दरभंगा: जन अधिकार पार्टी (JAP) सुप्रीमो पप्पू यादव (Pappu Yadav) को अविलंब रिहा करने सहित पांच सूत्री मांग को लेकर जाप जिला इकाई की ओर से 48 घंटे का भूख-हड़ताल किया जा रहा है. इस दैरान जाप कार्यकर्ता (JAP Workers) सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए, जाप सुप्रीमो पप्पू यादव को अविलंब रिहा करने की मांग की.
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जाप कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए, बढ़ती मंहगाई पर रोक लगाने, बाढ प्रभावित के बीच पर्याप्त राहत कार्य चलाने, नीट में ओबीसी का आरक्षण जारी रखने, सरकारी संस्थानों के निजीकरण पर रोक लगाने, जाप सुप्रीमो पप्पू यादव को अविलंब रिहा करने की मांग कर रहे थे.
'देश के अन्य नेता राजनीति की आड़ में सेवा करते हैं लेकिन पप्पू यादव सेवा के लिए राजनीत करते हैं. ऐसे नेता को सरकार दो महीने से जेल में बंद कर रखी है. जिसे बिहार की जनता देख रही है.' : भारती सिंह, जिलाध्यक्ष. जाप महिला प्रकोष्ठ
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'जनता दरबार लगाने से किसी चीज का हल नहीं होगा. आप जनता के बीच में आकर देखिए कि क्या हो रहा है. एक तो लोग वैसे ही कोरोना से परेशान हैं, सभी लोगों का रोजगार धंधा-चौपट हो गया है. ऐसे में घर में मरने से बेहतर होगा कि हमलोग भूख हड़ताल कर के ही मरें.' : भारती सिंह, जिलाध्यक्ष. जाप महिला प्रकोष्ठ
भारती सिंह ने कहा कि एक ना एक दिन पप्पू यादव जेल से बाहर आएंगे और सूबे में फिर से रामराज्य लौटेगा. हमलोगों का जो कर्तव्य है हमलोग करते रहेंगे. हमलोगों की सरकार से यही मांग है कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी राष्ट्रीय अध्यक्ष को रिहा किया जाए. क्योंकि बाढ़ के समय यहां की जनता उन्हें खोज रही है.
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जाप महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष भारती सिंह ने कहा कि जब कोरोना काल में सरकार के विकास की पोल खुलने लगी तो उन्होंने गलत केस में पप्पू यादव को जेल भेजने का काम किया. ताकि उनकी नाकामयाबी जनता के सामने ना आ सके. मैं भगवान के साथ-साथ सरकार से विनती करती हूं कि पप्पू यादव को जल्द से जल्द रिहा किया जाए. ताकि वह जनता के बीच में जाकर फिर से लोगों की सेवा कर सके. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार इस अनशन के माध्यम से हमलोगों की बात नहीं मानती है तो हम लोग आत्मदाह करेंगे.
आपको बता दें कि पप्पू यादव 32 साल पहले के अपहरण के एक मामले में जेल में बंद हैं. उन्हें 11 मई को पटना से गिरफ्तार किया गया था. 1989 में पप्पू यादव, रामकुमार यादव और उमाकांत यादव एक साथ रहते थे. गुट के ही एक युवक ने एक लड़की से शादी कर ली थी. इस कारण पप्पू यादव का रामकुमार यादव और उमाकांत यादव से मतभेद हो गया था.
29 जनवरी 1989 को रामकुमार यादव के चचेरे भाई शैलेन्द्र यादव ने मुरलीगंज थाना में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि पप्पू यादव ने दिनदहाड़े रामकुमार यादव और उमाकांत यादव को जान से मारने की नीयत से अपहरण कर लिया.
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