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गया में संविधान निर्माता उपेक्षा के शिकार, बाबा साहेब की प्रतिमा को रस्सी से जकड़ा

जिसने अधिकार दिलाया, आज वही उपेक्षा के शिकार हैं. जी हां.. हम बात कर रहे हैं संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर की. जिनकी प्रतिमा को उपेक्षित और अपमानित करने वाला नजारा (Bhimrao Ambedkar statue neglected in Gaya) गया में देखने को मिला है. गया जिला परिषद कार्यालय के मुख्य परिसर में बाबा साहेब रस्सी से बंधे हुए हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

बाबा साहेब उपेक्षा के शिकार
बाबा साहेब उपेक्षा के शिकार
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Published : Apr 9, 2022, 10:37 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 10:47 PM IST

गया: संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आत्मा जरूर कोसती होगी. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि 14 अप्रैल को देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती (Bhimrao Ambedkar Birth anniversary) है, जिसे देशभर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा. वहीं, दूसरी ओर गया में रस्सी से बांधकर बाबा साहेब की आदमकद प्रतिमा को रखा गया है. जिला परिषद परिसर में स्थित बाबा साहेब की आदमकद प्रतिमा को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे संविधान के रचयिता की प्रतिमा को जकड़ कर रखा गया है.

ये भी पढ़ें- महापुरुषों की जयंती के बहाने वोट बैंक को साधने की कोशिश में BJP

संविधान निर्माता की प्रतिमा को जकड़ा: बाबा साहेब मुख्य सड़क पर स्थित जिला परिषद कार्यालय के मुख्य परिसर में ही रस्सी से बंधे हुए हैं. गया में संविधान निर्माता को उपेक्षित और अपमानित करने वाला नजारा देखने को मिल रहा है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा यदि कहीं और रखी होती तो यह अलग बात होती, लेकिन यहां तो जिले के प्रशासनिक कार्यालयों के बीचो बीच यह स्थिति है. जिला परिषद कार्यालय परिसर में पहले से रही बाबा साहेब की आदमकद बड़ी प्रतिमा को हटाया तो गया, लेकिन सम्मान नहीं दिया गया. वहां पर एक पहले की अपेक्षा छोटी प्रतिमा स्थापित की गई है जो कि खुले में है. जिसकी देखरेख का भी अभाव है.

बाबा साहेब उपेक्षा के शिकार: पहले से रही प्रतिमा को हटाकर बड़ी प्रतिमा को नई प्रतिमा के ठीक पीछे ही चहारदीवारी की दीवार में लगे लोहे के सहारे रस्सियों से बांधकर खड़ा कर दिया गया है. जैसे बाबा साहेब को जकड़कर रखा गया हो, जो बिल्कुल ही गलत है. ऐसी कारगुजारी एक तरह से अपमान और उपेक्षित करने वाली है. सरकारी महकमे के रहनुमा लगातार इस रास्ते से आते जाते रहते हैं, लेकिन फिर भी उनका इसे लेकर कोई ध्यान नहीं है. वहीं, जिला परिषद कार्यालय के प्रतिनिधियों का भी इस पर कोई ध्यान नहीं है या फिर अंजान बने बैठे हैं.

नेताओं ने जताई नाराजगी: बाबा साहेब की प्रतिमा की इस स्थिति पर विभिन्न दलों के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है और तत्काल रस्सी खोलकर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को सम्मान पूर्वक रखे जाने की मांग की है. कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता विजय कुमार मिट्ठू ने बताया कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, इस पर तुरंत पहल करते हुए सम्मान देकर प्रतिमा को अन्यत्र स्थापित करने या रखने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- क्या है सम्राट अशोक की जाति? OBC वोट बैंक के लिए BJP-JDU का अपना तर्क.. इतिहासकारों ने नकारा

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गया: संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आत्मा जरूर कोसती होगी. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि 14 अप्रैल को देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती (Bhimrao Ambedkar Birth anniversary) है, जिसे देशभर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा. वहीं, दूसरी ओर गया में रस्सी से बांधकर बाबा साहेब की आदमकद प्रतिमा को रखा गया है. जिला परिषद परिसर में स्थित बाबा साहेब की आदमकद प्रतिमा को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे संविधान के रचयिता की प्रतिमा को जकड़ कर रखा गया है.

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संविधान निर्माता की प्रतिमा को जकड़ा: बाबा साहेब मुख्य सड़क पर स्थित जिला परिषद कार्यालय के मुख्य परिसर में ही रस्सी से बंधे हुए हैं. गया में संविधान निर्माता को उपेक्षित और अपमानित करने वाला नजारा देखने को मिल रहा है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा यदि कहीं और रखी होती तो यह अलग बात होती, लेकिन यहां तो जिले के प्रशासनिक कार्यालयों के बीचो बीच यह स्थिति है. जिला परिषद कार्यालय परिसर में पहले से रही बाबा साहेब की आदमकद बड़ी प्रतिमा को हटाया तो गया, लेकिन सम्मान नहीं दिया गया. वहां पर एक पहले की अपेक्षा छोटी प्रतिमा स्थापित की गई है जो कि खुले में है. जिसकी देखरेख का भी अभाव है.

बाबा साहेब उपेक्षा के शिकार: पहले से रही प्रतिमा को हटाकर बड़ी प्रतिमा को नई प्रतिमा के ठीक पीछे ही चहारदीवारी की दीवार में लगे लोहे के सहारे रस्सियों से बांधकर खड़ा कर दिया गया है. जैसे बाबा साहेब को जकड़कर रखा गया हो, जो बिल्कुल ही गलत है. ऐसी कारगुजारी एक तरह से अपमान और उपेक्षित करने वाली है. सरकारी महकमे के रहनुमा लगातार इस रास्ते से आते जाते रहते हैं, लेकिन फिर भी उनका इसे लेकर कोई ध्यान नहीं है. वहीं, जिला परिषद कार्यालय के प्रतिनिधियों का भी इस पर कोई ध्यान नहीं है या फिर अंजान बने बैठे हैं.

नेताओं ने जताई नाराजगी: बाबा साहेब की प्रतिमा की इस स्थिति पर विभिन्न दलों के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है और तत्काल रस्सी खोलकर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को सम्मान पूर्वक रखे जाने की मांग की है. कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता विजय कुमार मिट्ठू ने बताया कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, इस पर तुरंत पहल करते हुए सम्मान देकर प्रतिमा को अन्यत्र स्थापित करने या रखने की जरूरत है.

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Last Updated : Apr 9, 2022, 10:47 PM IST
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