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गया: अपने बल पर तीरंदाजी में नाम रोशन कर रहे खिलाड़ी, सरकार से नहीं मिल रही मदद - गया के माडनपुर इलाके

गया के माडनपुर इलाके में एक निजी मैदान में दर्जनों खिलाड़ी सुबह और शाम तीरंदाजी खेल का अभ्यास करते हैं. ये लोग खुद के बल पर राष्ट्रीय स्तरीय गेम तक खेल चुके हैं. वहीं, जिला और राज्य से उन्हें अब तक कोई मदद नहीं मिली है.

तीरंदाजी
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Published : Oct 8, 2019, 1:32 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 12:52 PM IST

गया: तीर-धनुष मनुष्य के परंपरागत शस्त्र माने जाते हैं. आदिमानव काल से ही इस शस्त्र का जिक्र होता रहा है. अब इस शस्त्र का प्रयोग तीरंदाजी खेल में किया जाता है. गया के खिलाड़ी भी इस खेल में अपना नाम रोशन कर रहे हैं. वहीं, जिला प्रशासन और बिहार सरकार की ओर से अब तक इस खेल को प्रोत्साहित नहीं किया गया. इस वजह से खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार के सागर में डूबता दिख रहा है.

गया के माडनपुर इलाके में एक निजी मैदान में दर्जनों खिलाड़ी सुबह और शाम तीरंदाजी खेल का अभ्यास करते हैं. इन खिलाड़ियों ने अपने बल पर ही जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय खेल खेला है. इसके बावजूद जिला प्रशासन और बिहार सरकार ने आजतक इन्हें प्रोत्साहित नहीं किया. तिरंदाजी खेल के लिए न तो कोई जिला स्तरीय एकेडमी है, न ही अभ्यास के लिए इनका खुद का कोई मैदान है.

gaya
अभ्यास करते खिलाड़ी

ईटीवी भारत को बताई समस्या
गया और बिहार का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. खिलाड़ी वेदनाथ मेहरवाल ने बताया कि वह राज्य स्तरीय गेम खेल चुके हैं. खिलाड़ियों ने बताया कि वह एक दिन मैदान के बगल से गुजर रहे थे. उसी बीच उन्होंने कुछ लोगों को तीरंदाजी का अभ्यास करते देखा. खिलाड़ियों को देखकर उन्हें भी यह खेल सीखने की इच्छा हुई, जिसके बाद उन्होंने तीरंदाजी करना शुरू कर दी. उन्होंने सरकार से इस खेल के लिए एक ग्राउंड और संसाधन के लिए एक रूम बनाने की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिली मदद
खिलाड़ी आकांक्षा ने बताया कि वह स्कूल से ही तीरंदाजी खेलती आ रही है. उन्होंने बताया कि वे लोग खुद के बल पर कई गेम खेलने गए. जिला और राज्य से उन्हें अबतक कोई मदद नहीं मिली. वे निजी मैदान में इस खेल का अभ्यास करते हैं. जहां कई लोग आकर परेशान करते हैं. उन्होंने इस तीरंदाजी के लिए एक ग्राउंड बनाने का अनुरोध किया.

सरकार से एकेडमी बनाने की गुहार
कोच जय प्रकाश ने बताया कि प्रतिदिन 30-35 खिलाड़ी मैदान में अभ्यास करने आते हैं. उनमें 6 लड़कियां भी है. यहां सभी को निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. इनमें से 8 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि यदि सरकार एक एकेडमी और एक प्ले ग्राउंड बना दे, तो यहां के खिलाड़ी विदेशों में भी गया और बिहार का नाम रोशन करेंगे.

गया: तीर-धनुष मनुष्य के परंपरागत शस्त्र माने जाते हैं. आदिमानव काल से ही इस शस्त्र का जिक्र होता रहा है. अब इस शस्त्र का प्रयोग तीरंदाजी खेल में किया जाता है. गया के खिलाड़ी भी इस खेल में अपना नाम रोशन कर रहे हैं. वहीं, जिला प्रशासन और बिहार सरकार की ओर से अब तक इस खेल को प्रोत्साहित नहीं किया गया. इस वजह से खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार के सागर में डूबता दिख रहा है.

गया के माडनपुर इलाके में एक निजी मैदान में दर्जनों खिलाड़ी सुबह और शाम तीरंदाजी खेल का अभ्यास करते हैं. इन खिलाड़ियों ने अपने बल पर ही जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय खेल खेला है. इसके बावजूद जिला प्रशासन और बिहार सरकार ने आजतक इन्हें प्रोत्साहित नहीं किया. तिरंदाजी खेल के लिए न तो कोई जिला स्तरीय एकेडमी है, न ही अभ्यास के लिए इनका खुद का कोई मैदान है.

