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मजबूरी या नीति का दोष, सरकारी नर्सरी में क्यों हो रहा प्लास्टिक बैग का उपयोग?

जिस हरियाली को बचाने के लिए करोड़ों की तादाद में पौधारोपण किया जा रहा है, उसी अनुपात में सरकारी नर्सरी में प्लास्टिक बैग का भी उपयोग किया जा रहा है.

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Published : Dec 27, 2019, 11:35 AM IST

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प्लास्टिक का उपयोग

कटिहार: सरकार लगातार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की बात करती है. प्लास्टिक बैग यूजर के खिलाफ धड़पकड़ की कार्रवाई करती है, जुर्माने लगाये जाते हैं. वहीं, वन विभाग के अंदर ही पौधशालाओं में प्लास्टिक बैग में पौधे लगाये जा रहे हैं. उपयोग में लाये जा रहे प्लास्टिक बैग मिट्टी में नहीं गल पाते हैं, जिससे मिट्टियों की उर्वरक क्षमता पर भी प्रभाव पर पड़ा है. विभागीय अधिकारी इसपर अपनी लाचारी बता रहें हैं.

सरकारी नर्सरी में प्लास्टिक बैग का उपयोग
कटिहार वन विभाग नर्सरी में हजारों की तादाद में शीशम, सखुआ, महोगनी सहित कई पौधे लगाए गए हैं. लेकिन, यहां इन पौधों को प्लास्टिक की बैग में रखा जाता है. कटिहार के नर्सरी में सालभर में लगभग लाखों पौधे लगाए जातें हैं, जिसके लिए लाखों की संख्या में प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. बता दें कि इस प्लास्टिक बैग के उपयोग पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. आमलोगों के लिए इसके यूज पर सरकार ने जुर्माने का प्रावधान किया है.

पेश है रिपोर्ट

लाचार है वन विभाग
कटिहार वन विभाग के वन पालक अभय कुमार वर्मा ने अपनी लाचारी बताते हुए कहा कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, क्योंकि सरकार की ओर से ही इसका सप्लाई किया जाता है. बीजरोपन से लेकर पौधे के परिपक्व होने तक प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. एक साल में इस नर्सरी में लाखों पौधों में इसका उपयोग होता है. जो लोग अपने घरों या जमीनों पर पौधे लगाने के लिए नर्सरी से पौधे ले जाते हैं, वे उपयोग के बाद इसे फेंक डालते हैं.

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अभय कुमार वर्मा, वन पालक, कटिहार वन विभाग

विनाशकारी प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए अगले 3 सालों में 8 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे पहले अबतक लगभग 19 करोड़ पौधों का समय-समय पर पौधारोपण किया गया है. सरकार का मानना है कि इससे 15 प्रतिशत हरियाली आई है. लेकिन, जिस हरियाली को बचाने के लिए करोड़ों की तादाद में पौधारोपण किया जा रहा है, उसी अनुपात में प्लास्टिक बैग का भी उपयोग किया जा रहा है.

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सरकारी नर्सरी में प्लास्टिक बैग का उपयोग

पौधे लगाने में उपयोग किए जाने वाला यह प्लास्टिक हरियाली के लिए विनाशकारी हथियार है. बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर यदि प्लास्टिक बैग का उपयोग होगा तो हम कैसे अपने पर्यावरण को महफूज रख सकेंगें.

यह भी पढ़ें- लखीसराय में CM नीतीश ने किया 148 करोड़ की योजना का शिलान्यास, कहा- बिल गेट्स भी करते हैं बिहार की प्रशंसा

कटिहार: सरकार लगातार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की बात करती है. प्लास्टिक बैग यूजर के खिलाफ धड़पकड़ की कार्रवाई करती है, जुर्माने लगाये जाते हैं. वहीं, वन विभाग के अंदर ही पौधशालाओं में प्लास्टिक बैग में पौधे लगाये जा रहे हैं. उपयोग में लाये जा रहे प्लास्टिक बैग मिट्टी में नहीं गल पाते हैं, जिससे मिट्टियों की उर्वरक क्षमता पर भी प्रभाव पर पड़ा है. विभागीय अधिकारी इसपर अपनी लाचारी बता रहें हैं.

सरकारी नर्सरी में प्लास्टिक बैग का उपयोग
कटिहार वन विभाग नर्सरी में हजारों की तादाद में शीशम, सखुआ, महोगनी सहित कई पौधे लगाए गए हैं. लेकिन, यहां इन पौधों को प्लास्टिक की बैग में रखा जाता है. कटिहार के नर्सरी में सालभर में लगभग लाखों पौधे लगाए जातें हैं, जिसके लिए लाखों की संख्या में प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. बता दें कि इस प्लास्टिक बैग के उपयोग पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. आमलोगों के लिए इसके यूज पर सरकार ने जुर्माने का प्रावधान किया है.

