचीत हुई तो उन्होंने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि मामला बहुत बड़ा है जांच पड़ताल चल रही है. सरकारी स्तर पर भी कई ख्याल रखा जा रहा है जिससे अनुसंधान प्रभावित न हो. अनुसंधान में लगे कई पदाधिकारियों के साथ-साथ आरोपी बनाये गए अन्य संबंधित कर्मियों और अधिकारी का तबादला होने से जांच थोड़ी प्रभावित जरूर हुई है.

वहीं, दूसरी ओर एफसीआई के एक अधिकारी ने पहचान उजागर किए बिना बताया कि मुजफ्फरपुर जिले में करीब 3 दर्जन मामले विभिन्न थानों में दर्ज है. विभिन्न थाना से जांच पड़ताल करने वाले तत्कालीन कई पदाधिकारियों को सारा डाटा उपलब्ध करवा दिया गया था. उस समय जो अधिकारी यहां मौजूद थे, उनके द्वारा अभी ऐसी किसी तरह की कोई जांच पड़ताल करने पदाधिकारी या कर्मचारी नहीं आए थे. अगर कोई पुलिस पदाधिकारी या कर्मी जांच-पड़ताल करने आते हैं तो उनका भरपूर सहयोग किया जाएगा. लेकिन जहां तक जानकारी मिली है कि जिस घोटाले की बात आ रही है, उससे संबंधित सारी रिपोर्ट जो भी जांच पदाधिकारी थे उन्हें सौंप दी गई है.

चारा घोटाला की तर्ज पर घोटाला: सरकार के आदेश की आड़ में लगभग 17 लाख मीट्रिक टन धान को पश्चिम बंगाल न भेजकर उसके बदले करोड़ों रुपये ट्रांसपोर्ट और ट्रांसपोर्टर को भुगतान किया गया. बता दें कि इस घोटाले को बिहार के प्रसिद्ध चारा घोटाले की तर्ज पर (Paddy Scam on the lines of Fodder Scam) किया गया था. चारा घोटाला की तरह इसमें भी स्कूटर, बाइक और साइकिल का प्रयोग दिखाया गया था. साथ ही चारा घोटाला की तरह ही धान घोटाला में भी कई आरोपियों ने फर्जी राइस मिल और नकली ट्रांसपोर्टर बनकर कई लोगों ने मिलकर लगभग करोड़ों रुपये से ज्यादा के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. आगे चलकर इल घोटाले की राशि कई गुना बढ़ सकती है और कई अन्य पदाधिकारी भी जांच की जद में आ सकते हैं.

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मुजफ्फरपुर: बिहार में 1573 करोड़ रुपए का धान घोटाला चारा घोटाले की तरह ही निकला है. चारा घोटाले की तरह ही धान घोटाले में भी स्कूटर, ऑटो और कार से सैकड़ों टन धान राइस मिल तक पहुंचाए गए थे.दरअसल, बिहार में 2011 से 2014 तक अधिप्राप्ति किए गए करोड़ों के धान और गेहूं के गबन (Crores of rupees worth of paddy and wheat embezzlement) को लेकर 117 पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है.

ये भी पढ़ें- चारा तो बस एक नाम है.. बिहार में घोटालों की है फेहरिस्त.. जिसे करने वाले आज भी आराम से घूम रहे

एक्शन मोड में बिहार सरकार: संबंधित जिलों के डीएम से दोषी पदाधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आरोपपत्र गठित कर भेजने को बिहार सरकार ने कहा है. मुजफ्फरपुर के 7 पदाधिकारी और कर्मचारी कार्रवाई की जद में हैं. इनमें 4 पूर्व प्रखंड कृषि पदाधिकारी भी शामिल हैं. दरअसल, कई क्रय केंद्र प्रभारियों ने बारिश में अनाज के सड़ जाने की गलत रिपोर्ट दी थी. कई क्रय केंद्रों से कागजी मिलरों के यहां धान की आपूर्ति कर दी गई, उन मिलों से चावल वापस नहीं मिला. स्थानीय स्तर पर जांच में जिले के तीन राजस्व कर्मचारी और केंद्र प्रभारी राम एकबाल पटेल, अमरनाथ राय और सकलदेव पासवान के खिलाफ विभागीय जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद नीलामवाद की कार्रवाई भी चल रही है. इसके अलावा तत्कालीन चार प्रखंड कृषि पदाधिकारी भी इस दायरे में हैं.

घोटाले में कई कृषि पदाधिकारी शामिल: दोषी पदाधिकारियों में कृषि विभाग के कई पदाधिकारी हैं. इसके अलावा कई प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी समेत कुछ अभियंता भी सूची में शामिल हैं. इसमें नालंदा, खगड़िया, अरवल, कटिहार, सहरसा, सारण व अररिया के 1-1, मधुबनी, गोपालगंज, शेखपुरा, बांका, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी व सुपौल के 2-2, सिवान, समस्तीपुर, वैशाली व भागलपुर के 3-3, जहानाबाद के 4, पूर्णिया के 5, दरभंगा व भोजपुर के 6-6, बक्सर व गया के 7-7, पटना के 8, औरंगाबाद के 9, रोहतास के 12, बेगूसराय के 13 कर्मी और पदाधिकारी शामिल हैं. बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले में विभिन्न थाना क्षेत्रों में कुल मिलाकर 36 मामले दर्ज हैं जो अभी अनुसंधान के लिए लंबित है.

