कटिहार: सरकार लगातार पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की बात करती है. प्लास्टिक बैग यूजर के खिलाफ धड़पकड़ की कार्रवाई करती है, जुर्माने लगाये जाते हैं. वहीं, वन विभाग के अंदर ही पौधशालाओं में प्लास्टिक बैग में पौधे लगाये जा रहे हैं. उपयोग में लाये जा रहे प्लास्टिक बैग मिट्टी में नहीं गल पाते हैं, जिससे मिट्टियों की उर्वरक क्षमता पर भी प्रभाव पर पड़ा है. विभागीय अधिकारी इसपर अपनी लाचारी बता रहें हैं.
सरकारी नर्सरी में प्लास्टिक बैग का उपयोग
कटिहार वन विभाग नर्सरी में हजारों की तादाद में शीशम, सखुआ, महोगनी सहित कई पौधे लगाए गए हैं. लेकिन, यहां इन पौधों को प्लास्टिक की बैग में रखा जाता है. कटिहार के नर्सरी में सालभर में लगभग लाखों पौधे लगाए जातें हैं, जिसके लिए लाखों की संख्या में प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. बता दें कि इस प्लास्टिक बैग के उपयोग पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. आमलोगों के लिए इसके यूज पर सरकार ने जुर्माने का प्रावधान किया है.
लाचार है वन विभाग
कटिहार वन विभाग के वन पालक अभय कुमार वर्मा ने अपनी लाचारी बताते हुए कहा कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, क्योंकि सरकार की ओर से ही इसका सप्लाई किया जाता है. बीजरोपन से लेकर पौधे के परिपक्व होने तक प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है. एक साल में इस नर्सरी में लाखों पौधों में इसका उपयोग होता है. जो लोग अपने घरों या जमीनों पर पौधे लगाने के लिए नर्सरी से पौधे ले जाते हैं, वे उपयोग के बाद इसे फेंक डालते हैं.
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विनाशकारी प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए अगले 3 सालों में 8 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे पहले अबतक लगभग 19 करोड़ पौधों का समय-समय पर पौधारोपण किया गया है. सरकार का मानना है कि इससे 15 प्रतिशत हरियाली आई है. लेकिन, जिस हरियाली को बचाने के लिए करोड़ों की तादाद में पौधारोपण किया जा रहा है, उसी अनुपात में प्लास्टिक बैग का भी उपयोग किया जा रहा है.
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पौधे लगाने में उपयोग किए जाने वाला यह प्लास्टिक हरियाली के लिए विनाशकारी हथियार है. बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर यदि प्लास्टिक बैग का उपयोग होगा तो हम कैसे अपने पर्यावरण को महफूज रख सकेंगें.
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