गया: गया शहर में स्थित कुष्ठ आश्रम सह अस्पताल को अचानक से अगर कोई देख ले तो डर जाय. समझना मुश्किल हो जाता है कि ये अस्पताल है या भूत बंगला. इस अस्पताल में ना तो बेड है ना मरीजों के रहने के लिए व्यवस्था ही है. यहां तक की कुष्ठ मरीजों के लिए एक शौचालय तक नहीं है. पूरे अस्पताल के लिए सिर्फ एक डॉक्टर ही है. इस खबर को प्रमुखता से ईटीवी भारत ने दिखाया था. खबर देखने के बाद मखदुमपुर विधायक इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अस्पताल की समस्याओं को लेकर विधानसभा में सवाल उठाएंगे.
विधानसभा में सवाल उठाएंगे विधायक
मखदुमपुर विधानसभा के राजद विधायक सतीश दास ने कहा कि इस समाज में कुष्ठ रोगियों को लोग घरों से निकाल देते हैं. उनके लिए एक ही सहारा है कुष्ठ आश्रम सह अस्पताल. जहां उनका इलाज के साथ ही भरण-पोषण की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन जो रिपोर्ट ईटीवी भारत ने दिखाया ये देखकर रोना आ रहा है. उस अस्पताल में मरीज बिना दरवाजे, बिना खिड़की और बिना छत के गुजारा कर रहे हैं. इस अस्पताल में 38 मरीज भर्ती है इनके लिए एक शौचालय तक कि व्यवस्था नही है. मैं खुद वहां जाऊँगा एक-एक रोगियों से मिलूंगा. सभी व्यवस्था के बारे में जानकारी लेकर अस्पताल की समस्या को विधानसभा में उठाऊंगा और स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर उन्हें इसके बारे में अवगत कराऊंगा.
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1914 में बना था अस्पताल
बता दें कि गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम गया के छोटकी नवादा के पास 12 एकड़ के कैंपस में सन 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के समय एडवर्ड द सेवेंथ मेमोरियल के नाम पर लेपर एसाइलम के नाम से अस्पताल बना था. अंग्रेजों के समय में इस अस्पताल में 300 के करीब मरीज के रहने की क्षमता था. अस्पताल में अंग्रेजों के समय मे सारी सुविधाएं थी. 1956 में जब बिहार सरकार की अधीन यह अस्पताल आया तो इसकी दशा बदलने लगी. 1956 से लेकर आज तक यह अस्पताल बदहाली का दंश झेल रहा है.