ETV Bharat / city

वैष्णो देवी की तर्ज पर गया के विष्णुपद में भी श्रद्धालुओं को मिलेगी सुविधा, और खूबसूरत दिखेगा मंदिर

गया बिहार की धार्मिक नगरी है. इसे बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में हो रहे कार्यों से शहर की सूरत बदलने लगी है. पिंडदान करने वाले स्थान से लेकर सभा मंडप, तुलसी उद्यान, श्मशान घाट, अनेकों सरोवर तक का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.

गया
गया
author img

By

Published : Sep 4, 2021, 10:20 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 10:51 PM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya In Bihar) में स्थित विष्णुपद मंदिर क्षेत्र में सरकार की विभिन्न योजनाओं से सूरत बदलने लगी है. विष्णुपद के क्षेत्र में पिंडदान करने वाले स्थान से लेकर सभा मंडप, तुलसी उद्यान, श्मशान घाट, अनेकों सरोवर यहां तक की शौचालय का सौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत आइकॉनिक शहर में गया (Tourist in gaya) को शामिल किया गया है. इस योजना में शामिल होने से विष्णुपद क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए कार्य किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- गया में बनकर तैयार हुआ बिहार का पहला 'नगर वन', रॉक गार्डन आकर्षण का मुख्य केन्द्र, खासियत जानें...

दरअसल, बिहार का गया जिला पूरे विश्व के मानचित्र पर धार्मिक स्थल के रूप में चिन्हित है. सनातन धर्म के लिए मोक्षधाम है. वहीं बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए महाबोधी मन्दिर पवित्र स्थल है. गया जिला का अंतर्राष्ट्रीय पहचान होने के बावजूद पर्यटकों का ठहराव और झुकाव नहीं हो सका है.

देखें वीडियो

2014 के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने विष्णुपद मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों का विकास किया. जिससे अब पर्यटकों के आने की संभावना जतायी जा रही है. विष्णुपद मंदिर सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए मोक्षधाम है. बिहार के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक गया है, गया जी में स्थित विष्णुपद मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.

वेद व पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था. सनातन धर्म में इस मंदिर का प्रमुख स्थान है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था. मान्यता है कि विष्णुपद मन्दिर में पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

विष्णुपद मंदिर के निकट पवित्र फल्गु नदी बहती है. जो गया को होती हुई दक्षिण दिशा में जाती है. निर्माण के दृष्टि से यह बड़ा ही भव्य मंदिर है. मंदिर का इतना अधिक महत्व होने और भव्य होने के बावजूद मंदिर में देश-विदेश से लोग पिंडदान करने आते हैं.

इस क्षेत्र में पर्यटन के लिए कुछ खास विकास नहीं किया गया है. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार 2017 से विष्णुपद मंदिर और उसके आसपास क्षेत्र के पौराणिक और प्राचीन स्थलों का आधारभूत ढांचे का पर्यटकों के पसंद के हिसाब से बना रही है.

केंद्र सरकार और राज्य सरकार विष्णुपद क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने के लिए अब काम कर रही है. अब गया में आने वाले तीर्थयात्री पिंडदान करने के बाद पर्यटक के तौर पर यहां रह सकें, इसके लिए सरकार ने पूरा पर्यटन रोड मैप तैयार किया है. जो 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा.

तीर्थयात्रियों के साथ अब पर्यटकों को लुभाने के लिए राज्य सरकार रबर डैम और लक्ष्मण झूला का निर्माण करवा रही है. रबर डैम बनने से विष्णुपद क्षेत्र में फल्गु नदी में सालों भर पानी रहेगा. वहीं लक्ष्मण झूला देवघाट से सीताकुंड जाने के लिए बनाया जा रहा है. रबर डैम और लक्ष्मण झूला बनने से तीर्थयात्रियों के साथ भारी संख्या में पर्यटक भी आएंगे.

2017 तक गया शहर में स्थित विष्णुपद मन्दिर के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र कुछ नही था. देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु पिंडदान करते थे और चले जाते थे. केंद्र सरकार का ह्रदय योजना और प्रसाद योजना से विष्णुपद क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया गया. 2017 से विष्णुपद क्षेत्र की सूरत बदलने लगी.

यह भी पढ़ें- सरकारी अनदेखी का दंश झेल रहा ऐतिहासिक नेयामतपुर आश्रम, कभी कहलाता था 'बिहार का जलियांवाला बाग'

कल तक जिस सरोवर में नाक बंद करके पिंडदान करते थे, आज उसी सरोवर में शाम में बैठकर लेजर लाइट शो देखते हैं. सरकार के साथ ही स्थानीय प्रशासन ने काम किया है. गया नगर निगम ने सफाई में पहले की अपेक्षा ज्यादा काम किया है. विष्णुपद और देवघाट पर स्वच्छता देखने को मिलती है.

