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पद्मपाणि मिडिल स्कूल बना मिसाल, नि:शुल्क शिक्षा के बदले बच्चे सीख रहे स्वच्छ पर्यावरण का पाठ

निजी संस्था द्वारा संचालित इस स्कूल में सरकारी स्कूल जैसी सभी सुविधाएं दी जाती है और इसके लिए सरकार की मदद नहीं ली जाती.

पद्मपाणि मिडिल स्कूल
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Published : Jul 6, 2019, 1:48 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 2:07 PM IST

गया: बोधगया के सेवा बिगहा गांव में साउथ कोरियन संस्था द्वारा संचालित पद्मपाणि मिडिल स्कूल छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देता है. इसके एवज में स्कूल प्रबंधन ने छात्रों को एक टास्क दिया है. टास्क में घर से स्कूल आने के क्रम में छात्रों को जितना कूड़ा मिले उसे लाकर उन्हें स्कूल के बाहर डस्टबिन में डालना है. स्कूल प्रबंधन उस कूड़े को रिसाइक्लिंग के लिए भेज देते हैं. वहीं स्कूल से जाते वक्त बच्चे अपने वॉटर बॉटल में बचा हुआ पानी पौधों को डालते हुए घर जाते हैं.

gaya school
पद्मपाणि मिडिल स्कूल में बच्चे

सरकार को आइना दिखाता स्कूल
पद्मपाणि मिडिल स्कूल सरकार को आइना दिखाता है. ये स्कूल अपने स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ ड्रेस, किताब, मिड-डे मील भी देता हैं. स्कूल की व्यवस्था सेमी गवर्मेंट स्कूल जैसी है. निजी संस्था द्वारा संचालित इस स्कूल में सरकारी स्कूल जैसी सभी सुविधाएं दी जाती है और इसके लिए सरकार की मदद नहीं ली जाती.

gaya school
पद्मपाणि मिडिल स्कूल में बच्चे

सभी बच्चे पूरा करते हैं ये टास्क
स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि पद्मपाणि मिडिल स्कूल दक्षिण कोरिया की एक संस्था द्वारा संचालित है. बोधगया से 10 किलोमीटर दूर दलित बस्ती सेवा बिगहा में 2014 में शुरू किया गया था. पिछले 4 महीनों से यहां के बच्चों को एक टास्क दिया गया है. उन्हें घर से स्कूल आने के क्रम में रास्ते में मिलने वाला कचड़ा उठाकर स्कूल के डस्टबिन में डालना है. बच्चों को इसके लिए जागरूक करना पड़ा और अब सभी बच्चे ये टास्क पूरा करते हैं.

स्वच्छ पर्यावरण का पाठ पढ़ाता स्कूल

पर्यावरण को बचाने में योगदान
स्कूल के छात्रों ने बताया कि स्कूल में फीस नही ली जाती. इसके बदले हम पर्यावरण को बचाने के लिए अपना योगदान करते हैं. शुरूआत में हमें अच्छा नहीं लगता था, पर अब जब रास्ते साफ नजर आते हैं तो अच्छा लगता है.

क्या कुछ है स्कूल में खास:

  • दक्षिण कोरिया की एक संस्था द्वारा संचालित है स्कूल
  • स्कूल छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देता है.
  • ड्रेस, किताब, मिड-डे मील भी निशुल्क
  • स्कूल आने के मिलने वाला कचड़ा स्कूल डस्टबिन में डालते हैं बच्चे
  • बचा हुआ पानी पौधों को डालते हुए घर जाते हैं बच्चे

गया: बोधगया के सेवा बिगहा गांव में साउथ कोरियन संस्था द्वारा संचालित पद्मपाणि मिडिल स्कूल छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देता है. इसके एवज में स्कूल प्रबंधन ने छात्रों को एक टास्क दिया है. टास्क में घर से स्कूल आने के क्रम में छात्रों को जितना कूड़ा मिले उसे लाकर उन्हें स्कूल के बाहर डस्टबिन में डालना है. स्कूल प्रबंधन उस कूड़े को रिसाइक्लिंग के लिए भेज देते हैं. वहीं स्कूल से जाते वक्त बच्चे अपने वॉटर बॉटल में बचा हुआ पानी पौधों को डालते हुए घर जाते हैं.

gaya school
पद्मपाणि मिडिल स्कूल में बच्चे

सरकार को आइना दिखाता स्कूल
पद्मपाणि मिडिल स्कूल सरकार को आइना दिखाता है. ये स्कूल अपने स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ ड्रेस, किताब, मिड-डे मील भी देता हैं. स्कूल की व्यवस्था सेमी गवर्मेंट स्कूल जैसी है. निजी संस्था द्वारा संचालित इस स्कूल में सरकारी स्कूल जैसी सभी सुविधाएं दी जाती है और इसके लिए सरकार की मदद नहीं ली जाती.

gaya school
पद्मपाणि मिडिल स्कूल में बच्चे

सभी बच्चे पूरा करते हैं ये टास्क
स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि पद्मपाणि मिडिल स्कूल दक्षिण कोरिया की एक संस्था द्वारा संचालित है. बोधगया से 10 किलोमीटर दूर दलित बस्ती सेवा बिगहा में 2014 में शुरू किया गया था. पिछले 4 महीनों से यहां के बच्चों को एक टास्क दिया गया है. उन्हें घर से स्कूल आने के क्रम में रास्ते में मिलने वाला कचड़ा उठाकर स्कूल के डस्टबिन में डालना है. बच्चों को इसके लिए जागरूक करना पड़ा और अब सभी बच्चे ये टास्क पूरा करते हैं.

