गया: ऐसे तो गयाजी मे सालों भर पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है लेकिन पितृपक्ष (Pitrupaksha Mela) में पिंडदान करने का अलग ही महत्व है. मान्यता है कि यह पक्ष पितरों का होता है. इस पक्ष में पितृ गया में वास करते हैं. इस पक्ष में पिंडदान करने से उन्हें तुरंत मोक्ष की प्राप्ति होती है. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से गया में लगने वाला पितृपक्ष मेला पिछले साल भी आयोजित नहीं हुआ था. इस साल भी सरकार पितृपक्ष मेला आयोजित करने की मूड में नहीं है. पंडा समुदाय का कहना है कोरोना टेस्ट कराने और कोविड वैक्सीन लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेला आयोजित करना चाहिए.
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दरअसल, गया में पितृपक्ष मेले को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. पितृपक्ष शुरू होने में अभी कुछ दिन शेष रह गए हैं. फिर भी सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कोई भी तैयारी ही नहीं शुरू हुई है. यहां तक कि पितृपक्ष में आने वाले तीर्थयात्री अपने पंडों से संपर्क कर रहे हैं लेकिन पंडे भी उन्हें कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं हैं. पितृपक्ष को लेकर अभी तक संशय की स्थिति है.
विष्णुपद क्षेत्र के पंडित राजाचार्य बताते हैं कि हिंदू धर्म में जिस तरह पूजा-पाठ का शुभ मुहूर्त होता है, उसी तरह पिंडदान का भी एक मुहूर्त होता है. इसे पितृपक्ष कहते हैं. इस पितृपक्ष में गया में पिंडदान करने का विशेष महत्व है. गयाजी में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का भी पिंडदान होता है. कोरोना काल में लाखों लोगों की मौत अकाल हो गयी थी. ऐसे में इन सभी के परिजन पितृपक्ष के दौरान गया जी मे पिंडदान करना चाह रहे हैं लेकिन सरकार पितृपक्ष मेला को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कर रही है.
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बता दें कि पितृपक्ष के दौरान लाखों लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए गयाजी में पिंडदान करने आते हैं. यहां तक कि विदेशी लोग भी गयाजी में पिंडदान करने आते हैं. गयाजी में 20 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है. त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी 19 सितंबर से ही पुनपुन नदी से श्राद्ध कर्म शुरू करेंगे.
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