कटिहार: गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण जिले में बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है. जिले के छह प्रखंडों के अधिकांश गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. वहीं, जिला प्रशासन की ओर से रहने की व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण, ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन के किनारे रहने को मजबूर हैं. ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन भी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.
'हादसे के इंतजार में सोया जिला प्रशासन'
मनिहारी प्रखंड के सिंगल टोला गांव की हालत ज्यादा खराब है. यहां गंगा के पानी ने पूरे गांव को अपनी आगोश में ले लिया है. सरकार की तरफ से रहने की व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण ग्रामीण जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक किनारे रहने को मजबूर हैं. यहां के लोगों ने बताया कि पिछले 10 दिनों से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है. जिससे पूरे गांव में गंगा का पानी भर गया है. लिहाजा ग्रामीण रेलवे लाइन के किनारे बस गए हैं.
उन्होंने बताया कि बाढ़ राहत के नाम पर सिर्फ प्लास्टिक दी गई है. खाना तक नहीं मिला है. रुखा-सूखा भोजन कर जीवन यापन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि ट्रेन आने के समय जान बचाकर इधर-उधर हो जाते हैं. ऐसे में यहां किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है. लेकिन हादसे के इंतजार में सोए जिला प्रशासन की कुम्भकर्णीय नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही है.
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3 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित
जिले में बाढ़ ने तबाही मचा कर रख दी है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण जिले के अधिकतर गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. जिससे बेचैन लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. मनिहारी, बरारी, कुर्सेला, अमदाबाद, मनसाही और कोढ़ा प्रखंड में बाढ़ का भीषण असर देखने को मिल रहा है. इस क्षेत्र के लगभग 3 लाख से भी ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.