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भूमि विवाद निष्पादन को लेकर ASC ने की बैठक, 28 फरवरी तक दाखिल-खारिज के लंबित मामलें को निष्पादित करने का दिए निर्देश

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Published : Feb 1, 2022, 9:05 AM IST

दरभंगा में भूमि विवाद निष्पादन को लेकर प्रमण्डल स्तरीय समीक्षा बैठक की गई. (Land Dispute Execution Review Meeting in Darbhanga) राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई. उन्होंने दाखिल-खारिज के लंबित मामले की समीक्षा की.

दरभंगा में भूमि विवाद निष्पादन को लेकर प्रमण्डल स्तरीय समीक्षा बैठक
दरभंगा में भूमि विवाद निष्पादन को लेकर प्रमण्डल स्तरीय समीक्षा बैठक

दरभंगा: बिहार सरकार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Bihar Government Revenue and Land Reforms Department) के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह (Additional Chief Secretary Vivek Singh) की अध्यक्षता में भूमि विवाद निष्पादन को लेकर प्रमण्डल स्तरीय समीक्षा बैठक की गयी. बैठक में भूमि विवाद से संबंधित 11 बिन्दुओं पर समीक्षा की गयी जिनमें बन्दोबस्ती की गयी भूमि से बेदखली का मामला, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण/कब्जा, गैर-मजरूआ भूमि पर कब्जा का विवाद, राजस्व न्यायालय में लंबित मामला, सिविल न्यायालय में लंबित मामला, माननीय उच्चतम/उच्च न्यायालय में लंबित मामले हैं.

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राजस्व न्यायालय आदेश का अनुपालन, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश का अनुपालन, भू-मापी से संबंधित विवाद, निजी रास्ता से संबंधित विवाद, बंटवारा से संबंधित विवाद एवं अन्य विवाद से संबंधित भूमि विवाद के मामले की समीक्षा की गयी. बैठक में अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी जमीन में केशर-ए-हिन्द एवं खास महाल की जमीन को किसी को नहीं दिया जा सकता है. यदि किसी ने उस पर कब्जा कर रखा है, तो वह अवैध है. उन्होंने दरभंगा, समस्तीपुर एवं मधुबनी के अपर समाहर्त्ता को ऐसी जमीनों की सूची जिला स्तर पर बना लेने का निर्देश दिया तथा जिला पदाधिकारी को इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया.

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'बड़े भूभाग के सीमांकन की समस्या भी अनेक जगहों पर है. बिना जमीन की मापी और समुचित सीमांकन के पर्चा दे दिया गया. पर्चाधारी को यह पता नहीं है कि उस विस्तृत भू-भाग में उसकी जमीन कहां है. भूमाफिया इसका लाभ उठाकर ऐसी जमीनों पर धीरे-धीरे कब्जा कर लेता है. इसलिए ऐसी जमीनों का सीमांकन एवं मापी कराकर, नामवार पर्चाधारियों को चौहद्दी के साथ भूमि आवंटित की जाए.' - विवेक सिंह, अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग


उन्होंने कहा कि जिन भूमि विवाद के मामले में भूमि सुधार उप समाहर्त्ता, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा आदेश पारित किया गया है उसका अनुपालन कराया जाए. राजस्व न्यायालय के आदेश का वही महत्व है जो सिविल न्यायालय का है. इसलिए ऐसे आदेशों का अक्षरश: अनुपालन कराया जाए. उन्होंने कहा कि जमाबंदी रद्द करने एवं अतिक्रमणवाद के आदेश का शत प्रतिशत अनुपालन कराया जाए. इससे जनता में सरकार के प्रति विश्वास उत्पन्न होता है. यदि किसी भूमि विवाद के मामले में सिविल न्यायालय से कोई आदेश पारित है तो उसका क्रियान्वयन कराया जाए.

विवेक सिंह ने कहा कि अब अमीन की कोई कमी नहीं है लंबित भूमि मापी के मामले में अतिशीघ्र भूमि मापी कराके समाधान करायें. यदि भूमि मापी निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत नहीं करायी जाती है तो संबंधित अमीन/अंचलाधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी. भूमि मापी से संबंधित मामले लंबित नहीं रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भूमि मापी का मामला विवाद नहीं है बल्कि यह वैधानिक निष्पादन का मामला है और इसमें 1 माह से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए.


अपर मुख्य सचिव ने दाखिल-खारिज के लंबित मामलें की समीक्षा की और जिन अंचलों में लंबित मामले अधिक पाये गये उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 31 दिसम्बर 2020 तक के दाखिल खरिज के मामलों का निष्पादन 15 फरवरी 2022 तक एवं 30 जून 2021 तक के मामले का निष्पादन 28 फरवरी तक नहीं किया जाएगा तो संबंधित अंचलाधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी. दाखिल-खारिज निष्पादन के मामलें में 75 प्रतिशत से कम निष्पादन स्वीकार योग्य नहीं होगा. साथ ही वैसे, अंचल जहां दाखिल-खारिज वाद में अस्वीकृति अधिक है उन अंचलों की जांच करने का निर्देश संबंधित अपर समाहर्त्ता को दिया गया.