'सरकार ने पिछले चार सालो में विष्णुपद क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है. हर तरफ लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण किया गया. देवघाट पर पिंडदान करने के लिए अनेकों आकर्षक सभागार बनाया गया है. शौचालय और स्नानागार की व्यवस्था अधिक संख्या में की गई है. सभी सनातन धर्म में महत्व रखनेवाले सरोवर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है. पहले से इस इलाके में विकास, स्वच्छता और सौंदर्यीकरण नहीं ती, अब हुई है. अंतराष्ट्रीय स्तर पर अभी भी इस क्षेत्र में काम होना बाकी है.' -पंडित राजा आचार्य, विष्णुपद निवासी

'विष्णुपद परिसर के साथ देवघाट एवं सूर्यकुंड का अभी सौंदर्यीकरण कार्य किया जा रहा है. विष्णुपद मन्दिर और इसके परिसर के साफ-सफाई के लिए काफी ख्याल रखा गया है. सरकार के योजनाओं के साथ अब इंडियन ऑयल कंपनी भी विष्णुपद क्षेत्र के सूरत बदलने की दिशा में कार्य कर रहा है. इससे पहले इंडियन ऑयल कंपनी द्वारा कटरा से वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले रास्ते में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई काम किए गए हैं. जिससे श्रद्धालुओं को काफी सुविधाएं मिलती है. उसके तर्ज पर विष्णुपद परिसर में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए कार्य किए जाएंगे.' -सावन कुमार, नगर आयुक्त, गया नगर निगम

बता दें कि विष्णुपद क्षेत्र में पर्यटन का संसाधन विकसित होने के बाद इस क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार का साधन उपलब्ध हो जाएगा. इस क्षेत्र में सिर्फ बड़े पैमाने पर पितृपक्ष मेले के दौरान रोजगार का साधन उपलब्ध होता है.

गया जिले में अभी दो मंदिर होने के बावजूद पर्यटन केंद्रित स्थान नहीं बन सका है. इस क्षेत्र में पर्यटन रोड मैप धरातल पर उतरने के बाद देश के विभिन्न राज्यों से हर दिन हजारों की संख्या में पर्यटक आएंगे. बिहार की बात करें तो बिहार में राजधानी पटना के बाद पर्यटन क्षेत्र में कोई जिला विकसित नहीं हो सका है.

गया में 2023 तक पर्यटकों के लिए पर्यटन क्षेत्र विकसित हो जाएंगे. जिससे बिहार के अन्य क्षेत्र के साथ झारखंड राज्य के बॉर्डर क्षेत्र के लोग आएंगे. विदेश से आने वाले पर्यटक बोधगया तक समिति रहते हैं. वो कभी भी विष्णुपद क्षेत्र में पर्यटन के लिहाज से नहीं आते हैं.

अब सरकार विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए भी काम कर रही है. जो विदेशी पर्यटक बोधगया आते हैं, वो विष्णुपद क्षेत्र में आये. विष्णुपद को लेकर एक पिंड और एक मुंड की प्रथा है. एक पिंड और एक मुंड की प्रथा की वजह से विष्णुपद मंदिर के ठीक बगल में श्मशान घाट है.

इस श्मशान घाट का धार्मिक महत्व है. इसलिए लोग दूर-दूर से शव का दाह संस्कार करने विष्णु मसान घाट आते हैं. इस श्मशान घाट पर प्रदूषण कम करने के लिए प्रदूषण रहित मशीन (क्रिमेशन मशीन) लगाया जा रहा है. जिससे मंदिर को शवदाह के धुएं से बचाया जाए और शहर भी प्रदूषणमुक्त हो.

ब्रह्म सरोवर में पिछले साल वाटर लेजर लाइट शो लगाया गया है. इस सरोवर का लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण किया गया है. शाम में लोग इस सरोवर में अभी ट्रायल के तौर पर वाटर लेजर लाइट शो का आनंद उठाते हैं. इसके अलावा अन्य सरोवरों को सौंदर्यीकरण के लेजर लाइट युक्त फव्वारा लगाया गया है.

विष्णुपद परिसर में स्वच्छता के लिए गया नगर निगम खास ध्यान दे रही है. इस क्षेत्र में स्वच्छता के लिए 50 स्टील कूड़ादान, 10 कंपोस्ट मशीन, दो स्वाइपिंग मशीन, दो मशिनरी झाड़ू, तीन आधुनिक शौचालय, दस वाटर एटीएम का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा गया शहर के कचड़े और विष्णुपद मंदिर के पिंडदान, फूल-माला को गया नगर निगम मशीन द्वारा जैविक खाद बना रही है.

