मधुबनी: बिहार के मधुबनी जिले में जयनगर में कमला बराज (Kamala Barrage) के निर्माण के लिए जल्द ही एक्सिस निर्धारित करने का निर्णय कर लिया जाएगा. अधिकारियों ने निरीक्षण किया है. इसके आधार पर सेंट्रल वाटर एन्ड पावर रिसर्च स्टेशन (CWPRS) में निर्माणाधीन मॉडल को अंतिम रूप देकर, मॉडल अध्ययन कर, एक्सिस निर्धारित किए जाने का निर्णय कर बराज का निर्माण किया जाएगा.
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दरअसल, जयनगर में जल संसाधन विभाग की टीम के द्वारा कमला नदी पर प्रस्तावित बराज के निर्माण हेतु एक्सिस का निर्धारण करने के लिए स्थल का निरीक्षण किया. स्थल जांच के लिए आए सीडब्ल्यूपीआरएस की टीम में पटना के रुपांकण योजना एवं मॉनिटरिग अधीक्षक अभियंता आर. के. झा व ए. के. मंडल, मुख्य अभियंता हरि नारायण, पूणे के वैज्ञानिक कुलदीप मल्लिक व आर. एस. पाटील के अलावे कमला नहर प्रमंडल विभाग के अधीक्षण अभियंता संजय कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता नवीन कुमार, सहायक अभियंता दीपक कुमार व महेंद्र प्रसाद समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 405.66 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली कमला बाराज महत्वकांक्षी योजना से मिथिला के बड़े क्षेत्र को कमला नदी की बाढ़ से राहत मिलेगी. साथ ही मधुबनी जिले में 44,960 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी. मुख्यत: जयनगर, बासोपट्टी, खजौली, लदनिया, कलुआही एवं हरलाखी प्रखंडों के किसान इससे लाभान्वित होंगे.
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दरअसल, जुलाई 2019 में कमला नदी में आई भीषण बाढ़ के दौरान वियर के डेक स्लैब के ऊपर से पानी प्रवाहित हो गया था. इससे वियर के दाएं और बाएं मार्जिनल बांध में टूट आ गई थी. विभाग की ओर से आईआईटी रुड़की के जाने-माने विशेषज्ञ नयन शर्मा को यह जिम्मेवारी सौंपी गई कि वे इलाके का अध्ययन कर कमला की बाढ़ का दीर्घकालिक समाधान सुझाएं. नयन शर्मा की रिपोर्ट में कमला वियर को बराज में परिवर्तित करने पर जोर दिया गया था.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 24 जून 2020 को जयनगर का दौरा किया था तब उन्होंने कमला वियर को बराज में बदलने के जल संसाधन विभाग के प्रस्ताव को मौके पर ही हरी झंडी देते हुए यहां अत्याधुनिक बराज के निर्माण का ऐलान कर दिया था. जल संसाधन विभाग उसी के अनरूप यहां मशीन से संचालित ऑटोमेटिक बराज के निर्माण की पूरी योजना तैयार की है. जयनगर में कमला नदी पर पांच दशक पहले निर्मित पुराने वियर में फॉलिंग शटर का प्रावधान है.
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कमला नदी में बाढ़ आने पर वियर के अपस्ट्रीम में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो जाता है जिससे फॉलिंग शटर जाम हो जाता है. कमला में पानी घटने पर शिल्ट को हटा कर फॉलिंग शटर को उठाना पड़ता है. इस प्रक्रिया में कई दिनों तक नहर में पानी का प्रवाह काफी कम हो जाता है. इस कारण वियर से निर्धारित क्षमता के अनुरूप सिंचाई का लाभ नहीं मिल पाता है. इसके अलावे दूसरी समस्या यह है कि कमला वियर का निर्माण कमला नदी के अधिकतम जलश्राव 1,40,000 क्यूसेक के आधार पर किया गया है जबकि 2019 में वियर साइट पर लगभग 2,19,700 क्यूसेक अधिकतम जलश्राव प्रवाहित हुआ.
उक्त दोनों समस्याओं के मद्देनजर कमला वियर के पौंड लेवल को ऊंचा करते हुए अत्याधुनिक बराज के निर्माण की योजना तैयार की गई है. पौंड लेवल ऊंचा करने से यहां अधिक पानी रोका जा सकेगा इससे पानी का समेकित प्रबंधन होगा और मधुबनी और दरभंगा जिला सहित मिथिला के बड़े क्षेत्र को कमला नदी की बाढ़ से राहत मिलेगी. सिंचाई क्षमता का अधिकतम लाभ भी हासिल किया जा सकेगा.
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