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दरभंगा: बिहार सरकार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Bihar Government Revenue and Land Reforms Department) के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह (Additional Chief Secretary Vivek Singh) की अध्यक्षता में भूमि विवाद निष्पादन को लेकर प्रमण्डल स्तरीय समीक्षा बैठक की गयी. बैठक में भूमि विवाद से संबंधित 11 बिन्दुओं पर समीक्षा की गयी जिनमें बन्दोबस्ती की गयी भूमि से बेदखली का मामला, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण/कब्जा, गैर-मजरूआ भूमि पर कब्जा का विवाद, राजस्व न्यायालय में लंबित मामला, सिविल न्यायालय में लंबित मामला, माननीय उच्चतम/उच्च न्यायालय में लंबित मामले हैं.

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राजस्व न्यायालय आदेश का अनुपालन, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश का अनुपालन, भू-मापी से संबंधित विवाद, निजी रास्ता से संबंधित विवाद, बंटवारा से संबंधित विवाद एवं अन्य विवाद से संबंधित भूमि विवाद के मामले की समीक्षा की गयी. बैठक में अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी जमीन में केशर-ए-हिन्द एवं खास महाल की जमीन को किसी को नहीं दिया जा सकता है. यदि किसी ने उस पर कब्जा कर रखा है, तो वह अवैध है. उन्होंने दरभंगा, समस्तीपुर एवं मधुबनी के अपर समाहर्त्ता को ऐसी जमीनों की सूची जिला स्तर पर बना लेने का निर्देश दिया तथा जिला पदाधिकारी को इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया.

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'बड़े भूभाग के सीमांकन की समस्या भी अनेक जगहों पर है. बिना जमीन की मापी और समुचित सीमांकन के पर्चा दे दिया गया. पर्चाधारी को यह पता नहीं है कि उस विस्तृत भू-भाग में उसकी जमीन कहां है. भूमाफिया इसका लाभ उठाकर ऐसी जमीनों पर धीरे-धीरे कब्जा कर लेता है. इसलिए ऐसी जमीनों का सीमांकन एवं मापी कराकर, नामवार पर्चाधारियों को चौहद्दी के साथ भूमि आवंटित की जाए.' - विवेक सिंह, अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग


उन्होंने कहा कि जिन भूमि विवाद के मामले में भूमि सुधार उप समाहर्त्ता, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा आदेश पारित किया गया है उसका अनुपालन कराया जाए. राजस्व न्यायालय के आदेश का वही महत्व है जो सिविल न्यायालय का है. इसलिए ऐसे आदेशों का अक्षरश: अनुपालन कराया जाए. उन्होंने कहा कि जमाबंदी रद्द करने एवं अतिक्रमणवाद के आदेश का शत प्रतिशत अनुपालन कराया जाए. इससे जनता में सरकार के प्रति विश्वास उत्पन्न होता है. यदि किसी भूमि विवाद के मामले में सिविल न्यायालय से कोई आदेश पारित है तो उसका क्रियान्वयन कराया जाए.

विवेक सिंह ने कहा कि अब अमीन की कोई कमी नहीं है लंबित भूमि मापी के मामले में अतिशीघ्र भूमि मापी कराके समाधान करायें. यदि भूमि मापी निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत नहीं करायी जाती है तो संबंधित अमीन/अंचलाधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी. भूमि मापी से संबंधित मामले लंबित नहीं रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भूमि मापी का मामला विवाद नहीं है बल्कि यह वैधानिक निष्पादन का मामला है और इसमें 1 माह से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए.


अपर मुख्य सचिव ने दाखिल-खारिज के लंबित मामलें की समीक्षा की और जिन अंचलों में लंबित मामले अधिक पाये गये उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 31 दिसम्बर 2020 तक के दाखिल खरिज के मामलों का निष्पादन 15 फरवरी 2022 तक एवं 30 जून 2021 तक के मामले का निष्पादन 28 फरवरी तक नहीं किया जाएगा तो संबंधित अंचलाधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी. दाखिल-खारिज निष्पादन के मामलें में 75 प्रतिशत से कम निष्पादन स्वीकार योग्य नहीं होगा. साथ ही वैसे, अंचल जहां दाखिल-खारिज वाद में अस्वीकृति अधिक है उन अंचलों की जांच करने का निर्देश संबंधित अपर समाहर्त्ता को दिया गया.

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