यह भी पढ़ें- इको टूरिज्म पॉलिसी पर CM के समक्ष दिया गया प्रस्तुतीकरण, बोले नीतीश- बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya In Bihar) में स्थित विष्णुपद मंदिर क्षेत्र में सरकार की विभिन्न योजनाओं से सूरत बदलने लगी है. विष्णुपद के क्षेत्र में पिंडदान करने वाले स्थान से लेकर सभा मंडप, तुलसी उद्यान, श्मशान घाट, अनेकों सरोवर यहां तक की शौचालय का सौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत आइकॉनिक शहर में गया (Tourist in gaya) को शामिल किया गया है. इस योजना में शामिल होने से विष्णुपद क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए कार्य किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- गया में बनकर तैयार हुआ बिहार का पहला 'नगर वन', रॉक गार्डन आकर्षण का मुख्य केन्द्र, खासियत जानें...

दरअसल, बिहार का गया जिला पूरे विश्व के मानचित्र पर धार्मिक स्थल के रूप में चिन्हित है. सनातन धर्म के लिए मोक्षधाम है. वहीं बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए महाबोधी मन्दिर पवित्र स्थल है. गया जिला का अंतर्राष्ट्रीय पहचान होने के बावजूद पर्यटकों का ठहराव और झुकाव नहीं हो सका है.

देखें वीडियो

2014 के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने विष्णुपद मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों का विकास किया. जिससे अब पर्यटकों के आने की संभावना जतायी जा रही है. विष्णुपद मंदिर सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए मोक्षधाम है. बिहार के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक गया है, गया जी में स्थित विष्णुपद मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.

वेद व पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था. सनातन धर्म में इस मंदिर का प्रमुख स्थान है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था. मान्यता है कि विष्णुपद मन्दिर में पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

विष्णुपद मंदिर के निकट पवित्र फल्गु नदी बहती है. जो गया को होती हुई दक्षिण दिशा में जाती है. निर्माण के दृष्टि से यह बड़ा ही भव्य मंदिर है. मंदिर का इतना अधिक महत्व होने और भव्य होने के बावजूद मंदिर में देश-विदेश से लोग पिंडदान करने आते हैं.

इस क्षेत्र में पर्यटन के लिए कुछ खास विकास नहीं किया गया है. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार 2017 से विष्णुपद मंदिर और उसके आसपास क्षेत्र के पौराणिक और प्राचीन स्थलों का आधारभूत ढांचे का पर्यटकों के पसंद के हिसाब से बना रही है.

केंद्र सरकार और राज्य सरकार विष्णुपद क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने के लिए अब काम कर रही है. अब गया में आने वाले तीर्थयात्री पिंडदान करने के बाद पर्यटक के तौर पर यहां रह सकें, इसके लिए सरकार ने पूरा पर्यटन रोड मैप तैयार किया है. जो 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा.

तीर्थयात्रियों के साथ अब पर्यटकों को लुभाने के लिए राज्य सरकार रबर डैम और लक्ष्मण झूला का निर्माण करवा रही है. रबर डैम बनने से विष्णुपद क्षेत्र में फल्गु नदी में सालों भर पानी रहेगा. वहीं लक्ष्मण झूला देवघाट से सीताकुंड जाने के लिए बनाया जा रहा है. रबर डैम और लक्ष्मण झूला बनने से तीर्थयात्रियों के साथ भारी संख्या में पर्यटक भी आएंगे.

2017 तक गया शहर में स्थित विष्णुपद मन्दिर के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र कुछ नही था. देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु पिंडदान करते थे और चले जाते थे. केंद्र सरकार का ह्रदय योजना और प्रसाद योजना से विष्णुपद क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया गया. 2017 से विष्णुपद क्षेत्र की सूरत बदलने लगी.

यह भी पढ़ें- सरकारी अनदेखी का दंश झेल रहा ऐतिहासिक नेयामतपुर आश्रम, कभी कहलाता था 'बिहार का जलियांवाला बाग'

कल तक जिस सरोवर में नाक बंद करके पिंडदान करते थे, आज उसी सरोवर में शाम में बैठकर लेजर लाइट शो देखते हैं. सरकार के साथ ही स्थानीय प्रशासन ने काम किया है. गया नगर निगम ने सफाई में पहले की अपेक्षा ज्यादा काम किया है. विष्णुपद और देवघाट पर स्वच्छता देखने को मिलती है.

