मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक पंचायत इमारत को कथित तौर पर बिना अनुमति के गिराने और मलबे से निकली ईंटों की नीलामी (Panchayat building illegal demolition in Muzaffarpur) करने से राज्य में विवाद पैदा हो गया है. इमारत औराई पंचायत (Aurai Panchayat Building) में स्थित थी और उसे स्थानीय मुखिया उमाशंकर गुप्ता (Uma Shankar Gupta) के निर्देश पर ध्वस्त किया गया था. गुप्ता का दावा था कि उक्त संरचना ऐसी अवस्था में थी कि कोई उसका इस्तेमाल नहीं करता था. हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि गुप्ता का दावा झूठा था क्योंकि कुछ महीने पहले पंचायत चुनाव के दौरान इमारत का मतदान केंद्र के तौर पर इस्तेमाल किया गया था.
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इस बीच, मुजफ्फरपुर अदालत में घटना के संबंध में एक शिकायत दर्ज कराई गई है और इसमें राय, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल के एक सहयोगी को आरोपी बनाया गया है. आनंद कुमार झा ने मुजफ्फरपुर में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (पश्चिम) की अदालत में मामला दर्ज कराया है. झा खुद को एक राजनीतिक पार्टी 'लोक चेतना दल' का संस्थापक बताते हैं. झा के वकील मनोज सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ''हमारी याचिका पर सुनवाई 21 मई को होगी. मुख्यमंत्री और राय के अलावा पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी, मुखिया और मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी प्रणव कुमार समेत तीन सरकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है''
''यह जांच का मामला है. अगर अवैध रूप से इमारत को ध्वस्त किया गया है तो मैं दोषियों को सजा दिलाऊंगा. लेकिन अगर मुखिया को संबंधित विभाग से आवश्यक अनुमति मिली थी तो इसे अनियमितता नहीं कहा जा सकता. घटना को सोशल मीडिया पर पंचायत भवन की चोरी के तौर पर दिखाया जा रहा है और राष्ट्रीय जनता दल जैसी विपक्षी पार्टियां इस खबर को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा कर रही हैं.'' - राम सूरत राय, भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री व औराई विधायक
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क्या था मामला? : बिहार के मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड में औराई पंचायत भवन (aurai panchayat bhawan) को बिना किसी सरकारी आदेश के बेच दिया गया. आरोप है कि मुखिया और पंचायत सचिव की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया. दोनों ने मिलकर भवन को जेसीबी से तोड़वाया और इमारत की एक-एक ईंट को बेचने का काम शुरू कर दिया. जिसे लेकर स्थानीय लोग भी मुखिया और सचिव की इस हरकत से आक्रोशित हैं. दोनों पर सरकारी संपत्ति को नष्ट करने, वित्तीय अनियमितता और वरीय पदाधिकारियों से सूचना छिपाने का आरोप लगाया गया है. वहीं, इस मामले में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी गिरिजेश नंदन ने मुखिया और पंचायत सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है.
15 साल पुराना पंचायत भवन: बताया जाता है कि औराई पंचायत भवन 15 साल पहले बनाया गया था, लेकिन भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका था. निर्माण में अनियमितता के कारण एक कर्मचारी को जेल भी जाना पड़ा था. 15 साल बाद उसी भवन को मुखिया और पंचायत सचिव ने जेसीबी से तोड़वाकर भवन के मलबे को बेच दिया. पंचायत भवन को तोड़ने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.
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