पेश है रिपोर्ट

लाचार है वन विभाग
कटिहार वन विभाग के वन पालक अभय कुमार वर्मा ने अपनी लाचारी बताते हुए कहा कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, क्योंकि सरकार की ओर से ही इसका सप्लाई किया जाता है. बीजरोपन से लेकर पौधे के परिपक्व होने तक प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. एक साल में इस नर्सरी में लाखों पौधों में इसका उपयोग होता है. जो लोग अपने घरों या जमीनों पर पौधे लगाने के लिए नर्सरी से पौधे ले जाते हैं, वे उपयोग के बाद इसे फेंक डालते हैं.

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अभय कुमार वर्मा, वन पालक, कटिहार वन विभाग

विनाशकारी प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए अगले 3 सालों में 8 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे पहले अबतक लगभग 19 करोड़ पौधों का समय-समय पर पौधारोपण किया गया है. सरकार का मानना है कि इससे 15 प्रतिशत हरियाली आई है. लेकिन, जिस हरियाली को बचाने के लिए करोड़ों की तादाद में पौधारोपण किया जा रहा है, उसी अनुपात में प्लास्टिक बैग का भी उपयोग किया जा रहा है.

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सरकारी नर्सरी में प्लास्टिक बैग का उपयोग

पौधे लगाने में उपयोग किए जाने वाला यह प्लास्टिक हरियाली के लिए विनाशकारी हथियार है. बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर यदि प्लास्टिक बैग का उपयोग होगा तो हम कैसे अपने पर्यावरण को महफूज रख सकेंगें.

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Intro:एक ओर प्लास्टिक बैन का शोर ..दूसरी ओर प्लास्टिक बैग में ही सरकारी नर्सरी में पौधरोपण ।


.........सरकार एक ओर पर्यावरण को महफूज रखने के लिये लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग नहीं करने की बात करती हैं । प्लास्टिक बैग यूजर के खिलाफ धड़पकड की कार्रवाई करती हैं , जुर्माने लगाये जाते हैं लेकिन दूसरी ओर वन विभाग के अंतर्गत पौधशालाओं में जो पौधे लगाये जाते हैं , वह प्लास्टिक बैग में होते हैं । इसे वन विभाग की मजबूरी कहिये या नीतियों में दोष....। उपयोग में लाये जा रहे यह प्लास्टिक बैग मिट्टी में नहीं गलते जिससे मिट्टियों की उर्वरक क्षमता पर भी प्रभाव पर पड़ा हैं .......। विभागीय अधिकारी इसपर अपनी बेचारगी बता रहें हैं....।


Body:सिर्फ कटिहार के नर्सरी में वर्ष में होता हैं लाखों बैग का उपयोग , तीन वर्ष में राज्य में आठ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य ।



यह दृश्य कटिहार के वन विभाग नर्सरी का हैं जहाँ हजारों के तादाद में पौधे लगाये गये हैं जिसमें शीशम , सखुआ , महोगनी समेत कई पौधे प्रमुख हैं लेकिन इस पौधों के जड़ों की ओर देखिये , सफेद रंग के पारदर्शी कवज में लिपटा यह प्लास्टिक बैग हैं । इस प्लास्टिक बैग के उपयोग पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा रखे हैं । आम जनजीवन में इसके यूज करते पाये जाने पर सरकार ने जुर्माने का प्रावधान हैं । कटिहार वन विभाग के वन पालक अभय कुमार वर्मा बताते हैं कि वह जानते हैं कि सरकार ने इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा हैं लेकिन वह करें भी तो क्या करें.....सफ्लाई भी तो सरकार के यहाँ से ही होता हैं । बीजरोपन से लेकर पौधे के परिपक्व होने तक प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता हैं । एक वर्ष में इस नर्सरी में लाखों पौधों में इसका उपयोग होता हैं और कोशिश करते हैं कि उपयोग के बाद मिट्टी में गाड़ दें या नष्ट कर दें लेकिन किसी भी सूरत मे यह मिट्टी मे गलता नहीं । जो लोग अपने घरों या जमीनों पर पौधे लगाने के लिये नर्सरी से पौधे ले जाते हैं , वह उपयोग के बाद इसे फेंक डालते हैं .....।


Conclusion:नहीं नष्ट होता हैं मिट्टी मे उपयोग में लाये यह प्लास्टिक ।


बिहार में पर्यावरण संरक्षण के लिये आगामी तीन वर्षों में आठ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया हैं । इससे पहले करीब उन्नीस करोड़ पौधे अब तक राज्य में समय - समय पर पौधारोपण किया जा चुका हैं । सरकार का मानना हैं कि इससे पन्द्रह प्रतिशत हरियाली आई हैं लेकिन जरा आप आंकलन कीजिये कि जिस हरियाली को बचाने के करोड़ों के तादाद में पौधरोपण किया जाना हैं उसी अनुपात में प्लास्टिक बैग का भी उपयोग किया जा रहा हैं जो हरियाली के लिये घातक हैं ....। इतने बड़े पैमाने पर यदि प्लास्टिक बैग का उपयोग होगा तो कैसे हम अपने पर्यावरण को महफूज रख सकेंगें , यह अपने आप मे बड़ा सवाल हैं......।
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