स्वच्छ पर्यावरण का पाठ पढ़ाता स्कूल

पर्यावरण को बचाने में योगदान
स्कूल के छात्रों ने बताया कि स्कूल में फीस नही ली जाती. इसके बदले हम पर्यावरण को बचाने के लिए अपना योगदान करते हैं. शुरूआत में हमें अच्छा नहीं लगता था, पर अब जब रास्ते साफ नजर आते हैं तो अच्छा लगता है.

क्या कुछ है स्कूल में खास:

  • दक्षिण कोरिया की एक संस्था द्वारा संचालित है स्कूल
  • स्कूल छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देता है.
  • ड्रेस, किताब, मिड-डे मील भी निशुल्क
  • स्कूल आने के मिलने वाला कचड़ा स्कूल डस्टबिन में डालते हैं बच्चे
  • बचा हुआ पानी पौधों को डालते हुए घर जाते हैं बच्चे
Intro:गया के बोधगया के सेवा बिगहा गाँव में साउथ कोरिया के संस्था द्वारा संचालित पदमपाणि मिडिल स्कूल में छात्रों को निःशुल्क पढ़ाया जाता है निःशुल्क पढ़ाने के एवज में स्कूल प्रबंधक छात्रों को एक टास्क दिया है घर से स्कूल आने के क्रम में जितना कूड़ा मिले उसे स्कूल के बाहर डस्टबिन में डालना है। प्रबंधक उस कूड़ा को रिसाइकिल के लिए भेज देते हैं। स्कूल बाहर से देखने मे प्राइवेट दिखती है लेकिन ये विद्यालय छात्रों को निशुल्क पढ़ाने के साथ , ड्रेस ,किताब, मिडे मिल भी देता हैं। स्कूल की व्यवस्था सेमी गवर्मेंट स्कूल जैसा है।


Body:सरकार को आइना दिखता पद्मपाणि मिडिल स्कूल, निजी संस्था द्वारा संचालित स्कूल में सरकार द्वारा छात्रों को जो सुविधा मिलता हैं सारी सुविधाएं इस स्कूल में छात्रों को दिया जाता है। लेकिन सरकार का मदद नही लिया जाता है। स्कूल की व्यवस्था सेमी गवर्नमेंट स्कूल जैसा है। स्कूल में छात्रों से फीस नहीं ले जाता हैं, इसके बदले एक अनोखा काम कराया जाता है ,घर से स्कूल आने के रास्ते में पड़े प्लास्टिक और कचरा को स्कूल लाना पड़ता हैं और स्कूल के बाहर गेट पर रखे डस्टबिन में डालना पड़ता है। स्कूल से जाते वक्त पानी के बोतल में बचा पानी सड़क किनारे लगाए गए पौधे में बच्चों डालते हुए घर जाते हैं। स्कूल की सोच और बच्चों के अनोखा काम से सरकार और हमे सिख लेने का जरूरत है।

स्कूल की प्रधानचार्य मीरा मेहता ने बताया दक्षिण कोरिया एक संस्था द्वारा संचालित पद्मपाणि मिडिल स्कूल बोधगया से 10 किलोमीटर दूर दलित बस्ती सेवा बिगहा में 2014 में शुरू किया गया था। यहां का शिक्षा दर काफी नीचे था सरकारी स्कूल दूर होने के कारण बच्चे पढ़ने नहीं जाते थे। स्कूल प्रबंधक ने आसपास के गाँव गाँव जाकर लोगो को जागरूक किया स्कूल पूर्णत निशुल्क हैं सरकारी स्कूल में जो व्यवस्था मिलता हैं वो सब यहां मिलेगा। स्कूल के प्रयास से अब स्कूल में 243 बच्चे है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर स्कूल पहले से सजग हैं , स्कूल में बिजली सोलर प्लेट से आता है। पिछले 4 महीने से बच्चों को एक टास्क दिया गया है। घर से स्कूल आने के क्रम में रास्ते मे मिलने वाला कचड़ा को उठाकर स्कूल के डस्टबिन में डालना है। बच्चे को इसके लिए जागरूक करना पड़ा अब सभी बच्चे आते वक्त ये कार्य करते हैं।

स्कूल के छात्रों ने बताया स्कूल में हमलोग से फीस नही लिया जाता है। फीस के बदले हमलोग पर्यावरण को बचाने के लिए घर से आते वक्त कचरा चुनकर स्कूल ले आते हैं। शुरू शुरू हमलोग को अच्छा नही लगा अब जब रास्ता साफ दिखते हैं तो अच्छा लगता है। यहां सारी सुविधा निःशुल्क दिया जाता है। सरकारी स्कूल यहां से 3 किलोमीटर दूर है । इतनी दूर स्कूल भी जाए तो वहां पढ़ाई नही होता। यहां पढ़ाई होता हैं। हमलोग अब धीरे धीरे साउथ कोरिया भाषा भी सिख रहे हैं।


Conclusion:
Last Updated : Jul 15, 2019, 2:07 PM IST
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