गया: बिहार में सबसे ज्यादा फाइन देने वाले शहर की यातयात व्यवस्था चरमरा गई है. शहर के जीबी रोड, स्टेशन रोड, चांद चौरा, माडनपुर बाईपास पर राहगीर घण्टों जाम के झाम से जूझते रहते हैं. स्कूली छात्रों को भी काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है. चौंका देने वाली बात तो ये है कि शहर के ट्रैफिक डीएसपी खुद संसाधनों की कमी की बात को स्वीकार कर रहे हैं.
चरमराई यातायात व्यवस्था
बता दें कि शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है. हालात कुछ यूं हैं कि हर चौराहे पर राहगीर जाम के झाम से जूझते मिल जाते हैं, यहां यातायात संसाधनों का भी घोर आभाव है. लेकिन संबंधित अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
रस्सी के सहारे संचालित हो रहा यातायात
यातायात डीएसपी राकेश रंजन ने बताया कि शहर में ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का की घोर आभाव है. इस कारण रस्सी के सहारे यातायात को संचालित किया जाता है. उन्होंने कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए 80 होमगार्ड, 12 हवलदार,12 ऑफिसर, 1 इंस्पेक्टर सहित एक डीएसपी की तैनाती की गई है. ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए कम से कम 150 ट्रैफिक पुलिस कर्मी होने चाहिए. लेकिन यहां की सड़कें चौड़ी नहीं हैं और किसी भी सड़क पर डिवाइडर नहीं होने के कारण एक ट्रॉली से दूसरी ट्रॉली तक रस्सी बांधकर डिवाइडर बनाया जाता है.
ट्रैफिक सिग्नल भी नहीं
यातायात डीएसपी ने बताया कि शहर के किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि ट्रैफिक सिग्नल रहने से बहुत फायदा होता है. साथ ही जब पुलिस के जवान कम होते हैं, ऐसी स्थिति में ट्रैफिक सिग्नल यतायात के लिए मददगार साबित होता है. उन्होंने कहा कि ट्रैफिक सिग्नल लगाने के लिए विभाग को प्रार्थना पत्र भेजा गया है.
बीच शहर से गुजरते हैं भारी वाहन
बता दें कि शहर की सड़कें कम चौड़ी हैं और सड़को पर गाड़ियों का आवागमन ज्यादा है. साथ ही दूसरे जिलों से आने वाले वाहन शहर के बीचों बीच होकर गुजरते हैं. डीएसपी ने बताया कि शहर के बगल में बाईपास नहीं होने के कारण शहर में गाड़ियों का संख्या बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि नई बहाली में 25 महिला कांस्टेबल की नियुक्ति होगी. जिससे कुछ हद तक यातायत व्यवस्था सुधर पाएगी.