gaya
अभ्यास करते खिलाड़ी

ईटीवी भारत को बताई समस्या
गया और बिहार का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. खिलाड़ी वेदनाथ मेहरवाल ने बताया कि वह राज्य स्तरीय गेम खेल चुके हैं. खिलाड़ियों ने बताया कि वह एक दिन मैदान के बगल से गुजर रहे थे. उसी बीच उन्होंने कुछ लोगों को तीरंदाजी का अभ्यास करते देखा. खिलाड़ियों को देखकर उन्हें भी यह खेल सीखने की इच्छा हुई, जिसके बाद उन्होंने तीरंदाजी करना शुरू कर दी. उन्होंने सरकार से इस खेल के लिए एक ग्राउंड और संसाधन के लिए एक रूम बनाने की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिली मदद
खिलाड़ी आकांक्षा ने बताया कि वह स्कूल से ही तीरंदाजी खेलती आ रही है. उन्होंने बताया कि वे लोग खुद के बल पर कई गेम खेलने गए. जिला और राज्य से उन्हें अबतक कोई मदद नहीं मिली. वे निजी मैदान में इस खेल का अभ्यास करते हैं. जहां कई लोग आकर परेशान करते हैं. उन्होंने इस तीरंदाजी के लिए एक ग्राउंड बनाने का अनुरोध किया.

सरकार से एकेडमी बनाने की गुहार
कोच जय प्रकाश ने बताया कि प्रतिदिन 30-35 खिलाड़ी मैदान में अभ्यास करने आते हैं. उनमें 6 लड़कियां भी है. यहां सभी को निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. इनमें से 8 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि यदि सरकार एक एकेडमी और एक प्ले ग्राउंड बना दे, तो यहां के खिलाड़ी विदेशों में भी गया और बिहार का नाम रोशन करेंगे.

Intro:मनुष्य का परंपरागत शस्त्र के रूप में तीर-धनुष हैं, आदि मानव काल से इस शस्त्र का जिक्र हैं। अतीत के विभिन्न युध्दों में तीर धनुष शस्त्र के रूप में प्रयोग किया गया था। अब के युद्धों में इस शस्त्र का उपयोग ना के बराबर होता है। अब युद्धों से अलग हो ये शस्त्र खेल में शामिल हो गया है। तीरंजदाजी खेल में गया के खिलाड़ी भी नाम रौशन कर रहे हैं लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आगे नही बढ़ पा रहे हैं।


Body:गया के माडनपुर इलाके में एक निजी मैदान में सुबह और शाम दर्जनों लड़के लडकिया तीरंजदाजी खेल का अभ्यास करते हैं। ये सभी अपने संसाधन से हर रोज अभ्यास करते हैं और अपने बलबूते जिला स्तरीय। ,राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय खेल खेलने जाते हैं। जिला प्रशासन और बिहार सरकार ने आज तक इनकी सुध तक नही लिया है। यहां तक जिला स्तरीय एकेडमी नही है ना ही इनका खुद का खेलने और अभ्यास करने के लिए मैदान है।

अपने बलबूते गया और बिहार का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की

खिलाड़ी वेदांत मेहरवाल ने बताया मैं राज्य स्तरीय तक गेम खेल चुका हूं, मैं एक दिन से गुजर रहा था इस जगह पर लोगो को अभ्यास करते देखा। मैं भी एक दिन आकर सीखा अच्छा लगा तो कंटीन्यू कर दिया। हमलोग का जो खेल का सामान है एक लाख के आसपास का है और वे बहुत नाजुक होता है रोज घर से आना जाना बहुत मुश्किल है। इस खेल के लिए एक ग्राउंड और रूम सरकार बना दे हमलोग और आगे तक बढ़ सकेंगे।

खिलाड़ी आकांक्षा ने बताया मैं स्कूल समय से खेल रही हु , हमलोग अपने बलबूते बहुत सारे गेम खेलने गए हैं। हमलोग जिला और राज्य से कोई मदद नही करता है। हमलोग निजी मैदान पर अभ्यास करते हैं बहुत लोग आकर बीच मे डिस्टर्ब करते हैं। सभी खेल के लिए एक ग्राउंड होता है हमारे लिए भी एक ग्राउंड बना दिया जाए।

कोच जय प्रकाश ने बताया अभी 30 से 35 खिलाड़ी हर रोज अभ्यास करने आते हैं। जिसमे से 6 लडकिया है। यहां सभी को निशुल्क ट्रेनिंग दिया जाता है। इसमें आठ खिलाड़ी राष्ट्र स्तरीय खेल में भाग ले चुके हैं। हमलोग सारे खूब मेहनत करते हैं लेकिन अन्य राज्यों के तुलना में जिला प्रशासन और राज्य सरकार थोड़ा भी मदद नही करता है। अभी तक हमारे खिलाड़ियों जितने मेडल जीता है सब अपने बलबूते पर जीता है। अगर सरकार एक एकेडमी बना दे और एक प्ले ग्राउंड यहां के खिलाड़ी विदेशो तक नाम रौशन करेगे।


Conclusion:
Last Updated : Oct 9, 2019, 12:52 PM IST
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