'सरकार ने पिछले चार सालो में विष्णुपद क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है. हर तरफ लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण किया गया. देवघाट पर पिंडदान करने के लिए अनेकों आकर्षक सभागार बनाया गया है. शौचालय और स्नानागार की व्यवस्था अधिक संख्या में की गई है. सभी सनातन धर्म में महत्व रखनेवाले सरोवर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है. पहले से इस इलाके में विकास, स्वच्छता और सौंदर्यीकरण नहीं ती, अब हुई है. अंतराष्ट्रीय स्तर पर अभी भी इस क्षेत्र में काम होना बाकी है.' -पंडित राजा आचार्य, विष्णुपद निवासी

'विष्णुपद परिसर के साथ देवघाट एवं सूर्यकुंड का अभी सौंदर्यीकरण कार्य किया जा रहा है. विष्णुपद मन्दिर और इसके परिसर के साफ-सफाई के लिए काफी ख्याल रखा गया है. सरकार के योजनाओं के साथ अब इंडियन ऑयल कंपनी भी विष्णुपद क्षेत्र के सूरत बदलने की दिशा में कार्य कर रहा है. इससे पहले इंडियन ऑयल कंपनी द्वारा कटरा से वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले रास्ते में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई काम किए गए हैं. जिससे श्रद्धालुओं को काफी सुविधाएं मिलती है. उसके तर्ज पर विष्णुपद परिसर में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए कार्य किए जाएंगे.' -सावन कुमार, नगर आयुक्त, गया नगर निगम

बता दें कि विष्णुपद क्षेत्र में पर्यटन का संसाधन विकसित होने के बाद इस क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार का साधन उपलब्ध हो जाएगा. इस क्षेत्र में सिर्फ बड़े पैमाने पर पितृपक्ष मेले के दौरान रोजगार का साधन उपलब्ध होता है.

गया जिले में अभी दो मंदिर होने के बावजूद पर्यटन केंद्रित स्थान नहीं बन सका है. इस क्षेत्र में पर्यटन रोड मैप धरातल पर उतरने के बाद देश के विभिन्न राज्यों से हर दिन हजारों की संख्या में पर्यटक आएंगे. बिहार की बात करें तो बिहार में राजधानी पटना के बाद पर्यटन क्षेत्र में कोई जिला विकसित नहीं हो सका है.

गया में 2023 तक पर्यटकों के लिए पर्यटन क्षेत्र विकसित हो जाएंगे. जिससे बिहार के अन्य क्षेत्र के साथ झारखंड राज्य के बॉर्डर क्षेत्र के लोग आएंगे. विदेश से आने वाले पर्यटक बोधगया तक समिति रहते हैं. वो कभी भी विष्णुपद क्षेत्र में पर्यटन के लिहाज से नहीं आते हैं.

अब सरकार विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए भी काम कर रही है. जो विदेशी पर्यटक बोधगया आते हैं, वो विष्णुपद क्षेत्र में आये. विष्णुपद को लेकर एक पिंड और एक मुंड की प्रथा है. एक पिंड और एक मुंड की प्रथा की वजह से विष्णुपद मंदिर के ठीक बगल में श्मशान घाट है.

इस श्मशान घाट का धार्मिक महत्व है. इसलिए लोग दूर-दूर से शव का दाह संस्कार करने विष्णु मसान घाट आते हैं. इस श्मशान घाट पर प्रदूषण कम करने के लिए प्रदूषण रहित मशीन (क्रिमेशन मशीन) लगाया जा रहा है. जिससे मंदिर को शवदाह के धुएं से बचाया जाए और शहर भी प्रदूषणमुक्त हो.

ब्रह्म सरोवर में पिछले साल वाटर लेजर लाइट शो लगाया गया है. इस सरोवर का लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण किया गया है. शाम में लोग इस सरोवर में अभी ट्रायल के तौर पर वाटर लेजर लाइट शो का आनंद उठाते हैं. इसके अलावा अन्य सरोवरों को सौंदर्यीकरण के लेजर लाइट युक्त फव्वारा लगाया गया है.

विष्णुपद परिसर में स्वच्छता के लिए गया नगर निगम खास ध्यान दे रही है. इस क्षेत्र में स्वच्छता के लिए 50 स्टील कूड़ादान, 10 कंपोस्ट मशीन, दो स्वाइपिंग मशीन, दो मशिनरी झाड़ू, तीन आधुनिक शौचालय, दस वाटर एटीएम का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा गया शहर के कचड़े और विष्णुपद मंदिर के पिंडदान, फूल-माला को गया नगर निगम मशीन द्वारा जैविक खाद बना रही है.

यह भी पढ़ें- इको टूरिज्म पॉलिसी पर CM के समक्ष दिया गया प्रस्तुतीकरण, बोले नीतीश- बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

Last Updated : Sep 4, 2021, 10:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.