क्या है बिहार का धान घोटाला मामला?: बिहार में करीब 74 लाख टन धान गायब (Bihar paddy scam) होने का मामला सामने आया है. 1573 करोड़ के धान घोटाले की सीआईडी जांच में कई नए खुलासे हुए हैं. चारा घोटाले की तरह ही धान घोटाले में भी स्कूटर, ऑटो और कार से सैकड़ों टन धान राइस मिल तक पहुंचाए गए थे. यहां तक कि जहां राइस मिल नहीं थे, वहां भी धान पहुंचा दिया गया था. मुजफ्फरपुर के बोचहां थाने में दर्ज इस मामले की जांच के क्रम में कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. यहां तीन राइस मिल मालिकों पर 11 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला दर्ज है.

मुजफ्फरपुर में करीब 36 मामले दर्ज: बता दें कि प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले के कई थाना क्षेत्रों में लगभग 36 मामले दर्ज हैं, लेकिन जांच पड़ताल के नाम पर अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई और ना ही कोई भी चीज पुलिस ने बरामद की है. करीब 11 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं, लेकिन दूसरी ओर विभागीय सूत्रों की माने तो करोड़ों के धान और गेहूं के गबन में आरोपी बनाए गए 117 पदाधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई करने के लिए सभी जिले के डीएम से रिपोर्ट तलब की है और आरोप पत्र गठित कर भेजने को कहा गया है.

11 साल बीतने के बाद कृषि विभाग एक्शन में दिख रहा है, लेकिन अब तक पुलिस विभाग की तरफ से कुछ भी साफ नहीं हुआ है. अब देखना होगा कि बिहार में हुए विभिन्न जिले में करोड़ों के धान और गेहूं के गबन में शामिल 117 पदाधिकारियों और कर्मियों पर क्या कुछ कार्रवाई होती है. वहीं, दूसरी ओर आपको बता दें कि हाल ही में बिहार राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने मुजफ्फरपुर में बैठक के दौरान खाद्य सुरक्षा से जुड़े संचालित योजनाओं में पारदर्शिता लाने को लेकर सख्त निर्देश दिए थे और कहा था कि अगर किसी तरह की गड़बड़ी होती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ जिम्मेवारी तय की जाएगी और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी होगी.

'तबादले से होती है जांच प्रभावित': पूरे मामले पर जब एक पुलिस अधिकारी से बातचीत हुई तो उन्होंने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि मामला बहुत बड़ा है जांच पड़ताल चल रही है. सरकारी स्तर पर भी कई ख्याल रखा जा रहा है जिससे अनुसंधान प्रभावित न हो. अनुसंधान में लगे कई पदाधिकारियों के साथ-साथ आरोपी बनाये गए अन्य संबंधित कर्मियों और अधिकारी का तबादला होने से जांच थोड़ी प्रभावित जरूर हुई है.

वहीं, दूसरी ओर एफसीआई के एक अधिकारी ने पहचान उजागर किए बिना बताया कि मुजफ्फरपुर जिले में करीब 3 दर्जन मामले विभिन्न थानों में दर्ज है. विभिन्न थाना से जांच पड़ताल करने वाले तत्कालीन कई पदाधिकारियों को सारा डाटा उपलब्ध करवा दिया गया था. उस समय जो अधिकारी यहां मौजूद थे, उनके द्वारा अभी ऐसी किसी तरह की कोई जांच पड़ताल करने पदाधिकारी या कर्मचारी नहीं आए थे. अगर कोई पुलिस पदाधिकारी या कर्मी जांच-पड़ताल करने आते हैं तो उनका भरपूर सहयोग किया जाएगा. लेकिन जहां तक जानकारी मिली है कि जिस घोटाले की बात आ रही है, उससे संबंधित सारी रिपोर्ट जो भी जांच पदाधिकारी थे उन्हें सौंप दी गई है.

चारा घोटाला की तर्ज पर घोटाला: सरकार के आदेश की आड़ में लगभग 17 लाख मीट्रिक टन धान को पश्चिम बंगाल न भेजकर उसके बदले करोड़ों रुपये ट्रांसपोर्ट और ट्रांसपोर्टर को भुगतान किया गया. बता दें कि इस घोटाले को बिहार के प्रसिद्ध चारा घोटाले की तर्ज पर (Paddy Scam on the lines of Fodder Scam) किया गया था. चारा घोटाला की तरह इसमें भी स्कूटर, बाइक और साइकिल का प्रयोग दिखाया गया था. साथ ही चारा घोटाला की तरह ही धान घोटाला में भी कई आरोपियों ने फर्जी राइस मिल और नकली ट्रांसपोर्टर बनकर कई लोगों ने मिलकर लगभग करोड़ों रुपये से ज्यादा के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. आगे चलकर इल घोटाले की राशि कई गुना बढ़ सकती है और कई अन्य पदाधिकारी भी जांच की जद में आ सकते हैं.

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Last Updated : Apr 20, 2022, 5:25 PM IST
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